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CAA लागू होने के बाद दिल्ली के खानपुर वार्ड में सिंधी परिवारों की दीवाली, एक दूसरे को खिला रहे लड्डू - CAA Implementation in Delhi

CAA Implementation: ईटीवी भारत की टीम पहुंचे दिल्ली के खानपुर वार्ड में जहां बड़ी संख्या में सिंधी समुदाय के लोग रह रहे हैं. इनमें कुछ 1992 में पाकिस्तान से भाग कर अपना कारोबार छोड़कर यहां चले आए थे.

CAA Implementation
CAA Implementation
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Mar 12, 2024, 11:36 AM IST

दिल्ली के खानपुर वार्ड में सिंधी परिवारों में खुशी

नई दिल्ली: केंद्र सरकार की ओर से CAA लागू करने के बाद अलग-अलग राज्यों में रह रहे पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से आए अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों में खुशी का माहौल है. राजधानी दिल्ली में मजनू का टीला, रोहिणी, छतरपुर, आदर्श नगर जैसे इलाकों में भी देर रात जश्न देखने को मिला.

राजधानी दिल्ली के अंबेडकर नगर विधानसभा क्षेत्र के दुग्गल कॉलोनी, राजू पार्क और कृष्णा पार्क में भी बड़ी संख्या में पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थी रह रहे हैं. सिंधी समाज से ताल्लुक रखने वाले हिंदू शरणार्थियों ने नागरिकता संशोधन कानून बिल के लागू किए जाने पर खुशी जाहिर की है और जश्न मना कर एक दूसरे को मिठाई खिलाई. इस दौरान सिंधी समुदाय के लोगों ने अपने समुदाय के द्वारा कृष्णा पार्क में बनाए गए झूलेलाल लाल साई मंदिर में पूजा पाठ का भी आयोजन करवाया. देर रात तक पूजा पाठ का आयोजन चला और यहां सिंधी समाज के सभी लोग इकट्ठा भी हुए और सभी ने खुशी जाहिर की है.

ईटीवी भारत की टीम पहुंचे दिल्ली के खानपुर वार्ड में जहां बड़ी संख्या में सिंधी समुदाय के लोग रह रहे हैं. इनमें कुछ 1992 में पाकिस्तान से भाग कर अपना कारोबार छोड़कर यहां चले आए थे.

साल 2012 में पाकिस्तान से बॉर्डर क्रॉस कर आए थे दिल्ली

ईटीवी भारत से बातचीत में दिल्ली के कृष्णा पार्क में रहने वाले हरिजन दास कालरा ने बताया कि हम इस फैसले को सुनने के बाद बहुत खुश है. हम कई सालों से यहां पर बिना नागरिकता के रह रहे हैं जिसकी वजह से काफी दिक्कतें होती थी. बहुत सारी कागजी कार्रवाई से गुजरना पड़ता है. इधर-उधर दफ्तरों के चक्कर भी लगाकर परेशान होना पड़ता है. लेकिन आज सरकार ने जो फैसला लिया है हम उससे बहुत ही सहमत हैं और उसका स्वागत करते हैं. उनका कहना है कि 12 साल पहले 16 जुलाई 2012 को वो बॉर्डर क्रॉस करके भारत आए थे. 12 साल से देश की राजधानी दिल्ली में रह रहे हैं.

सिंधी समाज के लोगों ने मंदिर में इक्कठा होकर किया पूजा पाठ

ईटीवी भारत से बात करते हुए सरवन कुमार ने बताया कि आज हम लोग खुश हैं. भारत सरकार ने हर परिस्थिति में हमारा साथ दिया है। वहां से जब हम आए तो हम सब कुछ छोड़ कर आए थे कुछ भी साथ लेकर नहीं आए. खाली हाथ आना पड़ा था यहां पर आकर हमने काम शुरू किया, उस वक्त काफी परेशानियां थी लेकिन भारत में काफी सपोर्ट मिला और आज हम काफी खुश हैं कि हमें अब भारत की नागरिकता मिल जाएगी हम यहां के वाशिंदे बन जाएंगे. सबसे ज्यादा दिक्कत है हमें सिर्फ पेपर वर्क की होती थी हर महीने में रिन्यू कराना होता था इधर-उधर दफ्तरों के चक्कर लगाकर हम परेशान हो जाते थे अब इन सब चीजों से भी हमें छुटकारा मिल जाएगा.

'साल 1992 में आए थे दिल्ली, अपनी आंखों से जलते देखे थे मंदिर'

वही श्री चंद जो साल 1992 से राजधानी दिल्ली में रह रहे हैं, उन्होंने बताया कि साल 1992 के दौरान जब हिंदुस्तान के अंदर बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ था उसे दौरान पाकिस्तान में हिंदुओं पर काफी अत्याचार हुआ था हम लोगों के वहां जितने भी मंदिर थे सब को जला दिया गया. तोड़ दिया गया और वहां पर एकदम डर का माहौल था. किसी तरह हम लोग अपनी जान बचाकर वहां से निकले. उन्होंने ये भी कहा कि वहां पाकिस्तान के लोग हमसे कहते थे कि आप अपने हिंदुस्तान चले जाये. आपके लिए यहां कोई जगह नहीं है. उन्होंने ये भी बताया कि वहां महिलाओं को, बहन-बेटियों को दिनदहाड़े लोग उठा कर ले जाते थे जबरन धर्मांतरण होने लगा फिर हमने सोच लिया और अपने मां-बाप से कह दिया मैं यहां नहीं रहूंगा. उसके बाद में अपने बच्चों को लेकर दिल्ली आ गया. उन्होंने ये भी बताया कि मुझे और मेरी पत्नी को तो भारत की नागरिकता मिल गई है लेकिन मेरे बच्चों को अभी नहीं मिल पाई है.

पाकिस्तान से आकर दिल्ली में की मजदूरी

वहीं ओमप्रकाश खुराना ने बताया कि वो साल 2012 में दिल्ली में आए थे. वहां पर काफी मुश्किलें आती थी. हम लोग अपना मकान घर जमीन जायदाद सब कुछ छोड़कर हिंदुस्तान आए क्योंकि वहां पर हमें घुटन महसूस हो रही थी हमारे साथ अत्याचार हो रहा था और कभी भी जान जा सकती थी. वहां पर ना तो हमें कोई कारोबार करने देते थे बहुत जुल्म हमारे ऊपर वहां हो रहा था. वहां के मुसलमान समुदाय के लोग घरों में घुसकर लूटपाट करते थे जबरन मारपीट करते थे और वहां की सरकार भी उन लोगों का सपोर्ट करती थी. उन्होंने कहा कि आज हमें बहुत खुशी हो रही है कि केंद्र की मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून को लागू कर दिया है अब हम भारत के वाशिंदे बन जाएंगे और हमें नागरिकता मिल जाएगी.

ये भी पढ़ें- दिल्ली में पुलिस और बदमाशों के बीच मुठभेड़, हाशिम बाबा गिरोह के तीन बदमाश घायल

'सबसे ज्यादा कागजी कार्रवाई से होती है परेशानी, लेकिन अब मिल जाएगी नागरिकता'

वहीं अनिल कुमार ने बताया कि वो दुग्गल कॉलोनी खानपुर में रहते हैं. लगभग दो-तीन हजार परिवार सिंधी समाज के इस खानपुर वार्ड में रहते हैं साल 1992 में ये लोग आए थे कुछ लोग 2012 में और कुछ लोग 2012 के बाद भी आए हैं. इस फैसले के बाद सभी में खुशी की लहर है. क्योंकि हमारे को सबसे ज्यादा परेशानी देश के अंदर कागजी कार्रवाई की होती थी इधर-उधर भागना पड़ता था अब इन सबसे छुटकारा मिल जाएगा और भारत की नागरिकता मिल जाएगी.

ये भी पढ़ें- CAA लागू होने के बाद जामिया कैंपस के बाहर कड़ी सुरक्षा, छात्रों के प्रदर्शन नारेबाजी के बाद अलर्ट

दिल्ली के खानपुर वार्ड में सिंधी परिवारों में खुशी

नई दिल्ली: केंद्र सरकार की ओर से CAA लागू करने के बाद अलग-अलग राज्यों में रह रहे पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से आए अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों में खुशी का माहौल है. राजधानी दिल्ली में मजनू का टीला, रोहिणी, छतरपुर, आदर्श नगर जैसे इलाकों में भी देर रात जश्न देखने को मिला.

राजधानी दिल्ली के अंबेडकर नगर विधानसभा क्षेत्र के दुग्गल कॉलोनी, राजू पार्क और कृष्णा पार्क में भी बड़ी संख्या में पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थी रह रहे हैं. सिंधी समाज से ताल्लुक रखने वाले हिंदू शरणार्थियों ने नागरिकता संशोधन कानून बिल के लागू किए जाने पर खुशी जाहिर की है और जश्न मना कर एक दूसरे को मिठाई खिलाई. इस दौरान सिंधी समुदाय के लोगों ने अपने समुदाय के द्वारा कृष्णा पार्क में बनाए गए झूलेलाल लाल साई मंदिर में पूजा पाठ का भी आयोजन करवाया. देर रात तक पूजा पाठ का आयोजन चला और यहां सिंधी समाज के सभी लोग इकट्ठा भी हुए और सभी ने खुशी जाहिर की है.

ईटीवी भारत की टीम पहुंचे दिल्ली के खानपुर वार्ड में जहां बड़ी संख्या में सिंधी समुदाय के लोग रह रहे हैं. इनमें कुछ 1992 में पाकिस्तान से भाग कर अपना कारोबार छोड़कर यहां चले आए थे.

साल 2012 में पाकिस्तान से बॉर्डर क्रॉस कर आए थे दिल्ली

ईटीवी भारत से बातचीत में दिल्ली के कृष्णा पार्क में रहने वाले हरिजन दास कालरा ने बताया कि हम इस फैसले को सुनने के बाद बहुत खुश है. हम कई सालों से यहां पर बिना नागरिकता के रह रहे हैं जिसकी वजह से काफी दिक्कतें होती थी. बहुत सारी कागजी कार्रवाई से गुजरना पड़ता है. इधर-उधर दफ्तरों के चक्कर भी लगाकर परेशान होना पड़ता है. लेकिन आज सरकार ने जो फैसला लिया है हम उससे बहुत ही सहमत हैं और उसका स्वागत करते हैं. उनका कहना है कि 12 साल पहले 16 जुलाई 2012 को वो बॉर्डर क्रॉस करके भारत आए थे. 12 साल से देश की राजधानी दिल्ली में रह रहे हैं.

सिंधी समाज के लोगों ने मंदिर में इक्कठा होकर किया पूजा पाठ

ईटीवी भारत से बात करते हुए सरवन कुमार ने बताया कि आज हम लोग खुश हैं. भारत सरकार ने हर परिस्थिति में हमारा साथ दिया है। वहां से जब हम आए तो हम सब कुछ छोड़ कर आए थे कुछ भी साथ लेकर नहीं आए. खाली हाथ आना पड़ा था यहां पर आकर हमने काम शुरू किया, उस वक्त काफी परेशानियां थी लेकिन भारत में काफी सपोर्ट मिला और आज हम काफी खुश हैं कि हमें अब भारत की नागरिकता मिल जाएगी हम यहां के वाशिंदे बन जाएंगे. सबसे ज्यादा दिक्कत है हमें सिर्फ पेपर वर्क की होती थी हर महीने में रिन्यू कराना होता था इधर-उधर दफ्तरों के चक्कर लगाकर हम परेशान हो जाते थे अब इन सब चीजों से भी हमें छुटकारा मिल जाएगा.

'साल 1992 में आए थे दिल्ली, अपनी आंखों से जलते देखे थे मंदिर'

वही श्री चंद जो साल 1992 से राजधानी दिल्ली में रह रहे हैं, उन्होंने बताया कि साल 1992 के दौरान जब हिंदुस्तान के अंदर बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ था उसे दौरान पाकिस्तान में हिंदुओं पर काफी अत्याचार हुआ था हम लोगों के वहां जितने भी मंदिर थे सब को जला दिया गया. तोड़ दिया गया और वहां पर एकदम डर का माहौल था. किसी तरह हम लोग अपनी जान बचाकर वहां से निकले. उन्होंने ये भी कहा कि वहां पाकिस्तान के लोग हमसे कहते थे कि आप अपने हिंदुस्तान चले जाये. आपके लिए यहां कोई जगह नहीं है. उन्होंने ये भी बताया कि वहां महिलाओं को, बहन-बेटियों को दिनदहाड़े लोग उठा कर ले जाते थे जबरन धर्मांतरण होने लगा फिर हमने सोच लिया और अपने मां-बाप से कह दिया मैं यहां नहीं रहूंगा. उसके बाद में अपने बच्चों को लेकर दिल्ली आ गया. उन्होंने ये भी बताया कि मुझे और मेरी पत्नी को तो भारत की नागरिकता मिल गई है लेकिन मेरे बच्चों को अभी नहीं मिल पाई है.

पाकिस्तान से आकर दिल्ली में की मजदूरी

वहीं ओमप्रकाश खुराना ने बताया कि वो साल 2012 में दिल्ली में आए थे. वहां पर काफी मुश्किलें आती थी. हम लोग अपना मकान घर जमीन जायदाद सब कुछ छोड़कर हिंदुस्तान आए क्योंकि वहां पर हमें घुटन महसूस हो रही थी हमारे साथ अत्याचार हो रहा था और कभी भी जान जा सकती थी. वहां पर ना तो हमें कोई कारोबार करने देते थे बहुत जुल्म हमारे ऊपर वहां हो रहा था. वहां के मुसलमान समुदाय के लोग घरों में घुसकर लूटपाट करते थे जबरन मारपीट करते थे और वहां की सरकार भी उन लोगों का सपोर्ट करती थी. उन्होंने कहा कि आज हमें बहुत खुशी हो रही है कि केंद्र की मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून को लागू कर दिया है अब हम भारत के वाशिंदे बन जाएंगे और हमें नागरिकता मिल जाएगी.

ये भी पढ़ें- दिल्ली में पुलिस और बदमाशों के बीच मुठभेड़, हाशिम बाबा गिरोह के तीन बदमाश घायल

'सबसे ज्यादा कागजी कार्रवाई से होती है परेशानी, लेकिन अब मिल जाएगी नागरिकता'

वहीं अनिल कुमार ने बताया कि वो दुग्गल कॉलोनी खानपुर में रहते हैं. लगभग दो-तीन हजार परिवार सिंधी समाज के इस खानपुर वार्ड में रहते हैं साल 1992 में ये लोग आए थे कुछ लोग 2012 में और कुछ लोग 2012 के बाद भी आए हैं. इस फैसले के बाद सभी में खुशी की लहर है. क्योंकि हमारे को सबसे ज्यादा परेशानी देश के अंदर कागजी कार्रवाई की होती थी इधर-उधर भागना पड़ता था अब इन सबसे छुटकारा मिल जाएगा और भारत की नागरिकता मिल जाएगी.

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