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रायपुर के राम मंदिर में रामनवमी पर्व का भव्य आयोजन, धूमधाम से मनाया जाएगा श्री राम जन्मोत्सव - Ram Navami 2024 - RAM NAVAMI 2024

Happy Sri Rama Navami,Ram Navami,Ram Navami 2024 LIVE Updates,Ram Navami 2024,Rama Navami, Rama: मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का जन्म उत्सव यानी कि रामनवमी का पर्व आज मनाया जा रहा है. इस अवसर पर राजधानी रायपुर के वीआईपी रोड स्थित राम मंदिर में श्री राम जन्मोत्सव का भव्य आयोजन किया गया है. सुबह से भगवान श्री राम जी के दर्शन करने भक्तों का तांता लगा हुआ है.

RAM NAVAMI 2024
राम नवमी पर्व
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 17, 2024, 4:02 AM IST

Updated : Apr 17, 2024, 12:48 PM IST

रामनवमी पर्व का महत्व

रायपुर: हिंदू धर्म में रामनवमी के दिन भगवान श्री राम की पूजा आराधना करने का बड़ा महत्व माना गया है. हर साल चैत्र नवरात्रि में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रामनवमी का पर्व मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस तिथि को भगवान श्री राम का जन्म हुआ था. यह चैत्र नवरात्रि का आखिरी दिन होता है. इस दिन से ही चैत्र नवरात्रि का समापन होता है. इस दिन मां सिद्धिदात्री, भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण जी और हनुमान जी की पूजा करने का विधान है. ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन के सभी कष्ट और दुखों से मुक्ति मिलती है.

नवरात्रि की नवमी तिथि क्यों है खास : महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला ने बताया, "नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तक नवरात्रि पर्व मनाई जाती है. नवरात्रि पर्व के दौरान नवमी तिथि विशेष महत्व रखता है. कुंवार नवरात्रि में इसे महानवमी के नाम से जाना जाता है और चैत्र नवरात्रि में इसे रामनवमी के नाम से जाना जाता है. नवरात्रि के नौ दिनों तक शक्ति की आराधना से पारब्रह्म परमेश्वर से साक्षात्कार होता है."

"नवमी तिथि के दिन भगवान श्री राम का जन्म हुआ था, इसलिए आज के दिन को रामनवमी के रूप में मनाई जाती है. रामनवमी के इस पर्व को भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मनाया जाता है. नवरात्रि पर्व की अंतिम तिथि नवमी तिथि कहलाती है. नवरात्र के अंतिम और आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा आराधना का दिन होता है." - पं मनोज शुक्ला, पुजारी, महामाया मंदिर

भगवान राम की पूजा का शुभ मुहुर्त: हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि की शुरुआत 16 अप्रैल को दोपहर 1:23 पर हो रहा है, जो 17 अप्रैल को दोपहर 3:15 पर इसका समापन होगा. उदया तिथि के अनुसार, 17 अप्रैल बुधवार के दिन रामनवमी का पर्व मनाया जाएगा. रामनवमी पर्व के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11:03 से लेकर दोपहर 1:36 तक रहेगा. भगवान श्री राम का जन्म मध्यान काल में हुआ था, इसलिए नवमी तिथि पर दोपहर के समय भगवान राम की पूजा का बड़ा महत्व है. चैत्र रामनवमी के दिन दोपहर 12:21 पर भगवान श्री राम के जन्म का समय माना गया है.

श्री राम जन्मोत्सव की पूजन सामग्री: रामनवमी में लगने वाले पूजा सामग्री के लिए राम दरबार में रोली, मौली धागा, अक्षत, चंदन, फल, फूल, माला, तुलसी दल, कपूर, पान, लौंग, इलाइची, गुलाल, अबीर, झंडे, केसर, पंचमेवा, पांच फल, हल्दी, दूध, शक्कर, गंगाजल दही, शहद, घी, मिठाई, पीले वस्त्र, धूप, रामायण की किताब, हवन सामग्री, तिल, नारियल का गोला, चंदन की लकड़ी, नीम की लकड़ी, आम का पत्ता, अश्वगंधा, बेल, गुलर की छाल और चावल सहित पूजा की सभी सामग्री एकत्रित कर पूजा की शुरुआत करें.

रामनवमी के दिन ऐसे करें श्री रामलला की पूजा:

  1. रामनवमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होने के बाद घर के मंदिर की साफ सफाई करें.
  2. सभी पूजा सामग्री एकत्रित कर एक छोटी चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर राम जी की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें.
  3. भगवान श्री राम का पंचामृत, केसर, दूध और गंगाजल से अभिषेक करें.
  4. सभी देवी देवताओं को फल, फूल, रोली, मौली धागा, इत्र धूप, दीप अर्पित करें.
  5. रामचरितमानस, रामायण, राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें.
  6. पूजा के बाद प्रसाद चढ़ाएं और सभी पकवानों में तुलसी का पत्र जरूर डालें.
  7. रामनवमी की पूजा में पंचामृत, धनिया की पंजीरी, मिठाई का भोग लगा सकते हैं.
  8. अंत में सभी देवी देवताओं की आरती कर पूजा समाप्त करें और सभी लोगों को प्रसाद वितरित करें.
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नोट: यहां प्रस्तुत सारी बातें पंडित जी की तरफ से बताई गई बातें हैं. इसकी पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता है.

रामनवमी पर्व का महत्व

रायपुर: हिंदू धर्म में रामनवमी के दिन भगवान श्री राम की पूजा आराधना करने का बड़ा महत्व माना गया है. हर साल चैत्र नवरात्रि में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रामनवमी का पर्व मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस तिथि को भगवान श्री राम का जन्म हुआ था. यह चैत्र नवरात्रि का आखिरी दिन होता है. इस दिन से ही चैत्र नवरात्रि का समापन होता है. इस दिन मां सिद्धिदात्री, भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण जी और हनुमान जी की पूजा करने का विधान है. ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन के सभी कष्ट और दुखों से मुक्ति मिलती है.

नवरात्रि की नवमी तिथि क्यों है खास : महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला ने बताया, "नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तक नवरात्रि पर्व मनाई जाती है. नवरात्रि पर्व के दौरान नवमी तिथि विशेष महत्व रखता है. कुंवार नवरात्रि में इसे महानवमी के नाम से जाना जाता है और चैत्र नवरात्रि में इसे रामनवमी के नाम से जाना जाता है. नवरात्रि के नौ दिनों तक शक्ति की आराधना से पारब्रह्म परमेश्वर से साक्षात्कार होता है."

"नवमी तिथि के दिन भगवान श्री राम का जन्म हुआ था, इसलिए आज के दिन को रामनवमी के रूप में मनाई जाती है. रामनवमी के इस पर्व को भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मनाया जाता है. नवरात्रि पर्व की अंतिम तिथि नवमी तिथि कहलाती है. नवरात्र के अंतिम और आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा आराधना का दिन होता है." - पं मनोज शुक्ला, पुजारी, महामाया मंदिर

भगवान राम की पूजा का शुभ मुहुर्त: हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि की शुरुआत 16 अप्रैल को दोपहर 1:23 पर हो रहा है, जो 17 अप्रैल को दोपहर 3:15 पर इसका समापन होगा. उदया तिथि के अनुसार, 17 अप्रैल बुधवार के दिन रामनवमी का पर्व मनाया जाएगा. रामनवमी पर्व के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11:03 से लेकर दोपहर 1:36 तक रहेगा. भगवान श्री राम का जन्म मध्यान काल में हुआ था, इसलिए नवमी तिथि पर दोपहर के समय भगवान राम की पूजा का बड़ा महत्व है. चैत्र रामनवमी के दिन दोपहर 12:21 पर भगवान श्री राम के जन्म का समय माना गया है.

श्री राम जन्मोत्सव की पूजन सामग्री: रामनवमी में लगने वाले पूजा सामग्री के लिए राम दरबार में रोली, मौली धागा, अक्षत, चंदन, फल, फूल, माला, तुलसी दल, कपूर, पान, लौंग, इलाइची, गुलाल, अबीर, झंडे, केसर, पंचमेवा, पांच फल, हल्दी, दूध, शक्कर, गंगाजल दही, शहद, घी, मिठाई, पीले वस्त्र, धूप, रामायण की किताब, हवन सामग्री, तिल, नारियल का गोला, चंदन की लकड़ी, नीम की लकड़ी, आम का पत्ता, अश्वगंधा, बेल, गुलर की छाल और चावल सहित पूजा की सभी सामग्री एकत्रित कर पूजा की शुरुआत करें.

रामनवमी के दिन ऐसे करें श्री रामलला की पूजा:

  1. रामनवमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होने के बाद घर के मंदिर की साफ सफाई करें.
  2. सभी पूजा सामग्री एकत्रित कर एक छोटी चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर राम जी की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें.
  3. भगवान श्री राम का पंचामृत, केसर, दूध और गंगाजल से अभिषेक करें.
  4. सभी देवी देवताओं को फल, फूल, रोली, मौली धागा, इत्र धूप, दीप अर्पित करें.
  5. रामचरितमानस, रामायण, राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें.
  6. पूजा के बाद प्रसाद चढ़ाएं और सभी पकवानों में तुलसी का पत्र जरूर डालें.
  7. रामनवमी की पूजा में पंचामृत, धनिया की पंजीरी, मिठाई का भोग लगा सकते हैं.
  8. अंत में सभी देवी देवताओं की आरती कर पूजा समाप्त करें और सभी लोगों को प्रसाद वितरित करें.
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नोट: यहां प्रस्तुत सारी बातें पंडित जी की तरफ से बताई गई बातें हैं. इसकी पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता है.

Last Updated : Apr 17, 2024, 12:48 PM IST
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