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दिल्ली में लगातार तीसरी बार खाता नहीं खोल सकी AAP, 5 प्वाइंट में जानें कारण - Reason for AAP Defeat in Delhi - REASON FOR AAP DEFEAT IN DELHI

Reason for AAP Defeat in Delhi: राजधानी में लोकसभा चुनाव 2024 में आम आदमी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है. कांग्रेस के साथ गठबंधन, सीएम का जेल से बाहर आकर चुनाव प्रचार और विभिन्न अभियानों के बावजूद जनता ने सीटें भाजपा की झोली में डाल दीं. क्या रहा इसके पीछे का कारण, आइए जानते हैं...

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की हार की वजह
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की हार की वजह (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jun 4, 2024, 9:52 PM IST

Updated : Jun 4, 2024, 10:38 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की सत्ता में पिछले एक दशक से सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी (AAP) को लोकसभा चुनाव में बड़ा झटका लगा है. कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के बावजूद दोनों पार्टियों को एक भी सीट नहीं मिली. वहीं, दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी ने लगातार तीसरी बार सातों सीटों पर हैट्रिक जीत दर्ज की है.

आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद "जेल का जवाब वोट से" अभियान भी चलाया गया था. पार्टी को उम्मीद थी कि इस मुद्दे पर लोगों की सहानुभूति मिलेगी, लेकिन यह सहानुभूति जीत नहीं दिला सकी. AAP को इस बार भी लोकसभा चुनाव में हार के पीछे की 5 प्रमुख वजहें बताई जा रही है, आइए जानते हैं...

दरअसल, दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था. इसमें पूर्वी दिल्ली, नई दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली और पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार थे. वहीं, चांदनी चौक, उत्तर पूर्वी दिल्ली और उत्तर पश्चिम दिल्ली लोकसभा सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार थे. लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार प्रसार के लिए जमानत पर जेल से बाहर आए मुख्यमंत्री केजरीवाल ने लोगों के बीच जाकर यहां तक कहा था कि यदि इंडिया गठबंधन को जिताएंगे तो जेल नहीं जाना पड़ेगा. साथ ही उन्होंने कई भावनात्मक तरीके से लोगों से जुड़ने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली.

हार की 5 वजहें

स्टार प्रचारकों की रही कमी: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, राज्यसभा सांसद संजय सिंह कथित शराब नीति घोटाले के आरोप में जेल में थे. सत्येंद्र जैन भी एक मामले में जेल में बंद है. ऐसे में पार्टी के अंदर स्टार प्रचारकों की कमी रही. हालांकि, बाद में संजय सिंह को जमानत मिल गई, लेकिन स्टार प्रचारकों की कमी से चुनाव में पार्टी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी.

अभियान से नहीं मिली सहानुभूति: अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद आम आदमी पार्टी की ओर से जेल का जवाब वोट से अभियान चलाया गया. पार्टी को उम्मीद थी कि इस अभियान से लोगों की सहानुभूती मिलेगी, लेकिन पार्टी जितनी अपेक्षा कर रही थी उतनी सहानुभूति हासिल नहीं कर सकी.

कांग्रेस के साथ गठबंधन को नहीं मिली स्वीकृती: दिल्ली में आम आदमी पार्टी कांग्रेस को हराकर ही सत्ता पर काबिज हुई थी, लेकिन बाद में 'आप' ने कांग्रेस के साथ ही गठबंधन कर प्रत्याशी उतार दिए. दिल्ली की जनता ने इसे स्वीकार नहीं किया. सीएम अरविंद केजरीवाल, कांग्रेस के प्रत्याशियों की सीट पर चुनाव प्रचार करने के लिए गए, लेकिन कांग्रेस के शीर्ष नेता जैसे राहुल गांधी या अन्य कोई आम आदमी पार्टी के प्रत्याशियों के लिए प्रचार में नहीं उतरा. इससे पार्टी कार्यकर्ताओं में भी मनमुटाव की स्थिति रही.

सीट बंटवारे के बाद प्रत्याशियों उतारने में देरी: इस बार पहले से ही तय था कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ेगी, लेकिन दोनों पार्टियों के बीच सीटों के बंटवारे लंबा समय लगा. इससे प्रत्याशियों को उतारने में भी देरी हुई, जिसकी वजह से प्रचार के लिए प्रत्याशी सभी जगह नहीं पहुंच सके.

यह भी पढ़ें- दिल्ली की सातों लोकसभा सीट पर भाजपा ने लगाई हैट्रिक, गढ़ बचाने में रही सफल

केंद्र में मोदी को ही देखना चाहते हैं लोग: भले ही विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को दिल्ली की जनता पूर्ण बहुमत से जीत दे रही है, लेकिन तीन बार से लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ रहा है. कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने के बावजूद दिल्ली में एक भी सीट पर कांग्रेस या आम आदमी पार्टी प्रत्याशी जीत नहीं दर्ज कर सके. इसके पीछे एक वजह या भी है कि भले ही लोग विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल को जीताना चाहते हैं, लेकिन केंद्र में लोग नरेंद्र मोदी को ही बतौर प्रधानमंत्री देखना चाहते हैं.

यह भी पढ़ें- दिल्ली के सातों सीटों पर खूब दबा नोटा का बटन, नहीं पसंद आया कोई कैंडिडेट

नई दिल्ली: दिल्ली की सत्ता में पिछले एक दशक से सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी (AAP) को लोकसभा चुनाव में बड़ा झटका लगा है. कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के बावजूद दोनों पार्टियों को एक भी सीट नहीं मिली. वहीं, दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी ने लगातार तीसरी बार सातों सीटों पर हैट्रिक जीत दर्ज की है.

आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद "जेल का जवाब वोट से" अभियान भी चलाया गया था. पार्टी को उम्मीद थी कि इस मुद्दे पर लोगों की सहानुभूति मिलेगी, लेकिन यह सहानुभूति जीत नहीं दिला सकी. AAP को इस बार भी लोकसभा चुनाव में हार के पीछे की 5 प्रमुख वजहें बताई जा रही है, आइए जानते हैं...

दरअसल, दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था. इसमें पूर्वी दिल्ली, नई दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली और पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार थे. वहीं, चांदनी चौक, उत्तर पूर्वी दिल्ली और उत्तर पश्चिम दिल्ली लोकसभा सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार थे. लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार प्रसार के लिए जमानत पर जेल से बाहर आए मुख्यमंत्री केजरीवाल ने लोगों के बीच जाकर यहां तक कहा था कि यदि इंडिया गठबंधन को जिताएंगे तो जेल नहीं जाना पड़ेगा. साथ ही उन्होंने कई भावनात्मक तरीके से लोगों से जुड़ने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली.

हार की 5 वजहें

स्टार प्रचारकों की रही कमी: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, राज्यसभा सांसद संजय सिंह कथित शराब नीति घोटाले के आरोप में जेल में थे. सत्येंद्र जैन भी एक मामले में जेल में बंद है. ऐसे में पार्टी के अंदर स्टार प्रचारकों की कमी रही. हालांकि, बाद में संजय सिंह को जमानत मिल गई, लेकिन स्टार प्रचारकों की कमी से चुनाव में पार्टी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी.

अभियान से नहीं मिली सहानुभूति: अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद आम आदमी पार्टी की ओर से जेल का जवाब वोट से अभियान चलाया गया. पार्टी को उम्मीद थी कि इस अभियान से लोगों की सहानुभूती मिलेगी, लेकिन पार्टी जितनी अपेक्षा कर रही थी उतनी सहानुभूति हासिल नहीं कर सकी.

कांग्रेस के साथ गठबंधन को नहीं मिली स्वीकृती: दिल्ली में आम आदमी पार्टी कांग्रेस को हराकर ही सत्ता पर काबिज हुई थी, लेकिन बाद में 'आप' ने कांग्रेस के साथ ही गठबंधन कर प्रत्याशी उतार दिए. दिल्ली की जनता ने इसे स्वीकार नहीं किया. सीएम अरविंद केजरीवाल, कांग्रेस के प्रत्याशियों की सीट पर चुनाव प्रचार करने के लिए गए, लेकिन कांग्रेस के शीर्ष नेता जैसे राहुल गांधी या अन्य कोई आम आदमी पार्टी के प्रत्याशियों के लिए प्रचार में नहीं उतरा. इससे पार्टी कार्यकर्ताओं में भी मनमुटाव की स्थिति रही.

सीट बंटवारे के बाद प्रत्याशियों उतारने में देरी: इस बार पहले से ही तय था कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ेगी, लेकिन दोनों पार्टियों के बीच सीटों के बंटवारे लंबा समय लगा. इससे प्रत्याशियों को उतारने में भी देरी हुई, जिसकी वजह से प्रचार के लिए प्रत्याशी सभी जगह नहीं पहुंच सके.

यह भी पढ़ें- दिल्ली की सातों लोकसभा सीट पर भाजपा ने लगाई हैट्रिक, गढ़ बचाने में रही सफल

केंद्र में मोदी को ही देखना चाहते हैं लोग: भले ही विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को दिल्ली की जनता पूर्ण बहुमत से जीत दे रही है, लेकिन तीन बार से लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ रहा है. कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने के बावजूद दिल्ली में एक भी सीट पर कांग्रेस या आम आदमी पार्टी प्रत्याशी जीत नहीं दर्ज कर सके. इसके पीछे एक वजह या भी है कि भले ही लोग विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल को जीताना चाहते हैं, लेकिन केंद्र में लोग नरेंद्र मोदी को ही बतौर प्रधानमंत्री देखना चाहते हैं.

यह भी पढ़ें- दिल्ली के सातों सीटों पर खूब दबा नोटा का बटन, नहीं पसंद आया कोई कैंडिडेट

Last Updated : Jun 4, 2024, 10:38 PM IST
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