अजमेर. किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने बीमा कंपनियों पर आरोप लगाया है. उनका कहना है कि किसानों से फसल बीमा के नाम पर बीमा कंपनियां प्रीमियम ले रहीं हैं, लेकिन क्लेम की राशि नहीं दे रही. किसानों की मांग को बीमा कंपनियां टाल देती हैं. इतना ही नहीं क्लेम देने में भेदभाव भी करती है. जाट ने कहा कि एमएसपी पर कानून बनाने और फसल खराबे का मुआवजा किसानों को देने की मांग की है. सोमवार को जिला कलेक्टर भारती दीक्षित से किसान महापंचायत के प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की.
किसानों को कमाई छोड़कर लड़ाई करनी पड़ रही: बातचीत में किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने आरोप लगाया है कि क्लेम देने में बीमा कंपनियां इस कदर भेदभाव करतीं हैं कि 100 किसानों के फसल खराबे की जगह 40 किसानों को ही मुआवजा दिया जाता है. प्रीमियम लेने के बाद भी क्लेम नहीं दिया जाता. यह ऐसी समस्या है कि किसानों को कमाई छोड़कर लड़ाई करनी पड़ रही, यह अच्छी स्थिति नहीं है. फसल खराबा के बाद कई तहसीलों में गिरदावरी की गई, लेकिन अराई क्षेत्र को छोड़ दिया गया. मजबूर होकर किसानों को अजमेर कूच करने के लिए ट्रैक्टरों से अराई तक आना पड़ा. प्रशासन ने संवाद के लिए कहा है. फिलहाल किसानों ने ट्रैक्टर सहित अराई में पड़ाव डाला है. प्रशासन से वार्ता के बाद ही आगे की रणनीति तय की जाएगी.
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बीमा कंपनियां सरकार के ऊपर हो गई : रामपाल जाट ने कहा कि बीमा कंपनियां सरकार के ऊपर हो गई हैं, जबकि यह कंपनियां सरकारी तंत्र का ही उपयोग करती हैं. उन्होंने कहा कि पीएम फसल बीमा योजना में पैसा किसानों का, तंत्र सरकार का और लाभ कंपनियों को हो रहा है. यह योजना इसलिए बनी थी कि जोखिम के वक्त किसानों को अपनी उपज के लाभ से वंचित नहीं रहना पड़े. इस योजना का उद्देश्य ही पूरा नहीं हो रहा है. इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए हम लड़ रहे हैं. पहले दौर की बातचीत तहसीलदार और एसडीएम से हुई है. दूसरे दौर की बातचीत कलेक्टर से होगी. उन्होंने कहा कि किसानों की 5 मांगें हैं, वह पूरी नहीं होती है तो किसान पीछे नहीं हटेंगे.
यह है किसानों की 5 मांगें :
- फसल खराबा का मुआवजा दिया जाए.
- पशुपालकों के पशुओं का बीमा हो.
- पशुओं के चारें में आग लगने की स्थिति में किसानों को मुआवजा दिलवाने का प्रावधान हो.
- जलवायु परिवर्तन के कारण नष्ट हुई फसलों के क्षतिपूर्ति के लिए किसानों को कुछ राशि सहायता के रूप में दी जाए.
- उपखंड स्तर पर जो भी सिंचाई विभाग में बांध बने हुए हैं उनके मरम्मत, मोरिया एवं नेहरू की मरम्मत करवाई जाए.