रतलाम। सभी कैटेगरी में टॉप 3 स्कूलों को अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिलेगा. जिसकी रेस में रतलाम का यह शासकीय स्कूल है. इस उपलब्धि पर स्कूल में स्टूडेंट्स ने टीचर्स के साथ जश्न मनाया. गौरतलब है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का ड्रीम प्रोजेक्ट अब मध्य प्रदेश के सभी जिलों में आकार लेने लगा है. रतलाम स्थित विनोबा सीएम राइज स्कूल ने महज दो साल में वह मुकाम हासिल किया है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर के निजी स्कूलों को भी नहीं मिल पाया है.
अन्य स्कूल भी ले सकते हैं प्रेरणा
यहां पढ़ने वाले 577 छात्रों में से 525 छात्रों ने अलग-अलग क्षेत्र में अचीवमेंट हासिल किया है. यही वजह है कि मोटी फीस देकर बड़े निजी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने वाले पैंरेट्स अब बच्चों का दाखिला इस सरकारी स्कूल में करवाना चाहते हैं. इस स्कूल को लाइट हाउस बनाया गया है. जिसके माध्यम से अब अन्य स्कूल भी यहां के प्रदर्शन से प्रेरणा ले सकेंगे.आखिर रतलाम के इस सरकारी स्कूल में ऐसा क्या परिवर्तन आया कि अब बहुत से पालक अपने बच्चों को निजी स्कूलों से निकालकर शासकीय स्कूल में भर्ती करवाना चाहते हैं. इस सवाल का जवाब इस स्कूल में आते ही मिल जाता है.
मॉडर्न तरीके से टीचर्स कराते हैं स्टडी
इस स्कूल में अंग्रेजी और हिंदी माध्यम दोनों में बच्चों को पढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीक से लेकर जिले के बेस्ट टीचर यहां मौजूद हैं. इस स्कूल को अंतरराष्ट्रीय स्तर का स्कूल बनाने के लिए यहां के राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक गजेंद्र सिंह राठोर ने शिक्षकों के साथ मिलकर दिन-रात मेहनत की और उसके नतीजे के रूप में स्कूल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है. इससे रतलाम के शहरवासी भी बहुत खुश हैं.
कैसे तैयार हुआ सीएम राइज स्कूल
सबसे पहले हर तहसील में खोले जाने वाले इन स्कूलों में पढ़ाने के लिए शिक्षकों की परीक्षा आयोजित की गई. जिले के बेस्ट शिक्षकों की टीम तैयार करने के बाद उन्हें ट्रेनिंग दी गई. स्कूल में आधुनिक तकनीक से शिक्षा देने के लिए हर प्रकार के संसाधन उपलब्ध करवाए गए. क्लास रूम के अलावा प्रायोगिक शिक्षा पर भी जोर दिया गया. कमजोर छात्रों पर अतिरिक्त ध्यान दिया गया. जिससे 35% रिजल्ट देने वाले विनोबा स्कूल का कायाकल्प दो साल में ऐसा हुआ कि यहां का रिजल्ट अब 93 प्रतिशत से अधिक है.