नई दिल्ली/नोएडा: ग्रेटर नोएडा के बिसरख गांव स्थित शिव मंदिर में जहां रावण पूजा किया करता था, उस प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर में देखा जाए तो आज तक रावण की कोई मूर्ति स्थापित नहीं है. पर अब शिव मंदिर में दशानन के स्थापना की तैयारी हो गई है. यह जानकारी ईटीवी भारत से बातचीत में मंदिर के महंत रामदास जी के द्वारा दी गई.
रावण की 4 फीट लंबी मूर्ति मंदिर में होगी स्थापित : मंदिर के महंत रामदास ने बताया कि रावण की 4 फीट लंबी मूर्ति जोकि एक सिर वाली होगी, जो बहुत जल्द स्थापित की जाएगी. वहीं रावण के 10 सिरों की मूर्ति आगामी दशहरे के दौरान स्थापित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि एक सिर की मूर्ति पूरी तरह से बनकर तैयार है और उसे एक अच्छा मुहूर्त देखकर बहुत जल्द स्थापित करने का काम किया जाएगा.
अच्छा शुभ मुहूर्त देखकर जल्द होगी मूर्ति स्थापित : कई वर्षों से यहां पर पूजा कर रहे महंत राम दास जी के द्वारा अब एक अच्छा शुभ मुहूर्त देखकर बहुत जल्द दशानन रावण की एक मूर्ति राम सीता लक्ष्मण के बगल में स्थापित किए जाने का निर्णय लिया गया है. इस मूर्ति को स्थापित किए जाने के बाद एक अन्य विशालकाय दशानन की 10 सिरों वाली मूर्ति भी इसी मंदिर में एक अन्य स्थान पर स्थापित करने का काम किया जाएगा.
2025 में आने वाले दशहरे के दिन दशानन की होगी स्थापना : मूर्ति बनाने का काम जहां तेजी से किया जा रहा है. वहीं मूर्ति को स्थापित करने का समय आगामी 2025 में आने वाले दशहरे के दिन किया जाएगा. मंदिर के महंत रामदास जी के द्वारा बताया गया कि रावण की मूर्ति स्थापित किए जाने के पीछे उद्देश्य रावण की बुराइयों के साथ ही रावण की अच्छाइयों को भी प्रदर्शित करने का है. उन्होंने कहा कि तीनों लोकों में देखा जाए तो रावण से अधिक विद्वान और बलशाली कोई नहीं था .
मंदिर को लेकर महंत रामदास ने दी जानकारी : महंत रामदास ने दी जानकारी : शिव के मंदिर में रावण की मूर्ति स्थापित की जाने के संबंध में जानकारी देते हुए मंदिर के महंत रामदास ने बताया कि आज भी लोग सिर्फ बिसरख गांव के ही नहीं बल्कि नोएडा एनसीआर क्षेत्र से आने वाले लोग रावण की फोटो की पूजा करते हैं. वहीं आने वाले लोग शिव मंदिर कहने की बजाय रावण का मंदिर ही कहते हैं. जब इस मंदिर को रावण का मंदिर कहा जाता है, तो यहां रावण की मूर्ति स्थापित होने में कोई बुराई नहीं है. उन्होंने कहा कि हर इंसान में अच्छाई और बुराई होती है, पर हमें इंसान की बुराइयों से ज्यादा उसकी अच्छाइयों को देखना चाहिए. रावण भले ही दुनिया के निगाह में गलत था, पर उसकी तमाम अच्छाईयों और एक प्रकाण्ड विद्वान होने के कई प्रमाण है .
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