लखनऊ : 20वीं सदी की शुरुआत से यूपी की राजनीति में महापुरुषों की स्मृति में विकसित किए गए पार्कों का महत्व बढ़ने लगा. बहुत जल्द ही राष्ट्र प्रेरणा स्थल का भी लोकार्पण होगा. भाजपा सरकार के इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व भाजपा से जुड़े महापुरुषों की प्रतिमाएं लगाई जाएंगी. इससे पहले समाजवादी पार्टी की सरकार में लोहिया और जनेश्वर मिश्र के नाम पर पार्क बने. जबकि मायावती की सरकार जब-जब रही दलित महापुरुषों से जुड़े पार्कों के जमकर निर्माण किए गए. खर्च के मामले में मायावती सरकार सबसे आगे रही. अब से 15 साल पहले बने उनके पार्कों में लगभग 5 हजार करोड़ रुपए का खर्चा आया. माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 मार्च को राष्ट्र प्रेरणा स्थल का लोकार्पण कर सकते हैं. इस पार्क में श्यामा प्रसाद मुखर्जी, अटल बिहारी वाजपेयी और दीनदयाल उपाध्याय जैसे नेताओं की प्रतिमाएं लगाई जा रही हैं.
काफी चर्चा में रहे लखनऊ और नोएडा में बनाए गए पार्क : बसपा सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के समय में लखनऊ और नोएडा में बनाए गए पार्क काफी चर्चा में रहे. इनमें भ्रष्टाचार के मामले की जांच सीबीआई तक पहुंच चुकी है. कई बार अदालत को यहां निर्माण संबंधित कार्यों में दखल देना पड़ा. लखनऊ की गोमती नगर में डॉ. भीमराव अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल, डॉ भीमराव अम्बेडकर प्रतीक स्थल, डॉ. भीमराव अंबेडकर गोमती उद्यान के अलावा कानपुर रोड पर बुद्ध विहार स्मृति उपवन, कांशीराम स्मारक स्थल, कांशीराम ईको गार्डन और नोएडा में दलित चेतना स्थल का निर्माण कराया गया था.
2011 तक इन स्मारकों और पार्कों के निर्माण पर लगभग पांच हजार करोड़ रुपए का खर्च आया था. जिसमें भ्रष्टाचार संबंधित मामलों में अब तक जांच चल रही है. मायावती की खुद की विशालकाय प्रतिमाएं यहां लगाई गई हैं. डॉ भीमराव अंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल में हाथी दीर्घा बहुत चर्चा में रही थी. यहां पत्थर का विशाल हाथी लगाया गया, जिसकी कीमत करीब 60 लाख रुपए थी. दर्जनों हाथी एक साथ लगाए गए हैं. डॉ भीमराव अंबेडकर, कांशीराम, मायावती के अलावा अनेक दलित महापुरुषों की विशालकाय प्रतिमाएं यहां स्थापित की गईं.
डॉ राम मनोहर लोहिया व जनेश्वर मिश्र के नाम पर बनाए गए पार्क : समाजवादी पार्टी की सरकारों के समय में डॉ राम मनोहर लोहिया और जनेश्वर मिश्र के नाम पर पार्क बनाए गए. जब मुलायम सिंह मुख्यमंत्री रहे तब डॉ. राम मनोहर लोहिया के नाम पर गोमती नगर और चौक में दो पार्क बनाए गए. जबकि, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के समय में एशिया का सबसे बड़ा पार्क जोकि करीब 300 एकड़ में बनाया गया, वह गोमती नगर विस्तार में विकसित किया गया. जनेश्वर मिश्र पार्क पर लगभग 300 करोड़ रुपए का खर्च आया. 2012 में इस पार्क का लोकार्पण किया गया था. डॉ. लोहिया और जनेश्वर पार्क की यह खूबी रही कि इसमें हरियाली और सुंदरता को लोगों ने बहुत पसंद किया.
भारतीय जनता पार्टी भी नहीं रही पीछे : पार्कों के निर्माण को लेकर अब भारतीय जनता पार्टी भी पीछे नहीं रही है. कल्याण सिंह जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तब चारबाग में पंडित दीनदयाल उपाध्याय पार्क बनाया गया था. लेकिन, योगी आदित्यनाथ की दूसरी सरकार में एक बड़ा पार्क हरदोई रोड की बसंत कुंज योजना में बनाया जा रहा है. जिस पर लगभग 200 करोड़ रुपए का खर्च आ रहा है. इसमें श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय और अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा स्थापित की जा रही है.
प्रतिमाओं के माध्यम से दिए जाते हैं राजनीतिक संदेश : समय-समय पर अलग सरकारों में महापुरुषों की प्रतिमाओं के माध्यम से राजनीतिक संदेश दिए जाते रहे हैं. बसपा, सपा और बीजेपी सभी अपनी विचारधारा से जुड़े महापुरुषों की मूर्तियां स्थापित करके राजनीतिक दल अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए इच्छुक होते हैं. ऐसा ही उत्तर प्रदेश में अलग समय पर होता है. कुछ वैसा ही बीजेपी कर रही है.
इस विषय पर राजनीतिक विश्लेषक रतिभान त्रिपाठी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में यह परंपरा पुरानी है. समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और भारतीय जनता पार्टी तीनों इस तरह के पार्क बनवा चुके हैं, जहां प्रतिमाएं स्थापित हैं. जिसमें बहुजन समाज पार्टी के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के मामले सामने आए थे. लेकिन, समाजवादी पार्टी के पार्क हरियाली वाले थे और लोगों ने आज भी उनका फायदा उठाया है. भाजपा एक छोटा पार्क बनवा रही है. जिसकी लागत केवल 200 करोड़ रुपए है. यह अपने महापुरुषों को याद करने का एक तरीका है.