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चिरंजीवी योजना की आय बंद होने के आधार पर सेवा से हटाने के आदेश पर रोक - Rajasthan High Court

Rajasthan Chiranjeevi Yojana, हाईकोर्ट ने चिरंजीवी योजना की आय बंद होने के आधार पर सेवा से हटाने के आदेश पर रोक लगा दी है. यहां जानिए पूरा मामला...

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 8, 2024, 8:28 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने चिरंजीवी योजना की आय बंद होने का हवाला देकर संविदा पर कार्यरत लैब टेक्नीशियन को राहत देते हुए उसे हटाने पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने चिकित्सा सचिव व निदेशक सहित अन्य से जवाब मांगते हुए उसकी जगह किसी अन्य को नहीं लगाने के लिए कहा है. अदालत ने यह आदेश भूपेन चौधरी की याचिका पर दिया.

याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने बताया कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति गत वर्ष दौसा की सीएचसी में संविदा पर हुई थी. एक साल के दौरान ही 29 फरवरी 2024 को उसकी सेवा यह कहते हुए खत्म कर दी कि चिरंजीवी योजना की आय बंद हो रही है. इसके बाद याचिकाकर्ता को 31 मार्च 2024 को सेवा से रिलीव भी कर दिया.

पढ़ें : सचिव बताएं अभ्यर्थियों की महत्वहीन त्रुटियों के प्रभावी निस्तारण के लिए क्या है व्यवस्था ? - Rajasthan High Court

इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि प्रदेश में चिरंजीवी योजना से 12 लाख से ज्यादा लोगों को निशुल्क उपचार मिल चुका है. वहीं, बजट 2023-24 के अनुसार इस योजना में वार्षिक स्वास्थ्य बीमा कवरेज को भी 10 लाख रुपए से बढ़ाकर 25 लाख रुपए कर दिया है. ऐसे में याचिकाकर्ता की सेवा खत्म करना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है.

वहीं, केवल योजना से आय नहीं मिलने का हवाला देकर उसे हटाना मनमानी पूर्ण है. याचिका में कहा गया कि यह योजना अभी भी जारी है. इसलिए उसे हटाने के आदेश को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को हटाने पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने चिरंजीवी योजना की आय बंद होने का हवाला देकर संविदा पर कार्यरत लैब टेक्नीशियन को राहत देते हुए उसे हटाने पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने चिकित्सा सचिव व निदेशक सहित अन्य से जवाब मांगते हुए उसकी जगह किसी अन्य को नहीं लगाने के लिए कहा है. अदालत ने यह आदेश भूपेन चौधरी की याचिका पर दिया.

याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने बताया कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति गत वर्ष दौसा की सीएचसी में संविदा पर हुई थी. एक साल के दौरान ही 29 फरवरी 2024 को उसकी सेवा यह कहते हुए खत्म कर दी कि चिरंजीवी योजना की आय बंद हो रही है. इसके बाद याचिकाकर्ता को 31 मार्च 2024 को सेवा से रिलीव भी कर दिया.

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इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि प्रदेश में चिरंजीवी योजना से 12 लाख से ज्यादा लोगों को निशुल्क उपचार मिल चुका है. वहीं, बजट 2023-24 के अनुसार इस योजना में वार्षिक स्वास्थ्य बीमा कवरेज को भी 10 लाख रुपए से बढ़ाकर 25 लाख रुपए कर दिया है. ऐसे में याचिकाकर्ता की सेवा खत्म करना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है.

वहीं, केवल योजना से आय नहीं मिलने का हवाला देकर उसे हटाना मनमानी पूर्ण है. याचिका में कहा गया कि यह योजना अभी भी जारी है. इसलिए उसे हटाने के आदेश को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को हटाने पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है.

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