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हाईकोर्ट ने फर्जी आईटीसी बनाने वाले अभियुक्त को जमानत देने से किया इनकार - Rajasthan High Court - RAJASTHAN HIGH COURT

राजस्थान हाईकोर्ट ने फर्जी आईटीसी बनाने वाले अभियुक्त को जमानत देने से इनकार कर दिया है. अदालत ने कहा कि आरोपी ने योजनाबद्ध तरीके से अपराध किया गया है.

COURT HAS REFUSED TO GRANT BAIL,  MADE FAKE ITC WORTH CRORES
राजस्थान हाईकोर्ट . (ETV Bharat jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 19, 2024, 8:14 PM IST

जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने दर्जनों कंपनियां बनाकर बिना माल भेजे करोड़ों रुपए के जीएसटी आईटीसी को पास ऑन करने वाले आरोपी धीरज सिंघल को जमानत देने से इनकार कर दिया है. जस्टिस शुभा मेहता की एकलपीठ ने यह आदेश आरोपी की जमानत याचिका को खारिज करते हुए दिए. अदालत ने कहा कि आरोपी ने योजनाबद्ध तरीके से अपराध किया है. ऐसे में उसे जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता.

जमानत याचिका में कहा गया कि डीजीजीआई ने गत 7 फरवरी को उसके आवास और कार्यालय पर 23 घंटे सर्च कार्रवाई की थी. इसमें दोषी ठहराई जाने वाली कोई भी सामग्री नहीं मिली. उसके स्वयं के बयान के आधार पर उसके खिलाफ मामला बनाया गया है. मौके का कोई स्वतंत्र गवाह भी नहीं है. वहीं, प्रकरण में फर्जी कंपनियों को लेकर कोई रिकॉर्ड नहीं है.

पढ़ेंः राजस्थान हाईकोर्ट ने बजरी खनन को लेकर हुई हत्या के आरोपियों को जमानत देने से किया इनकार, याचिका खारिज

इसके अलावा मामले में आरोप पत्र भी पेश हो चुका है. ऐसे में उसे जमानत पर रिहा किया जाए. इसका विरोध करते हुए डीजीजीआई की ओर से कहा गया कि आरोपी ने करीब 47 फर्जी कंपनियां बनाकर 190 करोड़ रुपए की मिथ्या आईटीसी पास ऑन की है. ऐसे में उसे जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया है.

जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने दर्जनों कंपनियां बनाकर बिना माल भेजे करोड़ों रुपए के जीएसटी आईटीसी को पास ऑन करने वाले आरोपी धीरज सिंघल को जमानत देने से इनकार कर दिया है. जस्टिस शुभा मेहता की एकलपीठ ने यह आदेश आरोपी की जमानत याचिका को खारिज करते हुए दिए. अदालत ने कहा कि आरोपी ने योजनाबद्ध तरीके से अपराध किया है. ऐसे में उसे जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता.

जमानत याचिका में कहा गया कि डीजीजीआई ने गत 7 फरवरी को उसके आवास और कार्यालय पर 23 घंटे सर्च कार्रवाई की थी. इसमें दोषी ठहराई जाने वाली कोई भी सामग्री नहीं मिली. उसके स्वयं के बयान के आधार पर उसके खिलाफ मामला बनाया गया है. मौके का कोई स्वतंत्र गवाह भी नहीं है. वहीं, प्रकरण में फर्जी कंपनियों को लेकर कोई रिकॉर्ड नहीं है.

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इसके अलावा मामले में आरोप पत्र भी पेश हो चुका है. ऐसे में उसे जमानत पर रिहा किया जाए. इसका विरोध करते हुए डीजीजीआई की ओर से कहा गया कि आरोपी ने करीब 47 फर्जी कंपनियां बनाकर 190 करोड़ रुपए की मिथ्या आईटीसी पास ऑन की है. ऐसे में उसे जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया है.

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