जयपुर. विधानसभा में विपक्ष के विधायक को सदन की कार्यवाही से निलंबित करने के बाद जहां एक ओर विपक्ष के सदस्यों ने विधानसभा में धरना दे रखा है. वहीं, दूसरी ओर राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने नियमों और परम्पराओं के विपरित प्रतिपक्ष के हठधर्मिता वाले व्यवहार को बेहद दुखद बताया है. उन्होंने कहा कि विधानसभा जैसे पवित्र व गरिमापूर्ण सदन में किसी सदस्य के द्वारा आसन की ओर अभद्र इशारों का प्रदर्शन शर्मनाक है.
प्रतिपक्ष द्वारा ऐसे सदस्य का पक्ष लेना बेहद निन्दनीय है और ऐसे सदस्य का बचाव किया जाना भी अशोभनीय है. देवनानी ने कहा कि आसन की ओर सदस्य का निलंबन किए जाने का कदम सदन की गरीमा की रक्षार्थ उठाया गया. प्रतिपक्ष ने लगातार आसन के निर्देशों की अवहेलना की है. प्रतिपक्ष के सदस्य का सोमवार को सदन में व्यवहार और प्रतिपक्ष द्वारा ऐसे सदस्य का बचाव संसदीय परम्पराओं की अवहेलना की पराकाष्ठा है.
आज राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के विधायक मुकेश भाकर द्वारा किया गया आसन का अपमान दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है।
— BJP Rajasthan (@BJP4Rajasthan) August 5, 2024
जहां आज राजस्थान विधानसभा में विधानसभा अध्यक्ष जी द्वारा विधायकों द्वारा किए गए नवाचार एवं उनके अनुभव के बारे में चर्चा आहूत की गई थी, उस पर इस तरह का कांग्रेस… pic.twitter.com/70rXFIJNKx
आसान ने दी पांच बार व्यवस्था : अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने ने कहा कि आसन से पांच बार प्रतिपक्ष नेता को नियमों के तहत विषय उठाने और व्यवस्था दिए जाने के लिए कहा गया. इसके बावजूद भी विधानसभा में प्रतिपक्ष का हठधर्मिता का प्रदर्शन करते हुए वेल में आना, सदन की गरिमा के अनुकूल नहीं है. बता दें कि सदन में प्रतिपक्ष नेता द्वारा उठाया गया विषय न्यायालय में विचाराधीन है. राजस्थान विधानसभा के प्रक्रिया और कार्य संचालन संबंधी नियमों के तहत न्यायालय में विचाराधीन विषय पर सदन में चर्चा की अनुमति नहीं होती है. न्यायालय में विचाराधीन विषयों को बार-बार सदन में उठाया जाना नियमों ही नहीं, परम्पराओं के भी विपरित होता है.
उन्होंने कहा कि राजस्थान विधानसभा में सोमवार को विधायकों के अनुभवों और नवाचारों पर विचार के दौरान विधि विभाग द्वारा 12 जिलों में कुछ लोक अभियोजक और अपर लोक अभियोजकों की नियुक्ति के सन्दर्भ में 27 जुलाई को हुए आदेश में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 24 के उल्लेख का विषय प्रतिपक्ष नेता द्वारा व्यवस्था के प्रश्न के नाम से उठाया गया, जो कि नियमों के विपरित था. सदन के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमों के नियम 294 के तहत यह व्यवस्था का प्रश्न ही नहीं था. विधानसभा सदन में किसी विषय को उठाने से पूर्व राजस्थान विधानसभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमों के नियम 295 के तहत लिखित में विधानसभा के प्रमुख सचिव को सूचना दिए जाने के तत्पश्चात ही कोई विषय सदन में उठाया जा सकता है.
आज राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के विधायक मुकेश भाकर जी ने जिस तरह असंसदीय गतिविधि एवं अमर्यादित टिप्पणी कर आसन का अपमान किया है, वह ना सिर्फ सदन का, बल्कि देश के लोकतंत्र का अपमान है। जिसकी जितनी निंदा की जाए, कम है।
— Madan Rathore (@madanrrathore) August 5, 2024
माननीय सदस्य को अपने दुर्व्यवहार के लिए सार्वजनिक रूप से माफी…
अमर्यादित इशारे : देवनानी ने कहा कि सदन में चल रहे गतिरोध के दौरान ही विधायक श्री मुकेश भाकर द्वारा आसन के प्रति अशोभनीय व्यवहार और हाथों के इशारे से अमर्यादित प्रदर्शन किया गया, जो विधानसभा में सन 1952 से लेकर अब तक के इतिहास में ऐसे किसी व्यवहार की नजीर नहीं है. प्रतिपक्ष नेता का भी बैल में आने की परम्परा नहीं रही है. इसकी प्रतिपक्ष नेता व प्रतिपक्ष विधायको को घोर निन्दा करनी चाहिए, ताकि विधानसभा सदन की गरिमा और पवित्रता कायम रखी जा सके.
विधानसभा के सभी सदस्यों का सदन की पवित्रता व गरिमा को बनाए रखने का महत्वपूर्ण दायित्व होता है. उन्होंने कहा कि प्रतिपक्ष की ओर से सदन में नियमों और आसन के निर्देशों की अवहेलना करके सदन संचालन में व्यवधान डालना और अपमानजनक भाषा के प्रयोग किये जाने के मामले गत दिनों में अनेक बार हुए हैं, जो आसन द्वारा सदन की समृद्ध परम्पराओं के अनुरूप स्वीकार योग्य नहीं है. पूर्व में भी प्रतिपक्ष नेता द्वारा आसन को धृतराष्ट्र कहना, विधायक शांति धारीवाल द्वारा सदन में सभापति को धमकाया जाना और अपशब्द के उपयोग किए जाने के साथ प्रतिपक्ष द्वारा लगातार नियमों की अवहेलना उनका लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं और संसदीय परम्पराओं में आस्था नहीं होना प्रदर्शित करता है.