कुल्लू: भाई और बहन के रिश्ते का पवित्र त्यौहार रक्षाबंधन आज देशभर में मनाया जा रहा है. आज के दिन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने के लिए बहनें साल भर इंतजार करती हैं और भाई भी अपनी बहन को उपहार देते हैं. भारत के कई राज्यों में रक्षाबंधन को लेकर अलग-अलग मान्यताएं और परंपराएं भी हैं. हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में भी एक ऐसी ही अनोखी परंपरा है.
रक्षाबंधन पर कुल्लू की अनोखी परंपरा
कुल्लू जिले की इस परंपरा के मुताबिक रक्षाबंधन पर बहन अपने भाई के हाथ राखी तो बांधती है, लेकिन फिर उसे तोड़ने के लिए साली या फिर भारी में होड़ लगी रहती है. जबकि भाई को दशहरा उत्सव तक अपनी उस राखी की रक्षा करनी होती है. वहीं, रक्षाबंधन के दिन से ही साली या फिर भाभी की नजर भाई के हाथ पर बंधी हुई राखी पर रहती है और हंसी मजाक के बीच राखी तोड़ने की इस परंपरा का आज भी कुल्लू जिले में निर्वाह किया जाता है.
![RAKSHA BANDHAN 2024](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/18-08-2024/22233543_2.jpg)
साली-भाभी के बीच राखी तोड़ने की होड़
कुल्लू जिले की प्रसिद्ध पर्यटन नगरी मनाली के कुछ गांव में रक्षाबंधन से लेकर दशहरा तक राखी को लेकर जीजा-साली के बीच एक अनोखी प्रतियोगिता शुरू हो जाती है. यहां साली और भाभी को राखी का बेसब्री से इंतजार रहता है, ताकि भाभी अपने देवर और साली अपने जीजा की कलाई पर बांधी गई राखी को तोड़ सके. इसमें अगर साली ने अपने जीजा की राखी को दशहरे से पहले तोड़ दिया तो साली की जीत हो जाती है. अगर साली राखी को नहीं तोड़ पाई तो ऐसे में यह जीत जीजा की मानी जाती है और इस जीत को लेकर घर में जश्न भी मनाया जाता है.
आज भी जारी है ये अनूठी परंपरा
कई दशकों से चली आ रही जीजा साली की राखी तोड़ने की अनूठी परंपरा यहां निरंतर जारी है. स्थानीय लोगों के अनुसार मनाली क्षेत्र में करीब दो दशक पहले केवल पुरोहित ही लोगों को राखी बांधते थे, लेकिन अब बहनें अपने भाई को राखी बांधने के लिए उनके घर जाती हैं और वह इस त्योहार का पूरे साल इंतजार करती हैं.
![RAKSHA BANDHAN 2024](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/18-08-2024/22233543_1.jpg)
राखी तोड़ने की परंपरा के पीछे मान्यता
उझी घाटी के स्थानीय लोग विद्या नेगी, मोनिका ठाकुर, जसवंत ठाकुर, रोशन ठाकुर ने बताया कि बहन की ओर से जो भाई की कलाई पर राखी बांधी जाती है. उस डोर को दशहरे तक संभाल कर रखना होता है. अगर इससे पहले उनकी भाभी या साली ने राखी तोड़ दी तो भाई की हार मानी जाती है. ग्रामीणों का इस अनूठी परंपरा के पीछे एक तर्क ये भी है कि भाई को रक्षा के सारे सूत्र आने चाहिए. अगर भाई अपनी राखी को दशहरे तक बचाने में कामयाब होता है, तो वह अपनी बहन व समाज की रक्षा करने में भी सक्षम है. ऐसे ही हंसी मजाक के बीच इस अनूठी परंपरा का आज भी उझी घाटी के ग्रामीण इलाकों में निर्वहन किया जाता है.
आचार्य विजय कुमार का कहना है, "रक्षाबंधन के बाद राखी को खोलने के बारे में अलग-अलग जगह पर कई मान्यताएं हैं. कई जगह पर राखी को 24 घंटे के भीतर उतार दिया जाता है. कुछ जगह पर जन्माष्टमी के बाद राखी को खोलते हैं और उसे विसर्जित कर देते हैं. वैसे ही कुल्लू में दशहरा उत्सव के दौरान भगवान रघुनाथ के रथ पर भी राखी उतारी जाती है."