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4 बड़े डैम फिर भी प्यासा है ये शहर! राजगढ़ में बूंद-बूंद पानी के लिए परेशान लोग - WATER CRISIS IN RAJGARH

भीषण गर्मी के बीच मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में पेयजल संकट लगातार गहराता जा रहा है. ब्यावरा शहर में लोगों के बीच पानी को लेकर त्राहि-त्राहि मची हुई है. यहां के लोगों ने नल जल योजना को एक दिखावा बता रहे हैं. लोगों का कहना है कि इनमें कभी पानी ही नहीं आया.

DRINKING WATER CRISIS IN RAJGARH
राजगढ़ में बूंद-बूंद पानी के लिए परेशान हैं लोग (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 20, 2024, 7:40 PM IST

राजगढ़। मध्य प्रदेश के 55 जिलों में से एक राजगढ़ जिला है. जहां वर्तमान में सत्तापक्ष सरकार के दो मंत्री और 3 विधायक मौजूद हैं और जिले में सिंचित परियोजना के लिए 4 बड़े डैम भी हैं. इसके बावजूद लोग बूंद-बूंद पानी के लिए परेशान हैं. खासकर ये समस्या ब्यावरा शहर में बहुत ज्यादा है. गर्मी के इन दिनों में पानी की भीषण समस्या से यहां के निवासी जूझ रहे हैं. जिनकी अलग-अलग तस्वीरें निकलकर सामने आई हैं.

राजगढ़ में बूंद-बूंद पानी के लिए परेशान हैं लोग (Etv Bharat)

'नल जल योजना दिखावा हुई साबित'

राजगढ़ जिले के ब्यावरा शहर में पानी को लेकर जनता के बीच त्राहि-त्राहि मची हुई है. हालात ये हैं कि सुबह हो या शाम यहां हर कोई सिर्फ पानी की फिक्र में डूबा हुआ है. अपने सभी काम छोड़कर जनता सिर्फ पानी के इंतजामात में जुटी हुई है, लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. लोगों ने बताया कि यहां की नल जल योजना महज एक दिखावा ही नजर आ रही है, क्योंकि लोगों ने घरों में पानी स्टोर करने के लिए जो टैंकों का निर्माण कराया है, वह कभी नल में आने वाले पानी से भर ही नहीं पाए. शहर में जो नल चल रहे हैं वो 10 से 15 दिनों में एक बार ही चलाए जा रहे हैं, जिससे क्षेत्र की जनता पानी की भारी किल्लत का सामना कर रही है. यदि शहरी क्षेत्र में ये हाल है तो इससे ग्रामीण क्षेत्रों का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है.

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ब्यावरा में जलसंकट की गंभीर समस्या

हाल ही में पानी की समस्याओं को लेकर कांग्रेस और आमजनों के द्वारा धरना प्रदर्शन भी किया गया था. जिसमें नगर पालिका की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लगाए गए थे. जो लोग इस योग्य हैं कि वे अपने-अपने घरों में ट्यूबवेल लगवा सकें, वह मजबूरी में करा रहे हैं, लेकिन मिडिल क्लास और गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोग पानी की परेशानी से जूझ रहे हैं. स्थानीय सीनियर पत्रकार व समाजसेवी मुकेश सक्सेना बताते हैं कि ''जिले का सबसे बड़ा शहर ब्यावरा के चारों तरफ पानी ही पानी है, लेकिन यहां कई वर्षों से जलसंकट की गंभीर समस्या बनी हुई है.

यहां दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल सत्ता में रहे हैं, लेकिन किसी ने भी पानी की इस गंभीर समस्या को दूर करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया और लगभग 20 से 25 वर्षों से ब्यावरा शहर भीषण जल संकट से जूझ रहा है. जिसका मुख्य कारण है कि यहां पानी सप्लाई करने के लिए केवल दो ही प्रमुख टंकिया हैं, जो की नाकाफी साबित हो रही हैं. जब तक यहां और पानी के स्टोरेज के लिए टंकियों का निर्माण नहीं होगा, तब तक ब्यावरा शहर पानी की समस्या से जूझता रहेगा.''

राजगढ़। मध्य प्रदेश के 55 जिलों में से एक राजगढ़ जिला है. जहां वर्तमान में सत्तापक्ष सरकार के दो मंत्री और 3 विधायक मौजूद हैं और जिले में सिंचित परियोजना के लिए 4 बड़े डैम भी हैं. इसके बावजूद लोग बूंद-बूंद पानी के लिए परेशान हैं. खासकर ये समस्या ब्यावरा शहर में बहुत ज्यादा है. गर्मी के इन दिनों में पानी की भीषण समस्या से यहां के निवासी जूझ रहे हैं. जिनकी अलग-अलग तस्वीरें निकलकर सामने आई हैं.

राजगढ़ में बूंद-बूंद पानी के लिए परेशान हैं लोग (Etv Bharat)

'नल जल योजना दिखावा हुई साबित'

राजगढ़ जिले के ब्यावरा शहर में पानी को लेकर जनता के बीच त्राहि-त्राहि मची हुई है. हालात ये हैं कि सुबह हो या शाम यहां हर कोई सिर्फ पानी की फिक्र में डूबा हुआ है. अपने सभी काम छोड़कर जनता सिर्फ पानी के इंतजामात में जुटी हुई है, लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. लोगों ने बताया कि यहां की नल जल योजना महज एक दिखावा ही नजर आ रही है, क्योंकि लोगों ने घरों में पानी स्टोर करने के लिए जो टैंकों का निर्माण कराया है, वह कभी नल में आने वाले पानी से भर ही नहीं पाए. शहर में जो नल चल रहे हैं वो 10 से 15 दिनों में एक बार ही चलाए जा रहे हैं, जिससे क्षेत्र की जनता पानी की भारी किल्लत का सामना कर रही है. यदि शहरी क्षेत्र में ये हाल है तो इससे ग्रामीण क्षेत्रों का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है.

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ब्यावरा में जलसंकट की गंभीर समस्या

हाल ही में पानी की समस्याओं को लेकर कांग्रेस और आमजनों के द्वारा धरना प्रदर्शन भी किया गया था. जिसमें नगर पालिका की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लगाए गए थे. जो लोग इस योग्य हैं कि वे अपने-अपने घरों में ट्यूबवेल लगवा सकें, वह मजबूरी में करा रहे हैं, लेकिन मिडिल क्लास और गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोग पानी की परेशानी से जूझ रहे हैं. स्थानीय सीनियर पत्रकार व समाजसेवी मुकेश सक्सेना बताते हैं कि ''जिले का सबसे बड़ा शहर ब्यावरा के चारों तरफ पानी ही पानी है, लेकिन यहां कई वर्षों से जलसंकट की गंभीर समस्या बनी हुई है.

यहां दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल सत्ता में रहे हैं, लेकिन किसी ने भी पानी की इस गंभीर समस्या को दूर करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया और लगभग 20 से 25 वर्षों से ब्यावरा शहर भीषण जल संकट से जूझ रहा है. जिसका मुख्य कारण है कि यहां पानी सप्लाई करने के लिए केवल दो ही प्रमुख टंकिया हैं, जो की नाकाफी साबित हो रही हैं. जब तक यहां और पानी के स्टोरेज के लिए टंकियों का निर्माण नहीं होगा, तब तक ब्यावरा शहर पानी की समस्या से जूझता रहेगा.''

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