जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने एक ही भर्ती में विभिन्न जिलों में नियुक्त विलेज लेवल ऑफिसरों की वरिष्ठता मेरिट के बजाए उनकी नियुक्ति तिथि और स्थायीकरण से करने से जुडे़ मामले में प्रमुख पंचायती राज सचिव, पंचायती राज निदेशक और धौलपुर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी से जवाब तलब किया है. सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश जितेंद्र सिंह की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता हरेंद्र नील ने बताया कि वर्ष 1999 में जिलेवार विलेज लेवल ऑफिसर भर्ती निकाली गई थी. जिसकी लिखित परीक्षा एक समान प्रश्न पत्र के जरिए ही एक समय पर आयोजित की गई थी. वहीं, संबंधित जिला प्रशासन ने अपने स्तर पर अलग-अलग समय पर चयनितों को इस पद पर नियुक्ति दी. जिसके तहत याचिकाकर्ता धौलपुर जिले में नियुक्त हुआ. याचिका में कहा गया कि पंचायती राज नियम, 1996 के नियम 285 के तहत विलेज लेवल ऑफिसर पद की वरिष्ठता सूची संबंधित कर्मचारियों की नियुक्ति व स्थाईकरण की तिथि से करना तय किया गया.
पढ़ेंः संशोधित परिणाम से बाहर हुए कांस्टेबलों को सेवा में बनाए रखने के आदेश - Rajasthan High Court
याचिका में इस प्रावधान को चुनौती देते हुए कहा गया कि याचिकाकर्ता के प्रकरण में सभी अभ्यर्थियों की भर्ती एक समय पर और एक समान प्रश्न पत्र के जरिए हुई थी. हालांकि, प्रशासनिक कारणों के कारण कई जिलों ने सफल अभ्यर्थियों को देरी से नियुक्ति दी. याचिका में नियम 285 की संवैधानिकता को चुनौती देते हुए कहा गया कि इस नियम के तहत जिस जिले में पहले नियुक्ति हो जाती है, वहां का विलेज ऑफिसर देरी से नियुक्ति देने वाले जिले के ऑफिसर से सीनियर हो जाता है. वरिष्ठता का निर्धारण ऑफिसर की आपसी मेरिट के आधार पर होना चाहिए. मामले में याचिकाकर्ता से कम मेरिट वाले कर्मचारी अपनी नियुक्ति तिथि के आधार पर पदोन्नत हो चुके हैं. जिसके चलते याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकारों का हनन हुआ है. इस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.