प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि अनारक्षित पद पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी को आवेदन करने का अधिकार है. उसकी नियुक्ति इस आधार पर निरस्त नहीं की जा सकती है कि पद सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है. कोर्ट ने प्रयागराज के ग्राम लौंदखुर्द ब्लाक शंकरगढ़ बारा में आरती सिंह (पटेल) को सहायक अकाउंटेंट कम डाटा एंट्री ऑपरेटर के पद पर नियुक्ति होने के 1 महीने 10 दिन काम करने के बाद 5 जनवरी 2022 को जिला पंचायत राज अधिकारी प्रयागराज के द्वारा नियुक्ति निरस्त करने का आदेश रद्द कर दिया था. जिसकी याचिका पर न्यायमूर्ति एसडी सिंह व न्यायमूर्ति दोनाडी रमेश की खंडपीठ ने अधिवक्ता सुनील चौधरी के तर्क पर यह आदेश दिया है.
याची के अधिवक्ता का कहना था कि कोरोना काल में कोविड से याची के पति की मृत्यु हो गई थी. सरकार द्वारा 58189 वैकेंसी निकाली गई थी, जिसमें कोविड पॉजिटिव मृतकों के परिजनों के द्वारा ही आवेदन किया जाना था. याची ने अपनी ग्राम सभा से अकेले ही आवेदन किया. जिलाधिकारी प्रयागराज की अध्यक्षता में जिला स्तरीय कमेटी द्वारा संसुति किए जाने पर याची की नियुक्ति की गई थी. याची के एक महीने 10 दिन काम करने के बाद जिला पंचायत राज अधिकारी ने यह कहकर उसकी नियुक्ति निरस्त कर दी कि शासनादेश के क्रम में ग्राम पंचायत लौंदखुर्द में ग्राम प्रधान की अनारक्षित सीट पर कोविड-19 से मृतक वारिस के आवेदन पर केवल सामान्य जाति को ही नियुक्ति दी जा सकती है. जबकि याची पिछड़ी जाति (कुर्मी) से है, जो शासनादेश के विपरीत है. 25 जुलाई 2021 के शासनादेश के पैरा 13 में कहा गया है कि सामान्य श्रेणी की ग्राम पंचायत में कोविड -19 की वजह से हुई मृत्यु का लाभ सामान्य श्रेणी के परिवार को ही दिया जाएगा.
याची की ओर से बताया गया कि केवल याची ने ही अपने ग्राम पंचायत क्षेत्र से अकेले आवेदन किया है. सामान्य वर्ग या किसी अन्य वर्ग से किसी अन्य ने आवेदन ही नहीं किया है. कोर्ट ने कहा कि अनराक्षित पद पर याची के आवेदन को अवैध नहीं कहा जा सकता है. याचिक स्वीकार करते हुए जिला पंचायतराज अधिकारी के आदेश को निरस्त कर दिया है.