अयोध्या: केंद्रीय प्रन्यासी मंडल एवं प्रबंध समिति की बैठक सोमवार को अयोध्या के कारसेवक पुरम परिसर में संपन्न हुई. बैठक में विहिप के देश के बाहर से भी आए प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. इस दौरान आने वाले समय के लिए विभिन्न प्रस्तावों पर सदस्यों ने विचार-विमर्श किया. कार्यक्रम के दौरान विश्व हिंदू परिषद के कार्यवाह अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि सन्तों और महापुरुषों के संकल्प, दूरदृष्टी और बलिदानों के बिना यह गौरवशाली पल नहीं आ सकता था. उन सभी ज्ञात-अज्ञात संतों-महापुरुषों को वंदन है.
कहा कि पूज्य संतों के आशीर्वाद से 1984 से प्रारम्भ हुआ श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति आन्दोलन विश्व का सबसे बड़ा आन्दोलन बन गया. आन्दोलन के विभिन्न चरणों में करोड़ों रामभक्तों की सक्रिय भूमिका और सम्पूर्ण देश की सहभागिता से यह एक हिन्दू पुनरुत्थान का महाअभियान बन गया. सैकड़ों कारसेवकों के बलिदान ने मंदिर निर्माण के लिए दृढ़ राष्ट्रीय संकल्प को प्रखर रूप से प्रकट किया. यह विश्व का सबसे लंबा न्यायिक संघर्ष भी था, जो 134 वर्षों तक निरन्तर चलता रहा. न्यायिक संघर्ष में विजय प्राप्त कर हिन्दू समाज ने इस अद्भुत रूप में संकल्प को साकार कराया. यह विश्व का एक विलक्षण घटनाक्रम रहा. भारत के वरिष्ठतम न्यायविद् श्री के. पाराशरन जी और वैद्यनाथन के कुशल नेतृत्व में समर्पित अधिवक्ताओं का सतत् परिश्रम व योगदान अविस्मरणीय रहेगा. स्वतन्त्रता के 77 वर्षों के पश्चात् इस संघर्ष की ऐसी गौरवशाली परिणिति के लिए वर्तमान भारत सरकार व वर्तमान उत्तर प्रदेश सरकार की कुशलता और समर्पण भी अभिनन्दनीय है.
कहा कि 22 जनवरी 2024 के पश्चात् देश में एक नए युग का आरंभ हो गया है. अब राम मंदिर से रामराज्य की यात्रा आरम्भ हो गई है. यह एक सभ्यता का संघर्ष है, जिसमें हिन्दू सभ्यता के सांस्कृतिक जीवन मूल्य स्थापित हो रहे हैं. इस नये युग के निर्माण का उत्तरदायित्व हिन्दू समाज को स्वीकार करना होगा और स्वयं को उसके लिए तैयार करना होगा. वर्तमान कालखण्ड भारत के लिए गौरवशाली तथा सकारात्मक परिवर्तन का है. सम्पूर्ण विश्व भारतीय संस्कृति की ओर आशा भरी दृष्टि से देख रहा है, क्योंकि उन्हें लगता है कि समस्त वैश्विक समस्याओं का समाधान हिन्दू संस्कृति और जीवन मूल्यों से ही मिल सकता है. आने वाला समय भारत का समय है. श्रीराम मन्दिर इस परिवर्तन का आधार बन रहा है.
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