जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने नागौर जेएलएन जिला अस्पताल में कार्यरत वरिष्ठ महिला रोग चिकित्सक डॉ. शैलेंद्र लोमरोड के निलंबन आदेश पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार से जवाब-तलब किया है. जस्टिस अरुण मोंगा की एकलपीठ ने प्रारम्भिक सुनवाई करते हुए 11 मई 2024 को जारी निलंबन आदेश पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार सहित अन्य से 14 अगस्त को जवाब-तलब किया है.
नागौर के राजकीय मेडिकल कॉलेज के अंतर्गत जेएलएन जिला अस्पताल में कार्यरत वरिष्ठ महिला रोग चिकित्सक डॉ. शैलेंद्र लोमरोड की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी व विनीता ने रिट याचिका दायर करते हुए पैरवी की. याचिका में बताया कि याची गत 14 वर्ष से चिकित्साधिकारी पद पर सेवारत हैं. दिनांक 10 मई 2024 की रात्रि में नाईट-ऑफ/रात्रि अवकाश पर होने और ऑन कॉल ड्यूटी पर होने के कारण अस्पताल के इंचार्ज द्वारा उसे केवल इस कारण निलंबित कर दिया गया कि इलाज के दौरान प्रसूता की मौत हो गई.
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मरीज की मौत होने के समय वह न तो ड्यूटी पर था और न ही नियमानुसार कॉल कर अस्पताल बुलाया गया, जबकि रात्रिकालीन ड्यूटी पर केजुयल्टी मेडिकल ऑफिसर और अन्य चिकित्सक भी मौजूद थे. याची की ओर से बताया गया कि नियमानुसार चिकित्सा अधिकारी राज्य सेवा के अधिकारी होते हैं, जिनकी नियुक्ति राज्य सरकार सचिव, चिकित्सा विभाग द्वारा होती है. प्रारंभिक जांच में सुनवाई के अवसर देने के बाद प्रथम दृष्टया दोषी होने पर कार्मिक विभाग ही अनुशासनात्मक कार्यवाही संस्थित कर सकता है. लेकिन निलंबन करने हेतु जिला अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी के पास कोई अधिकारिता और क्षेत्राधिकार नहीं है और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार किए बिना व उसके रात्रि ड्यूटी पर नहीं होने के बावजूद भी उसे बेवजह निलंबित किया गया है. हाईकोर्ट ने निलंबन आदेश पर रोक लगाते हुए जवाब तलब किया है.