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क्रूड ऑयल पाइप लाइन प्रकरण में राजस्थान हाईकोर्ट ने यथा-स्थिति का आदेश वापस लिया - RAJASTHAN HIGH COURT JAIPUR

राजस्थान हाईकोर्ट ने मूंदडा-पानीपत क्रूड ऑयल पाइप लाइन डालने के मामले में दिए यथा-स्थिति के आदेश को वापस ले लिया है.

Rajasthan High Court Jaipur
राजस्थान हाईकोर्ट (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 19, 2024, 10:13 PM IST

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने मूंदडा-पानीपत क्रूड ऑयल पाइप लाइन डालने के मामले में दिए यथा-स्थिति के आदेश को वापस ले लिया है. जस्टिस महेन्द्र गोयल ने यह आदेश महेन्द्र कुमार की याचिका में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन की ओर से दायर प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए दिए.

प्रार्थना पत्र में केन्द्र सरकार की ओर से एएसजी राजदीपक रस्तोगी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता की ओर से बिना उचित आधार महत्वपूर्ण राष्ट्रीय परियोजना को रुकवा दिया गया, जबकि पाइप लाइन के रास्ते में पहले से निर्मित मंदिर के आने के कारण उसका अलाइंमेंट बदला गया था. जिसका फायदा भी याचिकाकर्ता को ही हुआ और उसकी चार सौ मीटर कम भूमि अवाप्त हुई. याचिकाकर्ता ने भूमि अवाप्ति को चुनौती नहीं दी है और अब भूमि भारत सरकार में निहित हो चुकी है. इसके अलावा उसका मुआवजा भी भूमि अवाप्ति अधिकारी के कार्यालय में जमा हो गया है. ऐसे में एकलपीठ की ओर से प्रार्थी को बिना सुने लगाई रोक को हटाया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने पूर्व में लगी रोक को हटा लिया है.

पढ़ेंः राजस्थान हाईकोर्ट ने द्रव्यवती नदी के रखरखाव को लेकर दिए निर्देश, जेडीए व कंपनी से सालाना रिपोर्ट भी मांगी

याचिका में कहा गया कि दूसरे व्यक्ति को फायदा पहुंचाने के लिए पाइप लाइन का अलाइंमेंट बदला गया है और इसके लिए उसकी भूमि भी गलत तरीके से अवाप्त की गई है. याचिका पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने गत 4 नवंबर को मामले में यथा-स्थिति के आदेश दिए थे. वहीं आईओसी की ओर से दायर प्रार्थना पत्र पर सुनवाई नहीं होने पर खंडपीठ में भी याचिका दायर हुई थी. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने एकलपीठ को कहा था कि वह पन्द्रह दिन में प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करे.

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने मूंदडा-पानीपत क्रूड ऑयल पाइप लाइन डालने के मामले में दिए यथा-स्थिति के आदेश को वापस ले लिया है. जस्टिस महेन्द्र गोयल ने यह आदेश महेन्द्र कुमार की याचिका में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन की ओर से दायर प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए दिए.

प्रार्थना पत्र में केन्द्र सरकार की ओर से एएसजी राजदीपक रस्तोगी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता की ओर से बिना उचित आधार महत्वपूर्ण राष्ट्रीय परियोजना को रुकवा दिया गया, जबकि पाइप लाइन के रास्ते में पहले से निर्मित मंदिर के आने के कारण उसका अलाइंमेंट बदला गया था. जिसका फायदा भी याचिकाकर्ता को ही हुआ और उसकी चार सौ मीटर कम भूमि अवाप्त हुई. याचिकाकर्ता ने भूमि अवाप्ति को चुनौती नहीं दी है और अब भूमि भारत सरकार में निहित हो चुकी है. इसके अलावा उसका मुआवजा भी भूमि अवाप्ति अधिकारी के कार्यालय में जमा हो गया है. ऐसे में एकलपीठ की ओर से प्रार्थी को बिना सुने लगाई रोक को हटाया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने पूर्व में लगी रोक को हटा लिया है.

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याचिका में कहा गया कि दूसरे व्यक्ति को फायदा पहुंचाने के लिए पाइप लाइन का अलाइंमेंट बदला गया है और इसके लिए उसकी भूमि भी गलत तरीके से अवाप्त की गई है. याचिका पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने गत 4 नवंबर को मामले में यथा-स्थिति के आदेश दिए थे. वहीं आईओसी की ओर से दायर प्रार्थना पत्र पर सुनवाई नहीं होने पर खंडपीठ में भी याचिका दायर हुई थी. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने एकलपीठ को कहा था कि वह पन्द्रह दिन में प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करे.

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