लखनऊ: 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद, एक नई लड़ाई उभरी जिसने भारत के मूल ढांचे को खतरे में डाल दिया था. इन सब में पंजाब बढ़ते सांप्रदायिक तनाव का केंद्र बन गया था. जहां हिंदू और सिख समुदाय हिंसा से अलग हो गए, और छाया में छिपे पाकिस्तान की आईएसआई ने कलह की आग को हवा दी थी. बंदा सिंह चौधरी राजनीतिक उथल-पुथल की एक और कहानी नहीं है. यह वफादारी और राष्ट्र की आत्मा की रक्षा के लिए लड़ाई की एक दिल दहला देने वाली गाथा है. अराजकता के बीच एकता की तलाश करने वाले टूटे हुए समुदायों की कहानी को दमदार तरीके से दर्शाती है. यह बातें सोमवार को बॉलीवुड एक्टर अरबाज खान ने कहीं.
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उन्होंने कहा, कि शानदार अभिनय और एक मनोरंजक कहानी के साथ, बंदा सिंह चौधरी दर्शकों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव होने वाला है. जब यह फिल्म 25 अक्टूबर को सिनेमाघरों में आएगी, तो एक ऐसी कहानी के लिए खुद को तैयार रखें जो इतिहास से परे है, एकता और राष्ट्र के लिए दिल से लड़ने का क्या मतलब होता है, यह आपको फिल्म के है सीन में दिखेगा.
फिल्म अभिनेता अरशद वारसी ने कहा, कि लखनऊ आना हमेशा से यादगार रहता है. लखनऊ के तहजीब और ज़ायके की अलग ही बात है. शहर में आते ही एक मुस्कान चेहरे पर आती है, यहां के लोगों की अदब ही उन्हें दूसरों से अलग बनाती है. अरबाज खान प्रोडक्शन, सीमलेस प्रोडक्शंस एलएलपी और अक्स मूवीज एंड एंटरटेनमेंट के सहयोग के बैनर तले बनी फिल्म बंदा सिंह चौधरी जिसका निर्माण अरबाज खान और मनीष मिश्रा ने किया है.
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