सिरमौर/श्री रेणुका जी: हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी प्राकृतिक झील श्री रेणुका जी में कछुओं का कुनबा बढ़ रहा है. हाल ही में कुछ ही समय पहले यहां कछुए की एक और खास प्रजाति स्पॉटेड ब्लैक पॉन्ड टर्टल पाई गई है. लुप्तप्राय स्पॉटेड ब्लैक पॉन्ड टर्टल को यहां देखे जाने के बाद से ही वन्य प्राणी विभाग काफी उत्साहित है. साथ ही विभाग का मनोबल भी काफी बढ़ा है, क्योंकि स्पॉटेड ब्लैक पॉन्ड टर्टल यहां हिमाचल प्रदेश में पहली बार देखा गया है. इस टर्टल (कछुए) के साथ अब कछुओं की यहां कुल 5 प्रजातियां हो गई है, जो यहां आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बिंदु रहती हैं.
रेणुका लेक में पाए जाते हैं कई प्रजाति की मछलियां और कछुए
दरअसल सिरमौर जिला मुख्यालय नाहन से 37 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हिमाचल की सबसे बड़ी प्राकृतिक झील श्री रेणुका जी न केवल धार्मिक बल्कि पर्यटन की दृष्टि से भी पूरे उत्तर भारत में प्रसिद्ध है. यहां पर विभिन्न प्रकार के वन्य प्राणी व पक्षी मिनी जू में आकर्षण का केंद्र रहते हैं. यहां के शांत वातावरण और प्राकृतिक सौंदर्य के बीच स्थित वेटलैंड व रेणुका जी झील में स्थानीय कछुओं की कुछेक प्रजाति भी पाई जाती हैं, जो यहां आने वाले लोगों को काफी आकर्षित करती हैं. जब भी झील किनारे बड़ी-बड़ी मछलियों के बीच ये कछुए टहलते हुए पहुंचते हैं, तो बरबस ही यह पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं.
गंगा इंडस बेसिन में पाई जाती है कछुए की ये दुर्लभ प्रजाति
इसी बीच हाल ही में वन्य प्राणी विभाग को यहां दुर्लभ प्रजाति स्पॉटेड ब्लैक पॉन्ड टर्टल भी मिला है. ये प्रजाति गंगा इंडस बेसिन में पाई जाती है और अब ये खास कछुआ रेणुका जी में भी देख गया है, जो न केवल विभाग बल्कि हिमाचल प्रदेश के लिए भी बड़ी बात है. अहम बात यह है कि प्रदेश में यह पहली साइट है, जहां पर ये स्पॉटेड ब्लैक पॉन्ड टर्टल देखा गया है. यह बहुत ही दुर्लभ प्रजाति का कछुआ है. इस उपलब्धि के बाद से ही वन्य प्राणी विभाग काफी उत्साहित है और इस दिशा में लगातार निगरानी बनाए हुए है.
वन्य प्राणी विभाग शिमला के एसीएफ विनोद रांटा ने बताया, "रेणुका जी झील में अब तक करीब 4 स्थानीय प्रजातियों के टर्टल ही पाए जाते थे, लेकिन हाल ही में यहां बहुत दुर्लभ प्रजाति का स्पॉटेड ब्लैक पॉन्ड टर्टल भी स्पॉट किया गया है. टर्टल की यह प्रजाति गंगा इंडस बसीन में पाई जाती है और इसको यहां पर स्पॉट करना बहुत बड़ी बात है. साथ ही ये भी दर्शाता है कि श्री रेणुका जी वेटलैंड में पशु-पक्षी बहुत अच्छी हालत में हैं. प्रदेश की ये पहली साइट होगी, जहां पर कछुए की ये प्रजाति पाई गई है. अभी तक यहां 4 अन्य स्थानीय प्रजाति के कछुए पाए जाते थे, लेकिन अब इस नई प्रजाति के आने से विभाग का मनोबल काफी बढ़ा है."
बता दें कि श्री रेणुका जी वेटलैंड को रामसर साइट में भी शामिल किया गया है और ये स्थान अब पर्यटन के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बना रहा है. रेणुका जी वेटलैंड में हर साल विदेशों से भी कई प्रजातियों के पक्षी पहुंचते हैं. ये रंग-बिरंगे पक्षी भी यहां लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनते हैं.