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हाईकोर्ट ने आरएएस भर्ती में अभ्यर्थी की बहु दिव्यांगता नहीं मानने पर मांगा जवाब - Rajasthan High Court - RAJASTHAN HIGH COURT

राजस्थान हाईकोर्ट ने आरएएस भर्ती 2021 में अभ्यर्थी की बहु दिव्यांगता को नहीं मानने पर आरपीएससी सचिव समेत अन्य अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

SEEKS REPLY FROM RPSC SECRETARY,  NOT CONSIDERING MULTIPLE DISABILITY
राजस्थान हाईकोर्ट. (Etv Bharat jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 27, 2024, 8:24 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आरएएस भर्ती-2021 में अभ्यर्थी की बहु दिव्यांगता को नहीं मानकर उसे नियुक्ति प्रक्रिया से बाहर करने पर आरपीएससी सचिव और कार्मिक सचिव से जवाब तलब किया है. अदालत ने इन अधिकारियों से पूछा है कि बहु दिव्यांग होने के बावजूद भी अभ्यर्थी को इसका लाभ क्यों नहीं दिया जा रहा है?. इसके साथ ही अदालत ने कहा है कि याचिकाकर्ता अभ्यर्थी की दिव्यांगता की जांच एसएमएस अस्पताल से कराई जाए. जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश शुभम सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि आरपीएससी ने 20 जुलाई, 2021 को आरएएस व अधीनस्थ सेवा के कुल 988 पदों के लिए भर्ती निकाली थी. दिव्यांग याचिकाकर्ता ने प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा पास कर ली. वहीं, आयोग ने उसे बहु दिव्यांग श्रेणी में नहीं मानकर साक्षात्कार में शामिल नहीं किया, जबकि उससे कम अंक लाने वाले दूसरे बहु दिव्यांग अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में शामिल किया गया है.

पढ़ेंः राजस्थान हाईकोर्ट ने दिए रीट परीक्षा में राजस्थानी भाषा की संभावना तलाशने के निर्देश - Rajasthan Language In REET

इसे चुनौती देते हुए कहा गया कि याचिकाकर्ता तीस फीसदी आंख और तीस फीसदी कान से दिव्यांग है और उसके पास मेडिकल बोर्ड की ओर से जारी बहु दिव्यांगता का प्रमाण पत्र भी है. इसके बावजूद भी बहु दिव्यांग नहीं माना जा रहा है, जबकि वह दिव्यांग अधिनियम के तहत चार फीसदी दिव्यांग कोटे का हकदार है. ऐसे में उसे बहु दिव्यांग वर्ग में मानते हुए आरएएस भर्ती के साक्षात्कार में शामिल करने के निर्देश दिए जाएं. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए याचिकाकर्ता का मेडिकल एसएमएस अस्पताल से कराने को कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आरएएस भर्ती-2021 में अभ्यर्थी की बहु दिव्यांगता को नहीं मानकर उसे नियुक्ति प्रक्रिया से बाहर करने पर आरपीएससी सचिव और कार्मिक सचिव से जवाब तलब किया है. अदालत ने इन अधिकारियों से पूछा है कि बहु दिव्यांग होने के बावजूद भी अभ्यर्थी को इसका लाभ क्यों नहीं दिया जा रहा है?. इसके साथ ही अदालत ने कहा है कि याचिकाकर्ता अभ्यर्थी की दिव्यांगता की जांच एसएमएस अस्पताल से कराई जाए. जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश शुभम सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि आरपीएससी ने 20 जुलाई, 2021 को आरएएस व अधीनस्थ सेवा के कुल 988 पदों के लिए भर्ती निकाली थी. दिव्यांग याचिकाकर्ता ने प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा पास कर ली. वहीं, आयोग ने उसे बहु दिव्यांग श्रेणी में नहीं मानकर साक्षात्कार में शामिल नहीं किया, जबकि उससे कम अंक लाने वाले दूसरे बहु दिव्यांग अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में शामिल किया गया है.

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इसे चुनौती देते हुए कहा गया कि याचिकाकर्ता तीस फीसदी आंख और तीस फीसदी कान से दिव्यांग है और उसके पास मेडिकल बोर्ड की ओर से जारी बहु दिव्यांगता का प्रमाण पत्र भी है. इसके बावजूद भी बहु दिव्यांग नहीं माना जा रहा है, जबकि वह दिव्यांग अधिनियम के तहत चार फीसदी दिव्यांग कोटे का हकदार है. ऐसे में उसे बहु दिव्यांग वर्ग में मानते हुए आरएएस भर्ती के साक्षात्कार में शामिल करने के निर्देश दिए जाएं. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए याचिकाकर्ता का मेडिकल एसएमएस अस्पताल से कराने को कहा है.

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