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वृहद पीठ तय करेगी कि दुष्कर्म और पॉक्सो अपराध में सजा काट रहे अपराधी ओपन जेल में भेजे जा सकते हैं या नहीं - RAJASTHAN HIGH COURT

हाईकोर्ट- वृहद पीठ तय करेगी कि दुष्कर्म और पॉक्सो अपराध में सजा काट रहे अपराधी ओपन जेल में भेजे जा सकते हैं या नहीं.

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 3 hours ago

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने दुष्कर्म और पॉक्सो अपराध में सजा काट रहे कैदियों को ओपन जेल में भेजे जाने के संबंध में अलग-अलग बेंच की ओर से दिए अलग-अलग फैसले को देखते हुए इस कानूनी बिंदु को तय करने के लिए वृहद पीठ में भेजा है. अदालत ने वृहद पीठ के सामने भेजने के लिए प्रकरण को सीजे के समक्ष पेश करने को कहा है. जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश गंगाराम सहित एक दर्जन से अधिक आपराधिक याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए.

अदालत ने कहा कि ओपन जेल नियमों में प्रावधान है कि दुष्कर्म सहित अन्य गंभीर अपराधों के कैदी सामान्यतः ओपन जेल में जाने के लिए पात्र नहीं है. वहीं, हाईकोर्ट की अलग-अलग खंडपीठ पूर्व में इस संबंध में अपना अलग-अलग मत प्रकट कर चुकी है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने भी एक मामले की विशेष परिस्थितियों को देखते हुए अपना आदेश दिया था. अभी भी यह कानूनी बिंदु तय नहीं हुआ है कि ऐसे अपराधियों को ओपन जेल में भेजा जाए या नहीं. इसलिए इस कानूनी बिंदु को तय करने के लिए वृहद पीठ में भेजना उचित होगा.

पढ़ें : भर्तियों के मुद्दों के निस्तारण के लिए क्यों न अलग से बने शिकायत निवारण प्रकोष्ठ-हाईकोर्ट - COMPLAINT REDRESSAL CELL

याचिकाओं में कहा गया कि पूर्व में खंडपीठ तय कर चुकी है कि ऐसे अपराधियों को ओपन जेल में भेजा जा सकता है. इसलिए याचिकाकर्ताओं को भी ओपन जेल में भेजा जाए. इसका विरोध करते हुए एएजी राजेश चौधरी ने कहा कि खंडपीठ ने अन्य मामले में ऐसे अपराधियों को ओपन जेल के योग्य नहीं माना है. वहीं, ओपन जेल नियमों में ऐसे अपराधियों को ओपन जेल में भेजने के लिए सामान्यतः शब्द का उपयोग किया गया है. ऐसे में अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए पॉक्सो के अपराधियों को भी ओपन जेल में नहीं भेजा जाना चाहिए. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने इस कानूनी बिंदु को तय करने के लिए वृहद पीठ में भेजा है.

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने दुष्कर्म और पॉक्सो अपराध में सजा काट रहे कैदियों को ओपन जेल में भेजे जाने के संबंध में अलग-अलग बेंच की ओर से दिए अलग-अलग फैसले को देखते हुए इस कानूनी बिंदु को तय करने के लिए वृहद पीठ में भेजा है. अदालत ने वृहद पीठ के सामने भेजने के लिए प्रकरण को सीजे के समक्ष पेश करने को कहा है. जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश गंगाराम सहित एक दर्जन से अधिक आपराधिक याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए.

अदालत ने कहा कि ओपन जेल नियमों में प्रावधान है कि दुष्कर्म सहित अन्य गंभीर अपराधों के कैदी सामान्यतः ओपन जेल में जाने के लिए पात्र नहीं है. वहीं, हाईकोर्ट की अलग-अलग खंडपीठ पूर्व में इस संबंध में अपना अलग-अलग मत प्रकट कर चुकी है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने भी एक मामले की विशेष परिस्थितियों को देखते हुए अपना आदेश दिया था. अभी भी यह कानूनी बिंदु तय नहीं हुआ है कि ऐसे अपराधियों को ओपन जेल में भेजा जाए या नहीं. इसलिए इस कानूनी बिंदु को तय करने के लिए वृहद पीठ में भेजना उचित होगा.

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याचिकाओं में कहा गया कि पूर्व में खंडपीठ तय कर चुकी है कि ऐसे अपराधियों को ओपन जेल में भेजा जा सकता है. इसलिए याचिकाकर्ताओं को भी ओपन जेल में भेजा जाए. इसका विरोध करते हुए एएजी राजेश चौधरी ने कहा कि खंडपीठ ने अन्य मामले में ऐसे अपराधियों को ओपन जेल के योग्य नहीं माना है. वहीं, ओपन जेल नियमों में ऐसे अपराधियों को ओपन जेल में भेजने के लिए सामान्यतः शब्द का उपयोग किया गया है. ऐसे में अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए पॉक्सो के अपराधियों को भी ओपन जेल में नहीं भेजा जाना चाहिए. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने इस कानूनी बिंदु को तय करने के लिए वृहद पीठ में भेजा है.

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