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हाईकोर्ट का आदेश, डीओआईटी के पिछले पांच साल के सभी टेंडर्स की जांच कर एसीबी करे रिपोर्ट पेश - Rajasthan High Court - RAJASTHAN HIGH COURT

राजस्थान हाईकोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में पेश रिवीजन याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने एसीबी को पिछले पांच साल के डीओआईटी के सभी टेंडर्स की जांच करके रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं.

ACB SHOULD INVESTIGATE,  INVESTIGATE ALL TENDERS OF DOIT
राजस्थान हाईकोर्ट. (ETV Bharat jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 6, 2024, 8:35 PM IST

जयपुरः डीओआईटी के तत्कालीन अधिकारी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में एसीबी की ओर से पेश एफआर को विशेष न्यायालय की ओर से मंजूर करने के मामले में एसीबी डीजी रवि मेहरडा राजस्थान हाईकोर्ट में पेश हुए. अदालत ने मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि आप यह क्यों नहीं देखते की डीओआईटी सबसे अधिक भ्रष्टाचार वाला विभाग है. वहां तो इतना भ्रष्टाचार है कि लोगों के पास घरों में सोना रखने की जगह नहीं बची है, इसलिए वे ऑफिस में सोना रखते हैं. इसके साथ ही अदालत ने मौखिक रूप से एसीबी को कहा कि वह विभाग के बीते पांच साल के सभी टेंडर्स की जांच करे और चार सप्ताह में रिपोर्ट पेश करे. जस्टिस अशोक कुमार जैन ने यह आदेश एफआर स्वीकार करने के एसीबी कोर्ट के आदेश के खिलाफ पेश टीएन शर्मा की रिवीजन पर सुनवाई करते हुए दिए.

अदालती आदेश की पालना में एसीबी डीजी रवि मेहरडा अदालत में हाजिर हुए. अदालत ने उनसे पूछा कि आपके विभाग ने मामले में एफआर कैसे लगा दी, लेकिन डीजी ने कोई जवाब नहीं दिया. इस पर अदालत ने उनसे कहा कि सही दिशा में तो यह होता कि आप टेंडर्स की जांच करते कि किसे कितना पैसा मिला व किसे टेंडर्स मिला?. वहीं, याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि एसीबी ने गलत तौर पर एफआर लगाई है, डीओआईटी में बहुत भ्रष्टाचार है.

पढ़ेंः DLB निदेशक हाजिर होकर बताएं कि हेरिटेज मेयर के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति को लेकर अब तक निर्णय क्यों नहीं- हाईकोर्ट - HC on Prosecution approval

इस पर अदालत ने एसीबी डीजी को मौखिक रूप से कहा कि वे विभाग के पिछले पांच साल के सभी टेंडर्स की जांच करें और इसकी रिपोर्ट कोर्ट में चार सप्ताह में पेश करें. एसीबी डीजी ने अदालत से कहा टेंडर्स की संख्या अधिक होने के कारण जांच पूरी करने के लिए अधिक समय दिया जाए, लेकिन अदालत ने इससे मना करते हुए कहा कि जांच शुरू होने के बाद यदि समय कम रहा तो उसे बाद में देखेंगे. याचिका में वर्ष 2019 में डीओआईटी विभाग के तत्कालीन उपनिदेशक कुलदीप यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में एसीबी की ओर से एफआर लगाने को चुनौती दी गई है.

जयपुरः डीओआईटी के तत्कालीन अधिकारी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में एसीबी की ओर से पेश एफआर को विशेष न्यायालय की ओर से मंजूर करने के मामले में एसीबी डीजी रवि मेहरडा राजस्थान हाईकोर्ट में पेश हुए. अदालत ने मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि आप यह क्यों नहीं देखते की डीओआईटी सबसे अधिक भ्रष्टाचार वाला विभाग है. वहां तो इतना भ्रष्टाचार है कि लोगों के पास घरों में सोना रखने की जगह नहीं बची है, इसलिए वे ऑफिस में सोना रखते हैं. इसके साथ ही अदालत ने मौखिक रूप से एसीबी को कहा कि वह विभाग के बीते पांच साल के सभी टेंडर्स की जांच करे और चार सप्ताह में रिपोर्ट पेश करे. जस्टिस अशोक कुमार जैन ने यह आदेश एफआर स्वीकार करने के एसीबी कोर्ट के आदेश के खिलाफ पेश टीएन शर्मा की रिवीजन पर सुनवाई करते हुए दिए.

अदालती आदेश की पालना में एसीबी डीजी रवि मेहरडा अदालत में हाजिर हुए. अदालत ने उनसे पूछा कि आपके विभाग ने मामले में एफआर कैसे लगा दी, लेकिन डीजी ने कोई जवाब नहीं दिया. इस पर अदालत ने उनसे कहा कि सही दिशा में तो यह होता कि आप टेंडर्स की जांच करते कि किसे कितना पैसा मिला व किसे टेंडर्स मिला?. वहीं, याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि एसीबी ने गलत तौर पर एफआर लगाई है, डीओआईटी में बहुत भ्रष्टाचार है.

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इस पर अदालत ने एसीबी डीजी को मौखिक रूप से कहा कि वे विभाग के पिछले पांच साल के सभी टेंडर्स की जांच करें और इसकी रिपोर्ट कोर्ट में चार सप्ताह में पेश करें. एसीबी डीजी ने अदालत से कहा टेंडर्स की संख्या अधिक होने के कारण जांच पूरी करने के लिए अधिक समय दिया जाए, लेकिन अदालत ने इससे मना करते हुए कहा कि जांच शुरू होने के बाद यदि समय कम रहा तो उसे बाद में देखेंगे. याचिका में वर्ष 2019 में डीओआईटी विभाग के तत्कालीन उपनिदेशक कुलदीप यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में एसीबी की ओर से एफआर लगाने को चुनौती दी गई है.

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