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दुबई की पोशाक में सज धज कर भगवान जगन्नाथ हुए इंद्र विमान में सवार, अलवर के बाशिंदों ने बिछाए पलक पावड़े - Alwar Jagannath Temple

अलवर के भगवान जगन्नाथ मंदिर में 17 जुलाई को भगवान का विवाह किया जाएगा. सोमवार शाम को भगवान जगन्नाथ मंदिर प्रांगण से बाहर आए और इंद्र विमान में सवार होकर रूपबास स्थित रूप हरि मंदिर के लिए रवाना हुए. भगवान की रथ यात्रा को बारात के रूप में माना जाता है. इस दिन जिस तरह से दूल्हे को तैयार किया जाता है, उसी तरह भगवान जगन्नाथ को दुबई से तैयार कर लाई गई पोशाक पहनाई गई.

ALWAR JAGANNATH TEMPLE
अलवर का भगवान जगन्नाथ मंदिर (PHOTO : ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 16, 2024, 7:34 AM IST

Updated : Jul 16, 2024, 8:27 AM IST

भगवान जगन्नाथ हुए इंद्र विमान में सवार (VIDEO : ETV BHARAT)

अलवर. शहर में सोमवार शाम को भगवान जगन्नाथ मंदिर प्रांगण से बाहर आए और इंद्र विमान में सवार होकर रूपबास स्थित रूप हरि मंदिर के लिए रवाना हुए. भगवान जगन्नाथ के मंदिर प्रांगण से बाहर निकलते ही श्रद्धालुओं ने जय जगन्नाथ के जयकारे लगाए. भगवान जगन्नाथ के दर्शन को आतुर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए. इससे पहले अलवर जिला कलेक्टर आशीष गुप्ता व पुलिस अधिक्षक आनंद शर्मा द्वारा मंदिर में गोलक पूजन कर आरती की गई. इसके बाद पुलिस के जवानों द्वारा भगवान जगन्नाथ को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया.

मंदिर के महंत राजेंद्र शर्मा ने बताया कि भगवान जगन्नाथ मंदिर परिसर से इंद्र विमान में सवार होकर शाही लवाजमें के साथ रवाना हुए. जैसे ही भगवान जगन्नाथ गर्भ गृह से बाहर आए, तो श्रद्धालुओं ने जयकारों व गीतों के साथ भगवान का स्वागत किया. राजेंद्र शर्मा ने कहा कि आज की विशेष अवसर पर भगवान जगन्नाथ को दुबई से तैयार कर लाई गई पोशाक पहनाई गई. रथ यात्रा के दौरान अनेक झांकियां, हाथी, घोड़े, इस्कॉन मंडली, पानी की प्याऊ, पट्टेबाज के करतब, तलवारबाजी सहित अन्य झांकियां भी शामिल रही. महंत ने बताया कि इस बार अयोध्या के श्री राम मंदिर का बड़ा मॉडल भी झांकी में शामिल रहा.

मंदिर की सीढ़ियो से रथ तक पहुंचने में लगे 30 मिनट : महंत राजेंद्र शर्मा ने कहा कि श्रद्धालुओं को इस दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है. जब उनके आराध्य इंद्र विमान में सवार होकर शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए रूपवास स्थित रूप हरि मंदिर पहुंचते हैं. शहर के मार्गों पर श्रद्धालु भक्ति रस में झूमते हुए पलक पांवड़े बिछाकर भगवान जगन्नाथ का स्वागत करते हैं. रथ में विराजित होने के लिए जाते समय मंदिर प्रांगण के अंदर व बाहर दोनों ही तरफ काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे. इसी के चलते भगवान जगन्नाथ को मंदिर की 24 सीढ़ीयों से इंद्र विमान तक पहुंचाने में करीब 30 मिनट का समय लगा.

इसे भी पढ़ें : जगन्नाथ की शादी : भगवान जगन्नाथ ने भक्तों को दिए दूल्हा रुप में दर्शन, केंद्रीय मंत्री आरती में हुए शामिल - Lord Jagannath In Alwar

दुबई की पोशाक व इत्र से महके जगन्नाथ : मंदिर के महंत राजेंद्र शर्मा ने बताया कि भगवान की रथ यात्रा को बारात के रूप में माना जाता है. इस दिन जिस तरह से दूल्हे को तैयार किया जाता है, उसी तरह भगवान जगन्नाथ को दुबई से तैयार कर लाई गई पोशाक पहनाई गई. साथ ही भगवान जगन्नाथ दुबई से ही भक्त द्वारा भेजी गई इत्र लगाकर मंदिर से बाहर निकले. रात 12 बजे तक तय किया आधा सफर अलवर के पुराना कटला सुभाष चौक स्थित जगन्नाथ मंदिर से रूपवास स्थित रूप हरि मंदिर की दूरी करीब 8 किलोमीटर की है. जिसे तय करने में करीब 9 घंटे का समय लगता है. भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा रात 12 बजे तक आधी दूरी तय कर अशोक सर्किल तक पहुंची. अलवर के जगन्नाथ मंदिर से अशोक सर्किल तक पूरे मार्ग पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रही. इस दौरान भक्त भगवान के दर्शन को आतुर दिखाई दिए.

मार्ग में आने वाले मंदिरों में हुई भगवान की आरती : महंत राजेंद्र शर्मा ने बताया कि रथ यात्रा के मार्ग में आने वाले बड़े छोटे करीब 60 मंदिरों में भगवान जगन्नाथ की आरती की मंदिरों के महंत द्वारा उतारी गई. इन मंदिरों में त्रिपोलिया मंदिर, गणेश मंदिर, होप सर्कस स्थित शिव मंदिर, सरस्वती मंदिर, हनुमान मंदिर सहित अन्य मंदिर में भगवान जगन्नाथ की आरती कर आगे रवाना किया गया.

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में कई झांकियां शामिल थीं. इस रथ यात्रा में श्रद्धालुओं का सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र वृंदावन की इस्कॉन मंडली, हरियाणा की बम रसिया, पंजाब की बैक पाइपर बैंड आकर्षण का केंद्र रही. साथ ही मार्शल आर्ट वाले छोटे-छोटे बच्चों के करतबों ने श्रद्धालुओ को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया.

सुबह 4 बजे रुप हरि मंदिर पहुंचे भगवान जगन्नाथ शाम 7:30 बजे जगन्नाथ मंदिर से रवाना हुई रथ यात्रा सुबह करीब 4 बजे रूपबास स्थित रुप हरि मंदिर पहुंची. सीताराम जी ने भगवान जगन्नाथ की आगवानी की. रथ यात्रा पहुंचने के साथ ही रुपबास में 4 दिवसीय मेले की शुरुआत हो गई. 17 जुलाई को मंदिर परिसर में वरमाला महोत्सव का आयोजन होगा, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहेंगे.

भगवान जगन्नाथ हुए इंद्र विमान में सवार (VIDEO : ETV BHARAT)

अलवर. शहर में सोमवार शाम को भगवान जगन्नाथ मंदिर प्रांगण से बाहर आए और इंद्र विमान में सवार होकर रूपबास स्थित रूप हरि मंदिर के लिए रवाना हुए. भगवान जगन्नाथ के मंदिर प्रांगण से बाहर निकलते ही श्रद्धालुओं ने जय जगन्नाथ के जयकारे लगाए. भगवान जगन्नाथ के दर्शन को आतुर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए. इससे पहले अलवर जिला कलेक्टर आशीष गुप्ता व पुलिस अधिक्षक आनंद शर्मा द्वारा मंदिर में गोलक पूजन कर आरती की गई. इसके बाद पुलिस के जवानों द्वारा भगवान जगन्नाथ को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया.

मंदिर के महंत राजेंद्र शर्मा ने बताया कि भगवान जगन्नाथ मंदिर परिसर से इंद्र विमान में सवार होकर शाही लवाजमें के साथ रवाना हुए. जैसे ही भगवान जगन्नाथ गर्भ गृह से बाहर आए, तो श्रद्धालुओं ने जयकारों व गीतों के साथ भगवान का स्वागत किया. राजेंद्र शर्मा ने कहा कि आज की विशेष अवसर पर भगवान जगन्नाथ को दुबई से तैयार कर लाई गई पोशाक पहनाई गई. रथ यात्रा के दौरान अनेक झांकियां, हाथी, घोड़े, इस्कॉन मंडली, पानी की प्याऊ, पट्टेबाज के करतब, तलवारबाजी सहित अन्य झांकियां भी शामिल रही. महंत ने बताया कि इस बार अयोध्या के श्री राम मंदिर का बड़ा मॉडल भी झांकी में शामिल रहा.

मंदिर की सीढ़ियो से रथ तक पहुंचने में लगे 30 मिनट : महंत राजेंद्र शर्मा ने कहा कि श्रद्धालुओं को इस दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है. जब उनके आराध्य इंद्र विमान में सवार होकर शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए रूपवास स्थित रूप हरि मंदिर पहुंचते हैं. शहर के मार्गों पर श्रद्धालु भक्ति रस में झूमते हुए पलक पांवड़े बिछाकर भगवान जगन्नाथ का स्वागत करते हैं. रथ में विराजित होने के लिए जाते समय मंदिर प्रांगण के अंदर व बाहर दोनों ही तरफ काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे. इसी के चलते भगवान जगन्नाथ को मंदिर की 24 सीढ़ीयों से इंद्र विमान तक पहुंचाने में करीब 30 मिनट का समय लगा.

इसे भी पढ़ें : जगन्नाथ की शादी : भगवान जगन्नाथ ने भक्तों को दिए दूल्हा रुप में दर्शन, केंद्रीय मंत्री आरती में हुए शामिल - Lord Jagannath In Alwar

दुबई की पोशाक व इत्र से महके जगन्नाथ : मंदिर के महंत राजेंद्र शर्मा ने बताया कि भगवान की रथ यात्रा को बारात के रूप में माना जाता है. इस दिन जिस तरह से दूल्हे को तैयार किया जाता है, उसी तरह भगवान जगन्नाथ को दुबई से तैयार कर लाई गई पोशाक पहनाई गई. साथ ही भगवान जगन्नाथ दुबई से ही भक्त द्वारा भेजी गई इत्र लगाकर मंदिर से बाहर निकले. रात 12 बजे तक तय किया आधा सफर अलवर के पुराना कटला सुभाष चौक स्थित जगन्नाथ मंदिर से रूपवास स्थित रूप हरि मंदिर की दूरी करीब 8 किलोमीटर की है. जिसे तय करने में करीब 9 घंटे का समय लगता है. भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा रात 12 बजे तक आधी दूरी तय कर अशोक सर्किल तक पहुंची. अलवर के जगन्नाथ मंदिर से अशोक सर्किल तक पूरे मार्ग पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रही. इस दौरान भक्त भगवान के दर्शन को आतुर दिखाई दिए.

मार्ग में आने वाले मंदिरों में हुई भगवान की आरती : महंत राजेंद्र शर्मा ने बताया कि रथ यात्रा के मार्ग में आने वाले बड़े छोटे करीब 60 मंदिरों में भगवान जगन्नाथ की आरती की मंदिरों के महंत द्वारा उतारी गई. इन मंदिरों में त्रिपोलिया मंदिर, गणेश मंदिर, होप सर्कस स्थित शिव मंदिर, सरस्वती मंदिर, हनुमान मंदिर सहित अन्य मंदिर में भगवान जगन्नाथ की आरती कर आगे रवाना किया गया.

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में कई झांकियां शामिल थीं. इस रथ यात्रा में श्रद्धालुओं का सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र वृंदावन की इस्कॉन मंडली, हरियाणा की बम रसिया, पंजाब की बैक पाइपर बैंड आकर्षण का केंद्र रही. साथ ही मार्शल आर्ट वाले छोटे-छोटे बच्चों के करतबों ने श्रद्धालुओ को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया.

सुबह 4 बजे रुप हरि मंदिर पहुंचे भगवान जगन्नाथ शाम 7:30 बजे जगन्नाथ मंदिर से रवाना हुई रथ यात्रा सुबह करीब 4 बजे रूपबास स्थित रुप हरि मंदिर पहुंची. सीताराम जी ने भगवान जगन्नाथ की आगवानी की. रथ यात्रा पहुंचने के साथ ही रुपबास में 4 दिवसीय मेले की शुरुआत हो गई. 17 जुलाई को मंदिर परिसर में वरमाला महोत्सव का आयोजन होगा, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहेंगे.

Last Updated : Jul 16, 2024, 8:27 AM IST
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