पौड़ीः सड़कों पर घूमने वाले गौवंश के संरक्षण और लोगों को रोजगार मुहैया करवाने के उद्देश्य से गाय के गोबर को व्यावसायिक रूप दिया जा रहा है. इसके लिए यूनिट की स्थापना की गई है. जिसके लिए 10 लाख रुपये की धनराशि खर्च की गई है. खर्च राशि में 6 लाख रुपए रीप परियोजना, 2 लाख समूह और 2 लाख का लोन शामिल है. महिलाओं के द्वारा योजना के अनुसार धूप, सांबरानी कप, गमले, दीये, मूर्तियां आदि तैयार की जा रही है. इससे महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत होंगी.
जिले पौड़ी के खिर्सू ब्लॉक के चमराड़ा में ग्रामीण उद्यम वेगवृद्धि परियोजना (रीप परियोजना) के तहत एक यूनिट को स्थापित किया गया है. जिसमें गाय के गोबर को व्यावसायिक रूप से इस्तेमाल किया जाएगा. गाय के गोबर से घरों में इस्तेमाल होने वाली कई महत्वपूर्ण सामग्रियों को बनाया जा रहा है. भूमि स्वायत्त सहकारिता के तहत खिर्सू ब्लॉक के 14 गांवों के 70 स्वयं सहायता समूहों के 424 सदस्य इससे जुड़े हुए हैं.
मुख्य विकास अधिकारी पौड़ी गिरीश गुणवंत ने बताया कि विभाग ने गाय के गोबर से व्यावसायिक लाभ अर्जित करने की योजना बनाई है. इससे आवारा गायों का संरक्षण भी होगा. साथ ही समूहों की आजीविका भी बढ़ेगी.
रीप परियोजना के प्रबंधक कुलदीप बिष्ट ने बताया कि खिर्सू ब्लॉक के चमराड़ा में यूनिट को स्थापित कर लिया गया है. इसके साथ ही समूहों को इस कार्य के लिए कई दिनों का तकनीकी प्रशिक्षण भी दिया गया. उन्होंने बताया कि 11 नवंबर से यूनिट में व्यवसायिक रूप से कार्य भी शुरू कर दिया गया है.
ये सामान हो रहा तैयार: योजना के तहत महिलाओं से धूप, सांबरानी कप, गमले, दीये, मूर्तियां आदि तैयार की जा रही हैं. बताया कि जनपद में समूहों से जुड़ी महिलाओं की आजीविका को बढ़ाने को लेकर यूनिट को स्थापित किया गया है. इस योजना से आवारा गायों को संरक्षण मिलने के साथ ही गोबर को भी व्यावसायिक रूप से इस्तेमाल में लाया जाएगा. इसके साथ ही समूहों द्वारा जो भी उत्पाद बनाए जाएंगे, उन्हें प्रदेश के सभी आउटलेट केंद्रों के साथ ही देश के विभिन्न प्रांतों में भी पहुंचाने के लिए कार्य किया जाएगा.
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