जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि नीट यूजी-2024 के जरिए सरकारी व अनुदानित मेडिकल कॉलेजों के मैनेजमेंट व एनआरआई कोटे में होने वाले सीटों के आवंटन को लेकर ऐसा कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया जाए, जिससे तीसरे पक्ष के अधिकार सृजित हो. वहीं, अदालत ने इन सीटों पर आवंटन को याचिका के निर्णय के अधीन रखा है. अदालत ने मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगते हुए प्रकरण की सुनवाई 27 अगस्त को रखी है. जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश दीपांशु की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में बताया कि नीट यूजी 2024 के जरिए सरकारी व सरकारी सोसायटी के मेडिकल कॉलेजों में मैनेजमेंट कोटे के लिए 35 फीसदी व एनआरआई कोटे के लिए 15 फीसदी सीटें आरक्षित की गई हैं. इससे इन कॉलेजों की सौ फीसदी सीटें घटकर 50 फीसदी ही रह गई हैं. याचिका में कहा कि मैनेजमेंट व एनआरआई कोटे में प्रवेश का प्रावधान प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों के लिए किया गया था, लेकिन सरकार ने इस प्रावधान को सरकारी मेडिकल कॉलेजों पर भी लागू कर दिया है.
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ऐसा करना संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत है, क्योंकि शत प्रतिशत सीटों पर विद्यार्थियों का हक है. इस प्रावधान के कारण वे इस अधिकार से वंचित हो रहे हैं, इसलिए सरकारी मेडिकल कॉलेजों में मैनेजमेंट व एनआरआई कोटे में सीटों का आवंटन नहीं किया जाए और इस प्रावधान को असंवैधानिक घोषित किया जाए. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने आवंटन को लेकर अंतिम निर्णय लेने पर रोक लगा दी है.