जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने आकस्मिक जांच में संसाधनों की कमियां पाए जाने पर मेडिकल कॉलेज की एमबीबीएस की सीट कम करने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है. जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश इंडियन मिशन ऑफ मेडिकल साइंसेज सोसायटी कोटा और सुधा मेडिकल कॉलेज झालावाड़ की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने कहा कि मेडिकल कॉलेज के डीन ने अपील के निर्णय के दौरान सौ सीटों पर प्रवेश के साथ कॉलेज की स्थापना को स्वीकार किया था. ऐसे में याचिकाकर्ता एस्टोपल के सिद्धांत से बंधा हुआ है.
याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने मेडिकल कॉलेज के लिए आवेदन किया था. इस पर चिकित्सा शिक्षा विभाग ने प्रारंभिक जांच के बाद 24 मार्च, 2023 को पत्र जारी कर याचिकाकर्ता को तीन शैक्षणिक सत्रों के लिए 150 सीटों की क्षमता वाले मेडिकल कॉलेज की स्थापना की अनुमति जारी कर दी. इसके बाद याचिकाकर्ता ने सभी औपचारिकताएं पूरी कर राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय से संबद्धता और मान्यता के लिए आवेदन किया. आरयूएचएस ने भी 9 अप्रैल, 2023 को उसे अनुमति दे दी. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने कॉलेज स्थापना के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन के समक्ष अनुमति के लिए आवेदन किया.
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इस पर राष्ट्रीय चिकित्सा मूल्यांकन और रेटिंग बोर्ड ने कुछ कमियां बताते हुए याचिकाकर्ता को गत तीन अप्रैल को नोटिस दिया. इसका याचिकाकर्ता ने जवाब दे दिया. याचिका में कहा गया कि बोर्ड ने आकस्मिक निरीक्षण कर संस्थान में संसाधनों और फैकल्टी की कमी बताकर गत 4 जुलाई को 150 सीटों को घटाकर सौ सीटें कर दी. इस कार्रवाई को याचिकाकर्ता ने प्रथम अपील और बाद में सक्षम अधिकारी के समक्ष द्वितीय अपील दायर कर चुनौती दी. इन दोनों अपीलों के खारिज होने के बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर 150 सीटों पर प्रवेश की अनुमति मांगी गई. इसका विरोध करते हुए बोर्ड की ओर से अधिवक्ता आरडी रस्तोगी ने कहा कि मेडिकल कॉलेज में संसाधनों और फैकल्टी की कमी के कारण सौ सीटों पर ही प्रवेश की अनुमति दी गई थी. इसके अलावा अपील पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के डीन ने सौ सीटों पर प्रवेश के साथ कॉलेज स्थापना को स्वीकार कर लिया था. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया.