जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने डेटिंग एप्लीकेशन के जरिए प्रेमजाल में फंसाकर फिरौती के लिए युवक का अपहरण कर बाद में उसकी हत्या करने के मामले में सह अभियुक्त लक्ष्य वालिया को मिली उम्रकैद की सजा को निलंबित कर दिया है. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश लक्ष्य वालिया की आपराधिक अपील में पेश प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए दिए.
अदालत ने कहा कि अभियोजन के कुल गवाहों ने अभियुक्त की पहचान नहीं की है और उससे फिरौती की रकम व हत्या में काम में लिया गया चाकू बरामद नहीं हुआ है. अभियुक्त तीन साल से ज्यादा समय जेल में रह चुका है. ऐसे में आपराधिक अपील के पेंडिंग रहते हुए उसकी उम्रकैद की सजा को निलंबित किया जाना सही होगा. अभियुक्त की ओर से अधिवक्ता राजेश महर्षि ने अदालत को बताया कि जिस दिन मर्डर हुआ था, उस दिन संबंधित फ्लैट में उसकी उपस्थिति साबित नहीं हुई है. मामले के अनुसंधान अधिकारी ने भी अपार्टमेंट में आने जाने वालों का नाम दर्ज करने वाले रजिस्टर का हवाला चार्जशीट में नहीं दिया है, क्योंकि उसमें लक्ष्य का नाम नहीं था.
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आरोपी की पहचान अभियोजन के गवाहों ने नहीं की है और लाश को फेंकने के बाद जब अभियुक्त पेट्रोल पंप पर आए और कार में गैस भराई. उस समय के सीसीटीवी फुटेज में आगे की सीट पर अभियुक्त प्रिया सेठ व दीक्षांत कामरा के बैठा होने की पहचान की है, जबकि पीछे बैठे व्यक्ति की पहचान लक्ष्य वालिया के तौर पर नहीं हुई है. वहीं, आपराधिक अपील की सुनवाई में देरी होगी, इसलिए अभियुक्त की उम्रकैद की सजा को निलंबित किया जाए. राज्य सरकार की ओर से सजा निलंबन का विरोध किया गया. अदालत ने दोनों पक्षों की बहस सुनकर अभियुक्त लक्ष्य वालिया की उम्रकैद की सजा निलंबित कर दी. गौरतलब है कि शहर की निचली अदालत ने गत 24 नवंबर को मामले में अभियुक्त प्रिया सेठ, उसके प्रेमी दीक्षांत कामरा व लक्ष्य वालिया को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.