जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने फर्जी एनओसी के जरिए ऑर्गन ट्रांसप्लांट से जुड़े मामले में फोर्टिस हॉस्पिटल की डॉक्टर ज्योति बंसल और डॉ. जितेन्द्र गोस्वामी के खिलाफ जवाहर सर्किल पुलिस थाने में दर्ज एफआईआर रद्द करने से इनकार कर दिया है. जस्टिस सुदेश बंसल ने यह आदेश आरोपी डॉक्टर्स की आपराधिक याचिका को खारिज करते हुए दिया.
दलालों से मिली भगत : याचिका में आरोपियों ने कहा कि उनकी ऑर्गन ट्रांसप्लांट केस में कोई भूमिका नहीं है. उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया भी अपराध नहीं बनना पाया है, इसलिए उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द किया जाए. इसके जवाब में राज्य के एएजी घनश्याम सिंह राठौड़ ने कहा कि केस डायरी से साबित है कि अनुसंधान में यह मामला ऑर्गन ट्रांसप्लांट के इंटरनेशनल रैकेट से जुड़ा हुआ है. आरोपियों ने दलालों से मिली भगत कर अवैध तरीके से ऑर्गन ट्रांसप्लांट किया है. इस अपराध में हॉस्पिटल मैनेजमेंट भी मिला हुआ था. इसी के चलते आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा सहित ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन एंड टिश्यू एक्ट 1994 के तहत केस दर्ज कराया है.
जांच में ये आया सामने : मामले की प्रगति रिपोर्ट से भी साबित है कि इस मामले में 12 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. मामले की प्रारंभिक जांच में भी सामने आया है कि टेलीफोनिक तौर पर उनके संबंध दलालों से थे और उनके बीच किडनी ट्रांसप्लांट को लेकर रुपए का लेन-देन भी हुआ है. ऐसे में आरोपियों की एफआईआर रद्द नहीं की जाए. अदालत ने राज्य सरकार की दलीलों से सहमत होकर आरोपी डाॅक्टर्स के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने से मना करते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी.
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