समस्तीपुर: लोकसभा चुनाव के इस दंगल में कई वैसे उम्मीदवार चुनावी ताल ठोक रहे हैं, जिनकी पृष्ठभूमि वोटरों के लिए चर्चा का विषय बनी हुई है. इसी कड़ी में समस्तीपुर लोकसभा सीट से जंग में शामिल हुए एक निर्दलीय उम्मीदवार रवि रौशन कुमार भी सुर्खियों में बने हैं. जिन्होंने सरकारी नौकरी को छोड़कर सियासत में कदम रखा है. वैसे वर्तमान में वह जिला पार्षद सदस्य हैं और उनकी कोशिश इस जंग में बड़े सूरमाओं को पटकनी देने की है.
सरकारी नौकरी से दिया इस्तीफा: समस्तीपुर लोकसभा सीट पहले ही बिहार की सियासत में खास रसूख रखने वाले कद्दावर नेताओं की अगली पीढ़ी की एंट्री की वजह से हॉट सीट बन गया है. वहीं इस दंगल के रिंग में कई निर्दलीय उम्मीदवार भी अपनी ताकत दिखाने में जुटे हैं. वैसे इन नामों में एक नाम यहां के वोटरों को आकर्षित कर रहा. दरअसल शिक्षा बीटेक की और कैरियर भारत सरकार के एक संस्थान में होने के बावजूद राजनीति का रंग ऐसा चढ़ा की सब छोड़ रवि रौशन कुमार इस चुनावी दंगल के उतर गए.
समस्तीपुर से बने निर्दलीय उम्मीदवार: दरसअल जिले के कल्याणपुर क्षेत्र संख्या एक से जिला पार्षद सदस्य रवि रौशन कुमार, जिन्होंने ओडिशा से बीटेक की पढ़ाई की है. यही नहीं वो भारत सरकार के खेल मंत्रालय में नौकरी से इस्तीफा देकर सियासत में कूद पड़े हैं. उन्होंने शुरुआत अपने क्षेत्र से जिला पार्षद का चुनाव लड़कर की और वहां बड़े अंतर से सफल भी रहे. वंही अब इस सीट पर बतौर निर्दलीय उम्मीदवार ताल ठोक रहे हैं.
कांटे की होगी टक्कर: समस्तीपुर में जेडीयू के दो मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. इस बार समस्तीपुर लोकसभा सीट से इन दोनों मंत्रियों के बच्चे आमने-सामने हैं. मंत्री अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी को चिराग पासवान की एलजेपीआर से टिकट मिला है तो वहीं मंत्री महेश्वर हजारी के बेटे सन्नी हजारी को कांग्रेस ने ने उम्मीदवार बनाया है. दोनों ही मंत्री मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी हैं.
"इस सुरक्षित सीट पर काफी अरसे से धन-बल के साथ बड़े सियासी परिवारों का ही कब्जा रहा है. सीट भले सुरक्षीत है लेकिन यहां के पिछड़ों की कभी भागीदारी नहीं दिखती है. इसलिए मैं इस बार यहां से निर्दलीय लड़ रहा हूं."- रवि रौशन कुमार, निर्दलीय उम्मीदवार