जयपुर. वरिष्ठ अधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद राज्य सरकार के महाधिवक्ता होंगे. राज्यपाल कलराज मिश्र ने शनिवार को वरिष्ठ अधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद को महाधिवक्ता नियुक्त करने को लेकर राज्य सरकार की ओर से भेजे प्रस्ताव का अनुमोदन किया है. इसके बाद विधि विभाग विधिवत रूप से उनकी नियुक्ति आदेश जारी करेगा.
एलएलबी पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद राजेंद्र प्रसाद ने वर्ष 1985 में वकालत व्यवसाय शुरू किया था. वहीं वर्ष 2014 से 2018 तक वे राज्य सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता भी रह चुके हैं. इसी बीच वर्ष 2016 में उन्हें हाईकोर्ट प्रशासन ने वरिष्ठ अधिवक्ता बनाया था.
हाईकोर्ट ने दिखाई थी सख्ती : गौरतलब है कि नई सरकार के गठन के बाद लंबे समय तक महाधिवक्ता और अतिरिक्त महाधिवक्ताओं की नियुक्ति नहीं करने पर हाईकोर्ट ने गत दिनों सख्ती दिखाई थी. इसके साथ ही अदालत ने मुख्य सचिव को भी तलब किया था. वहीं गत दिनों हाईकोर्ट ने महाधिवक्ता की नियुक्ति में देरी विधि सम्मत है या नहीं इसको लेकर विधिक प्रश्न उठाते हुए बार एसोसिएशन के सदस्यों से सुझाव पेश करने को कहा था.
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गौरतलब है कि राज्य सरकार ने गत दिनों कांग्रेस सरकार में नियुक्त अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश महर्षि को महाधिवक्ता कार्यालय का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा था, जिसकी शिकायत राज्यपाल को होने के बाद विधि विभाग ने 2 घंटे बाद ही उस आदेश को संशोधित करते हुए निवर्तमान महाधिवक्ता के जूनियर को ही सरकारी मामलों में पैरवी करते रहने के निर्देश दिए थे. सूत्रों के अनुसार मंत्रिमंडल की बैठक में एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता को महाधिवक्ता बनाने को लेकर सहमति बनी थी. इसके बाद उन वरिष्ठ अधिवक्ता ने लोगों की बधाइयां स्वीकार कर वकीलों में मिठाई तक बांट दी थी और महाधिवक्ता कार्यालय जाकर कर्मचारियों से मुलाकात भी की थी.
49 दिन बाद हुई नियुक्ति : भजनलाल सरकार के गठन के 49 दिन बाद महाधिवक्ता की नियुक्ति हुई है. यह पहला अवसर है, जब इतने लंबे समय तक महाधिवक्ता की नियुक्ति नहीं हुई. महाधिवक्ता की सहायता के लिए अब जल्द ही कुछ अतिरिक्त महाधिवक्ताओं व सरकारी वकीलों की भी नियुक्ति की जाएगी.
क्या होता है महाधिवक्ता ? : राज्य का सर्वोच्च विधि अधिकारी महाधिवक्ता होता है. महाधिवक्ता राज्यपाल के प्रसाद्पर्यंत कार्य करता है. महाअधिवक्ता का कार्य राज्य सरकार को विधि संबंधी विषयों पर सलाह देना है. संविधान या किसी अन्य विधि से प्रदान किए गए कर्तव्यों का निर्वहन करना, और राज्यपाल की ओर से सौंपे गए विधिक कर्तव्यों का पालन करना इनके मुख्य कार्य हैं.