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पेपर लीक प्रकरण : आरोपी ट्रेनी SI को रिहा करने का आदेश निरस्त, DGP जांच कर रिपोर्ट करें पेश - Rajasthan High Court

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 8, 2024, 4:03 PM IST

Rajasthan Paper Leak, राजस्थान हाईकोर्ट ने एसआई भर्ती पेपर लीक मामले में 12 आरोपियों की रिहाई के आदेश को निरस्त कर दिया है. साथ ही डीजीपी को जांच कर रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट (ETV Bharat Jaipur)
किसने क्या कहा, सुनिए... (ETV Bharat Jaipur)

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पुलिस उप निरीक्षक भर्ती 2021 पेपर लीक से जुड़े मामले में मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट, द्वितीय के गत 12 अप्रैल के उस आदेश को निरस्त कर दिया है. जिसके तहत अदालत ने 11 ट्रेनी एसआई सहित कुल 12 आरोपियों की अवैध हिरासत मानते हुए उन्हें रिहा करने के आदेश दिए थे. इसके साथ ही अदालत में डीजीपी को कहा है कि वह आरोपियों की अवैध हिरासत के संबंध में जांच कर 15 दिन में निचली अदालत में तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करें. इसके आधार पर निचली अदालत अवैध हिरासत के बिंदू को तय करें. जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार की अपील को मंजूर करते हुए दिए.

अदालत ने कहा कि 19 मार्च 2024 को मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट ने अन्य आरोपियों की अवैध हिरासत के संबंध में डीजीपी को जांच करने के आदेश दिए थे और उनसे रिपोर्ट मांगी थी. डीजीपी की रिपोर्ट आए बिना ही निचली अदालत के पास इन 12 आरोपियों की अवैध हिरासत को मानने का कोई आधार नहीं था. यह विस्तृत जांच का विषय था. ऐसी स्थिति में एक समान प्रकरण में दो अलग-अलग प्रकार के निर्णय देना उचित नहीं था.

पढ़ें. एसआई पेपर लीक मामले में 12 आरोपियों की रिहाई पर रोक का मामला, जज ने किया सुनवाई से इनकार - Rajasthan High Court

राज्य सरकार की ओर से याचिका में कहा गया कि आरोपी एसओजी की अवैध हिरासत में नहीं थे और उन्हें पूछताछ के बाद ही गिरफ्तार किया गया था. राज्य सरकार के विशेष लोक अभियोजक अनुराग शर्मा ने कहा कि आरोपियों से 2 अप्रैल को पूछताछ हुई थी और उस समय उन्हें अवैध हिरासत में नहीं लिया था. पूछताछ के बाद ही 3 अप्रैल को उन्हें गिरफ्तार किया और 24 घंटे की अवधि में कोर्ट में उनकी पेशी कर दी गई. ऐसे में राज्य सरकार ने उनकी कोर्ट में पेशी करने में किसी भी कानूनी प्रावधान का उल्लंघन नहीं किया है.

आरोपियों की ओर से कहा गया कि एसओजी ने आरोपियों को आरपीए से उठाया और अपने पास अवैध हिरासत में रखते हुए उन्हें बाद में गिरफ्तार दिखाकर अदालत में पेश किया. निचली अदालत की ओर से आरोपियों को रिहा करने का आदेश सही है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत में निचली अदालत के आदेश को रद्द करते हुए डीजीपी को जांच रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं.

गौरतलब है कि गत 12 अप्रैल को सीएमएम, द्वितीय ने आरोपियों की अवैध हिरासत मानते हुए उन्हें रिहा करने के आदेश दिए थे. इस आदेश के खिलाफ पेश अपील पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने इस आदेश पर रोक लगा दी थी. वहीं, हाईकोर्ट के इस आदेश को आरोपियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दखल से इनकार करते हुए हाईकोर्ट को फैसला देने को कहा था.

किसने क्या कहा, सुनिए... (ETV Bharat Jaipur)

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पुलिस उप निरीक्षक भर्ती 2021 पेपर लीक से जुड़े मामले में मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट, द्वितीय के गत 12 अप्रैल के उस आदेश को निरस्त कर दिया है. जिसके तहत अदालत ने 11 ट्रेनी एसआई सहित कुल 12 आरोपियों की अवैध हिरासत मानते हुए उन्हें रिहा करने के आदेश दिए थे. इसके साथ ही अदालत में डीजीपी को कहा है कि वह आरोपियों की अवैध हिरासत के संबंध में जांच कर 15 दिन में निचली अदालत में तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करें. इसके आधार पर निचली अदालत अवैध हिरासत के बिंदू को तय करें. जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार की अपील को मंजूर करते हुए दिए.

अदालत ने कहा कि 19 मार्च 2024 को मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट ने अन्य आरोपियों की अवैध हिरासत के संबंध में डीजीपी को जांच करने के आदेश दिए थे और उनसे रिपोर्ट मांगी थी. डीजीपी की रिपोर्ट आए बिना ही निचली अदालत के पास इन 12 आरोपियों की अवैध हिरासत को मानने का कोई आधार नहीं था. यह विस्तृत जांच का विषय था. ऐसी स्थिति में एक समान प्रकरण में दो अलग-अलग प्रकार के निर्णय देना उचित नहीं था.

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राज्य सरकार की ओर से याचिका में कहा गया कि आरोपी एसओजी की अवैध हिरासत में नहीं थे और उन्हें पूछताछ के बाद ही गिरफ्तार किया गया था. राज्य सरकार के विशेष लोक अभियोजक अनुराग शर्मा ने कहा कि आरोपियों से 2 अप्रैल को पूछताछ हुई थी और उस समय उन्हें अवैध हिरासत में नहीं लिया था. पूछताछ के बाद ही 3 अप्रैल को उन्हें गिरफ्तार किया और 24 घंटे की अवधि में कोर्ट में उनकी पेशी कर दी गई. ऐसे में राज्य सरकार ने उनकी कोर्ट में पेशी करने में किसी भी कानूनी प्रावधान का उल्लंघन नहीं किया है.

आरोपियों की ओर से कहा गया कि एसओजी ने आरोपियों को आरपीए से उठाया और अपने पास अवैध हिरासत में रखते हुए उन्हें बाद में गिरफ्तार दिखाकर अदालत में पेश किया. निचली अदालत की ओर से आरोपियों को रिहा करने का आदेश सही है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत में निचली अदालत के आदेश को रद्द करते हुए डीजीपी को जांच रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं.

गौरतलब है कि गत 12 अप्रैल को सीएमएम, द्वितीय ने आरोपियों की अवैध हिरासत मानते हुए उन्हें रिहा करने के आदेश दिए थे. इस आदेश के खिलाफ पेश अपील पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने इस आदेश पर रोक लगा दी थी. वहीं, हाईकोर्ट के इस आदेश को आरोपियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दखल से इनकार करते हुए हाईकोर्ट को फैसला देने को कहा था.

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