जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पॉक्सो मामले में सजा काट रहे एक आरोपी को उसके वैधानिक अधिकारों से वंचित नहीं करते हुए पीड़िता के भावनात्मक पहलू को देखते हुए सशर्त पैरोल दी है. जस्टिस दिनेश मेहता व जस्टिस राजेन्द्र प्रकाश सोनी की खंडपीठ ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए आरोपी को पीड़िता के उस शहर या गांव में पैरोल नहीं काटने की शर्त के साथ 20 दिन की प्रथम पैरोल मंजूर कर दी. कोर्ट ने कहा कि जहां पीड़िता रहती है, आरोपी उसी गांव या शहर का रहने वाला है, तब भी पैरोल उसको दूसरी जगह काटनी होगी.
कोर्ट में आरोपी के पिता की ओर से अधिवक्ता कालुराम भाटी ने पैरोल याचिका पेश की. इसमें बताया गया कि नागौर जिला पैरोल कमेटी ने उसका प्रथम पैरोल का आवेदन खारिज कर दिया है. राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल जोशी ने प्रथम पैरोल का विरोध करते हुए कहा कि 3 साल की बच्ची से रेप के मामले में आरोपी सहीराम अजमेर जेल में सजा काट रहा है. उन्होंने पीड़िता का पक्ष रखते हुए आरोपी की पैरोल खारिज करने की मांग की थी. उन्होंने कोर्ट में कहा कि पैरोल जारी करने से आरोपी पीड़िता के सामने जाएगा और पीड़िता के सामाजिक व मनोवैज्ञानिक स्तर पर गलत प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि कैदी पीड़िता का पड़ोसी है.
गांव से दूर काटनी होगी पैरोल : हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद कहा कि पीड़िता और आरोपी के बीच संपर्क नहीं होना चाहिए. पीड़िता जिस घटना को भूलना चाहती है. आरोपी के सामने होने से वह घटना फिर से याद आएगी. पीड़िता की सुरक्षा, भावनात्मक पहलू और आरोपी के वैधानिक अधिकारों के बीच संतुलन बनाते हुए हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया. आरोपी को पीड़िता के निवास स्थान से दूर पैरोल काटने के शर्त पर पैरोल याचिका मंजूर की गई. आरोपी अपनी पैरोल नानी के घर पुलिस स्टेशन कुचेरा के गांव गंजू में काटेगा और पीड़िता के गांव नहीं जाएगा.