जयपुर: राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड अब स्टाफ सलेक्शन कमीशन के मॉडल के आधार पर काम करेगा. अब जिस भी विभाग से जुड़ी भर्ती परीक्षा कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से आयोजित कराई जाएगी, दस्तावेज सत्यापन का काम भी वही विभाग करेगा. इसकी शुरुआत जनवरी से मार्च महीने में आयोजित कराई गई सात भर्ती परीक्षाओं से की जा रही है. यह जिम्मेदारी अब तक राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड की थी, लेकिन अब ये काम संबंधित विभाग करेंगे.
कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष मेजर जनरल आलोक राज ने कहा कि बोर्ड यदि दस्तावेज सत्यापन करता रहेगा, तो उसमें बहुत वक्त लगेगा. चूंकि बोर्ड के पास सीमित मैनपॉवर और सीमित संसाधन है. बोर्ड के लिए इसी साल आयोजित कराई गई सात परीक्षा के 40 हजार अभ्यर्थियों का दस्तावेज सत्यापन करना बहुत बड़ी चुनौती बन जाता है और ऐसा करते हुए करीब 1 साल का समय लग जाता. सारे दस्तावेज सत्यापन अगले साल अप्रैल-मई तक पूरे हो पाते. इससे भर्तियों की पूरी प्रक्रिया धीमी होती और असंतोष फैलता. इसी को देखते हुए देश में अन्य भर्ती बोर्डों के मॉडल को स्टडी किया गया और फिर स्टाफ सलेक्शन कमीशन का मॉडल चुना. एसएससी ने भी बीते साल दस्तावेज सत्यापन के कार्य को स्विच किया था.
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सरकार ने स्वीकार किया बोर्ड का आग्रह: उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने हमारे अनुरोध को स्वीकार कर लिया है. अब संबंधित विभाग ही अभ्यर्थियों के दस्तोवज सत्यापन का काम करेगा. इससे एक बड़ा फायदा ये भी है कि जो नियम विभाग की ओर से बने हुए होते हैं उनका पालन इंटरप्रिटेशन विभाग ज्यादा बेहतर ढंग से कर सकता है. उनके पास मैनपॉवर और संसाधन भी पर्याप्त होते हैं. इसी के कारण जनवरी से मार्च के बीच कराई गई भर्ती परीक्षाओं के स्क्रुटनी फॉर्म भरने का काम शुरू कर दिया है और लगभग सभी के दस्तावेज सत्यापन की तारीख भी जारी हो गई है. इससे अगले एक-दो महीने में ही सभी भर्ती परीक्षाओं के अभ्यर्थियों के डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन होने की संभावना है.
बोर्ड ही जारी करेगा अंतिम परिणाम: कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि फिलहाल फाइनल रिजल्ट कर्मचारी चयन बोर्ड ही जारी करेगा. हालांकि इस संबंध में सरकार को लिखा भी जा रहा है कि आगे बोर्ड मेरिट बनाकर विभाग को भेज दें और फिर विभाग ही फाइनल रिजल्ट भी जारी करें. पिछली बोर्ड मीटिंग में ये फैसला भी लिया गया कि अब राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड जो रिजल्ट बनाएगा, वो पूरा रिजल्ट ही मेरिट बेस पर सार्वजनिक कर दिया जाएगा, ताकि हर एक अभ्यर्थी को ये पता लग जाए कि वो कहां स्टैंड करता है. इससे धांधली होने की संभावना भी खत्म हो जाएगी.