कानपुर : महिलाएं जो खाना खाती हैं, गर्भ में उस खाने से उनके बच्चे का विकास होता है. हालांकि, मौजूदा समय में जिस तरह समाज के अंदर पैक्ड फूड का चलन बढ़ा है, उससे अब गर्भवती भी सुरक्षित नहीं हैं. शहर के लाला लाजपत राय (एलएलआर) अस्पताल के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में प्रोफेसर सीमा द्विवेदी ने जो शोध गर्भवती पर किया है, उससे यह बात सामने आई है. प्रो. सीमा का कहना है कि गर्भवती महिलाओं के लिए शुरूआती तीन माह बेहद अहम होते हैं. इन दिनों में अगर ऐसी महिलाएं ताजा खाना खाएंगी और पैक्ड फूड से दूरी बनाएंगी तो उनके व उनके बच्चे की सेहत के लिए यह बहुत फायदेमंद साबित होगा.
1000 महिलाओं की हुई स्क्रीनिंग, 10 प्रतिशत से अधिक निकलीं बीमार : प्रोफेसर सीमा द्विवेदी ने बताया, कि एलएलआर अस्पताल में 1000 गर्भवती महिलाओं की जब स्क्रीनिंग कराई गई तो उनमें से 10 प्रतिशत से अधिक बीमार निकलीं. इसकी मुख्य वजह थी, ज्यादा मात्रा में पैक्ड फूड का प्रयोग. हालांकि, स्क्रीनिंग के बाद सभी महिलाओं को जरूरी जानकारियां दी गईं. पैक्ड फूड के अलावा उन्हें बताया कि तीन सफेद जहर कहे जाने वाले पदार्थों चीनी, मैदा और रिफाइंड से भी खुद को गर्भाधारण के दौरान दूर ही रखना चाहिए.
प्रोटीनयुक्त भोजन, मौसमी फल और ताजा खाना खाएं : प्रो. सीमा द्विवेदी ने कहा, गर्भवती महिलाओं को शुरुआती तीन माह के दौरान प्रोटीनयुक्त भोजन, मोटा अनाज से बने खाद्य पदार्थों, मौसमी फल आदि का सेवन करना चाहिए. इसी तरह केमिकलयुक्त भोजन नहीं खाना है, इस बात का ध्यान रखना चाहिए. प्रो. सीमा ने कहा कि बच्चे का जो गर्भनाल बनता है, उसे सारे पोषक तत्व मां से ही मिलते हैं. ऐसे में अगर मां की सेहत बढ़िया होगी तो बच्चों की सेहत भी बढ़िया बनी रहेगी.
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