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राज्यसभा चुनाव 2024; अखिलेश यादव के सामने क्रॉस वोटिंग रोकने की बड़ी चुनौती, क्या होगी रणनीति - राज्यसभा चुनाव 2024

Rajya Sabha Election 2024: राज्यसभा चुनाव में यूपी में समाजवादी के तीन विधायक जेल में बंद हैं. इनको मतदान करने की अनुमति मिलेगी या नहीं, इसको लेकर अभी स्थिति साफ नहीं है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 18, 2024, 6:55 AM IST

राज्यसभा चुनाव 2024 में आंकड़ों के खेल पर संवाददाता धीरज त्रिपाठी की खास रिपोर्ट.

लखनऊ: राज्यसभा चुनाव 2024 में भाजपा ने समाजवादी पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. आठवां प्रत्याशी उतारकर भाजपा ने सपा के जीत के सियासी समीकरण खराब कर दिए हैं. अगर भाजपा का आठवां प्रत्याशी न आता तो सपा की पूरी तरह से जीत पक्की थी.

अब भाजपा ने पूंजीपति संजय सेठ को उतारकर सपा में सेंधमारी की प्रक्रिया शुरू कर दी है. भाजपा के आठवें प्रत्याशी की जीत के लिए जोर आजमाइश शुरू हो गई है. ऐसे में जब तक समाजवादी पार्टी में भाजपा सेंधमारी नहीं करेगी तब तक उसकी जीत पक्की नहीं है.

इसके साथ ही लोकसभा चुनाव से पहले सपा में टूट होने से रोकना सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. अगर एक भी विधायक या उससे अधिक भाजपा प्रत्याशी की तरफ गए तो इसका सन्देश ठीक नहीं जाएगा. अब अखिलेश को अपने विधायकों को सुरक्षित रखना बड़ी जिम्मेदारी है.

राज्यसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी को अपने आठवी प्रत्याशी संजय सेठ को जीतने के लिए 10 वोट और समाजवादी पार्टी को तीसरी सीट के लिए एक वोट की जरूरत पड़ेगी. भाजपा ने अपना एक और प्रत्याशी उतार कर राज्यसभा की 10 सीटों पर हो रहे चुनाव रोचक और दिलचस्प बना दिया है.

ऐसे में समाजवादी पार्टी के विधायकों में टूट होने के बड़े आसार नजर आ रहे हैं. उत्तर प्रदेश विधानसभा में विधायकों की संख्या की बात करें तो वर्तमान समय में 403 विधायकों में से ₹399 विधायक हैं. चार सीट इस समय रिक्त चल रही हैं. ऐसे में एक प्रत्याशी को जीतने के लिए 37 वोट की जरूरत पड़ेगी.

भारतीय जनता पार्टी गठबंधन को 8 सीट जीतने के लिए 296 वोट की जरूरत पड़ेगी. लेकिन वर्तमान समय में भाजपा गठबंधन के पास करीब 286 वोट हैं. जबकि समाजवादी पार्टी के पास वर्तमान समय में 108 वोट तो हैं. लेकिन उनके दो विधायक जेल में बंद हैं. उन्हें मतदान की अनुमति मिलना संभव नहीं है.

सपा को तीन सीट जीतने के लिए 111 वोट की आवश्यकता पड़ रही है. ऐसे में यदि कांग्रेस पार्टी के साथ इंडिया गठबंधन के अंतर्गत कांग्रेस के दो वोट समाजवादी पार्टी को मिलते हैं तो उन्हें एक वोट की जरूरत पड़ना स्वाभाविक है.

वर्तमान समय में तीन विधायक जेल में बंद हैं. इनमें सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के विधायक अब्बास अंसारी हैं. इसके अलावा रमाकांत यादव और इरफान सोलंकी समाजवादी पार्टी के विधायक भी आपराधिक मामलों में जेल में बंद हैं. इनको मतदान की अनुमति मिलना फिलहाल आसान नहीं है.

भाजपा गठबंधन में जिन दलों के पास जो वोट हैं, उसके अनुसार भाजपा के पास 252, अपना दल एस के पास 13 वोट, राष्ट्रीय लोकदल के पास नौ, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के पास छह वोट और निषाद पार्टी के पास छह विधायक हैं. इनमें से सुहेलदेव समाज पार्टी का एक विधायक अब्बास अंसारी जेल में बंद है.

ऐसे में भाजपा के कुल वोटरों में से एक वोट और कम पड़ रहा है. भाजपा के 285 वोट के साथ राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के दो विधायक भी उनके साथ आते हैं तो 287 वोट भारतीय जनता पार्टी गठबंधन के पास हैं. ऐसे में भाजपा को अपनी आठवीं सीट जीतने के लिए 9 और वोट की जरूरत पड़ने वाली है.

सूत्रों का दावा है कि भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व और संजय सेठ के संपर्क में करीब एक दर्जन समाजवादी पार्टी के विधायक हैं जो लोकसभा चुनाव 2024 नजदीक आते ही भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं. ऐसे में अब जब राज्यसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को विधायकों के वोट की जरूरत पड़ेगी तो इसी बहाने उन विधायकों की परीक्षा भी हो जाएगी.

यह विधायक राज्यसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के आठवीं प्रत्याशी संजय सेठ को वोट देकर भाजपा के प्रति अपनी निष्ठा जता सकते हैं. इसके साथ ही सूत्रों का दावा है कि जो भी विधायक भारतीय जनता पार्टी के संपर्क में है उन्हें भाजपा भविष्य में कोई बड़ा ऑफर भी दे सकती है.

ऐसी स्थिति में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए यह राज्यसभा चुनाव किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. एक तरफ समाजवादी पार्टी गठबंधन की नेता पल्लवी पटेल ने राज्यसभा चुनाव में मतदान करने से इंकार कर दिया है. उन्होंने कहा है कि राज्यसभा प्रत्याशियों के चयन में पिछडे दलित अल्पसंख्यक समाज की झलक नहीं दिखती है और यह ठीक नहीं है.

एक तरफ पल्लवी पटेल दूसरी तरफ स्वामी प्रसाद मौर्य की लगातार नाराजगी के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को अपने विधायकों को अपने साथ जोड़े रखना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. अगर समाजवादी पार्टी के आधा दर्जन से अधिक विधायक भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को जिताने के लिए भाजपा के साथ जाते हैं तो यह 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले समाजवादी पार्टी के लिए बड़ा झटका होगा.

समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन चंद कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी आठवें प्रत्याशी को उतार कर राज्यसभा चुनाव में धन-बल बाहुबल का प्रयोग करते हुए खरीद फरोख्त की जोरआजमाइश कर रही है. समाजवादी पार्टी अपने सभी प्रत्याशियों को जिताने में सफल रहेगी और समाजवादी पार्टी के सभी विधायक सपा के साथ हैं. राज्यसभा के तीनों प्रत्याशी चुनाव जीतने में सफल होंगे.

ये भी पढ़ेंः राज्यसभा का आठवां 'अजूबा'; यूपी में दिलचस्प हुआ मुकाबला, अखिलेश 'बुआ' के तो भाजपा क्रॉस वोटिंग के सहारे

राज्यसभा चुनाव 2024 में आंकड़ों के खेल पर संवाददाता धीरज त्रिपाठी की खास रिपोर्ट.

लखनऊ: राज्यसभा चुनाव 2024 में भाजपा ने समाजवादी पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. आठवां प्रत्याशी उतारकर भाजपा ने सपा के जीत के सियासी समीकरण खराब कर दिए हैं. अगर भाजपा का आठवां प्रत्याशी न आता तो सपा की पूरी तरह से जीत पक्की थी.

अब भाजपा ने पूंजीपति संजय सेठ को उतारकर सपा में सेंधमारी की प्रक्रिया शुरू कर दी है. भाजपा के आठवें प्रत्याशी की जीत के लिए जोर आजमाइश शुरू हो गई है. ऐसे में जब तक समाजवादी पार्टी में भाजपा सेंधमारी नहीं करेगी तब तक उसकी जीत पक्की नहीं है.

इसके साथ ही लोकसभा चुनाव से पहले सपा में टूट होने से रोकना सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. अगर एक भी विधायक या उससे अधिक भाजपा प्रत्याशी की तरफ गए तो इसका सन्देश ठीक नहीं जाएगा. अब अखिलेश को अपने विधायकों को सुरक्षित रखना बड़ी जिम्मेदारी है.

राज्यसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी को अपने आठवी प्रत्याशी संजय सेठ को जीतने के लिए 10 वोट और समाजवादी पार्टी को तीसरी सीट के लिए एक वोट की जरूरत पड़ेगी. भाजपा ने अपना एक और प्रत्याशी उतार कर राज्यसभा की 10 सीटों पर हो रहे चुनाव रोचक और दिलचस्प बना दिया है.

ऐसे में समाजवादी पार्टी के विधायकों में टूट होने के बड़े आसार नजर आ रहे हैं. उत्तर प्रदेश विधानसभा में विधायकों की संख्या की बात करें तो वर्तमान समय में 403 विधायकों में से ₹399 विधायक हैं. चार सीट इस समय रिक्त चल रही हैं. ऐसे में एक प्रत्याशी को जीतने के लिए 37 वोट की जरूरत पड़ेगी.

भारतीय जनता पार्टी गठबंधन को 8 सीट जीतने के लिए 296 वोट की जरूरत पड़ेगी. लेकिन वर्तमान समय में भाजपा गठबंधन के पास करीब 286 वोट हैं. जबकि समाजवादी पार्टी के पास वर्तमान समय में 108 वोट तो हैं. लेकिन उनके दो विधायक जेल में बंद हैं. उन्हें मतदान की अनुमति मिलना संभव नहीं है.

सपा को तीन सीट जीतने के लिए 111 वोट की आवश्यकता पड़ रही है. ऐसे में यदि कांग्रेस पार्टी के साथ इंडिया गठबंधन के अंतर्गत कांग्रेस के दो वोट समाजवादी पार्टी को मिलते हैं तो उन्हें एक वोट की जरूरत पड़ना स्वाभाविक है.

वर्तमान समय में तीन विधायक जेल में बंद हैं. इनमें सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के विधायक अब्बास अंसारी हैं. इसके अलावा रमाकांत यादव और इरफान सोलंकी समाजवादी पार्टी के विधायक भी आपराधिक मामलों में जेल में बंद हैं. इनको मतदान की अनुमति मिलना फिलहाल आसान नहीं है.

भाजपा गठबंधन में जिन दलों के पास जो वोट हैं, उसके अनुसार भाजपा के पास 252, अपना दल एस के पास 13 वोट, राष्ट्रीय लोकदल के पास नौ, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के पास छह वोट और निषाद पार्टी के पास छह विधायक हैं. इनमें से सुहेलदेव समाज पार्टी का एक विधायक अब्बास अंसारी जेल में बंद है.

ऐसे में भाजपा के कुल वोटरों में से एक वोट और कम पड़ रहा है. भाजपा के 285 वोट के साथ राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के दो विधायक भी उनके साथ आते हैं तो 287 वोट भारतीय जनता पार्टी गठबंधन के पास हैं. ऐसे में भाजपा को अपनी आठवीं सीट जीतने के लिए 9 और वोट की जरूरत पड़ने वाली है.

सूत्रों का दावा है कि भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व और संजय सेठ के संपर्क में करीब एक दर्जन समाजवादी पार्टी के विधायक हैं जो लोकसभा चुनाव 2024 नजदीक आते ही भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं. ऐसे में अब जब राज्यसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को विधायकों के वोट की जरूरत पड़ेगी तो इसी बहाने उन विधायकों की परीक्षा भी हो जाएगी.

यह विधायक राज्यसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के आठवीं प्रत्याशी संजय सेठ को वोट देकर भाजपा के प्रति अपनी निष्ठा जता सकते हैं. इसके साथ ही सूत्रों का दावा है कि जो भी विधायक भारतीय जनता पार्टी के संपर्क में है उन्हें भाजपा भविष्य में कोई बड़ा ऑफर भी दे सकती है.

ऐसी स्थिति में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए यह राज्यसभा चुनाव किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. एक तरफ समाजवादी पार्टी गठबंधन की नेता पल्लवी पटेल ने राज्यसभा चुनाव में मतदान करने से इंकार कर दिया है. उन्होंने कहा है कि राज्यसभा प्रत्याशियों के चयन में पिछडे दलित अल्पसंख्यक समाज की झलक नहीं दिखती है और यह ठीक नहीं है.

एक तरफ पल्लवी पटेल दूसरी तरफ स्वामी प्रसाद मौर्य की लगातार नाराजगी के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को अपने विधायकों को अपने साथ जोड़े रखना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. अगर समाजवादी पार्टी के आधा दर्जन से अधिक विधायक भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को जिताने के लिए भाजपा के साथ जाते हैं तो यह 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले समाजवादी पार्टी के लिए बड़ा झटका होगा.

समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन चंद कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी आठवें प्रत्याशी को उतार कर राज्यसभा चुनाव में धन-बल बाहुबल का प्रयोग करते हुए खरीद फरोख्त की जोरआजमाइश कर रही है. समाजवादी पार्टी अपने सभी प्रत्याशियों को जिताने में सफल रहेगी और समाजवादी पार्टी के सभी विधायक सपा के साथ हैं. राज्यसभा के तीनों प्रत्याशी चुनाव जीतने में सफल होंगे.

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