जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेश के कई सालों बाद श्रमिक को पुन: नियुक्ति देने में खानापूर्ति करने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने श्रम सचिव, जयपुर कलेक्टर, एसडीओ दूदू, मोटर गैराज नियंत्रक और अतिरिक्त श्रम आयुक्त को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. अदालत ने कहा कि श्रमिक को पुन: नियुक्ति प्लेसमेंट एजेन्सी के जरिए देने के आदेश जारी किए गए हैं, यह लेबर कोर्ट की ओर से आदेश के अनुरूप नहीं है. जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश रामस्वरूप शर्मा की याचिका पर दिए.
अदालती आदेश की पालना में राज्य सरकार की ओर से याचिकाकर्ता का नियुक्ति पत्र पेश किया गया. इस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता तन्मय ढंड ने कहा की यह नियुक्ति आदेश अदालत की आंख में धूल झोंकने वाला है और अदालती आदेश के अनुरूप भी नहीं है. लेबर कोर्ट ने जयपुर कलेक्टर व एसडीएम दूदू को निर्देश दिए थे कि वह याचिकाकर्ता श्रमिक को 7 मई, 2015 से सेवा में मानते हुए बहाल करे. साथ ही वह इस दौरान का पचास फीसदी वेतन भी प्राप्त करने का अधिकारी है. जबकि यह आदेश प्लेसमेंट एजेन्सी के जरिए नियुक्ति का है.
जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने इस नियुक्ति आदेश को प्रथम दृष्टया गलत मानते हुए संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किए हैं. गौरतलब है कि याचिकाकर्ता को राज्य सरकार ने श्रमिक पद से 7 मई 2015 को आदेश जारी कर सेवा से बर्खास्त कर दिया था. इसे उसने लेबर कोर्ट में चुनौती दी. लेबर कोर्ट ने 7 फरवरी 2020 को उसकी बर्खास्तगी को रद्द करते हुए जयपुर जिला कलेक्टर व एसडीएम दूदू को निर्देश दिया कि वे उसे 7 मई 2015 से ही सेवा में मानते हुए बहाल करें. साथ ही वह इस दौरान का 50 फीसदी वेतन प्राप्त करने का अधिकारी है. लेबर कोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट तक गई, लेकिन अदालत ने लेबर कोर्ट के आदेश को सही माना. गत सुनवाई को अदालत ने आदेश की पालना नहीं करने पर मुख्य सचिव को तलब किया था.