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एसएमएस स्टेडियम सरकारी संपत्ति, इसे कैसे दिया गया निजी सोसायटी को- हाईकोर्ट - Rajasthan High Court

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पूछा है कि एसएमएस स्टेडियम सरकारी संपत्ति है. इसे निजी सोसायटी को कैसे दिया गया?.

SMS STADIUM IS GOVERNMENT PROPERTY,  GIVEN TO A PRIVATE SOCIETY
राजस्थान हाईकोर्ट. (ETV Bharat jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 23, 2024, 8:57 PM IST

जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने आरसीए के पूर्व पदाधिकारियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर के मामले में मौखिक टिप्पणी करते हुए सवाल उठाया कि एसएमएस स्टेडियम सरकारी संपत्ति है. ऐसे में इसे आरसीए जैसी निजी सोसायटी को कैसे दिया जा सकता है?. अदालत ने पूछा कि इसके लिए किस अथॉरिटी के साथ एमओयू किया गया. वहीं, अदालत ने मामले में प्रमुख खेल सचिव को भी 7 अक्टूबर को पेश होने के लिए कहा है. जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश आरसीए के पूर्व सचिव भवानी शंकर सामोता व अन्य की याचिका पर दिए.

अदालत ने एडहॉक कमेटी की ओर से आरसीए के पूर्व पदाधिकारियों पर लगाए आरोपों के संबंध में कहा कि राज्य सरकार जब भी बदलती है, तब इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता है. यह बहुत ही गंभीर बात है कि साधारण आदमी स्टेडियम में जा नहीं सकता, लेकिन सोसायटी के कुछ लोग उसका उपयोग कर रहे हैं. अदालत ने एडहॉक कमेटी के अधिवक्ता एके जैन से पूछा है कि कमेटी ने किस पत्र के आधार पर एफआईआर दर्ज कराई.

पढ़ेंः एडहॉक कमेटी की बैठक: फिलहाल नहीं हो पाएंगे आरसीए के चुनाव, बैठक में नहीं हुई स्थिति स्पष्ट - Adhoc Committee Meeting in Jaipur

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं की ओर से जवाब का प्रति जवाब देने के लिए समय मांगा. इस पर अदालत ने मामले की सुनवाई 7 अक्टूबर को तय की है. गौरतलब कि एडहॉक कमेटी ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ ज्योति नगर पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज करवाई थी. इसमें आरोप लगाया है कि उन्होंने आरसीए में अपने कार्यकाल के दौरान दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा और धोखाधड़ी कर करोड़ों रुपए का घोटाला किया है. इस एफआईआर को याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी है.

जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने आरसीए के पूर्व पदाधिकारियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर के मामले में मौखिक टिप्पणी करते हुए सवाल उठाया कि एसएमएस स्टेडियम सरकारी संपत्ति है. ऐसे में इसे आरसीए जैसी निजी सोसायटी को कैसे दिया जा सकता है?. अदालत ने पूछा कि इसके लिए किस अथॉरिटी के साथ एमओयू किया गया. वहीं, अदालत ने मामले में प्रमुख खेल सचिव को भी 7 अक्टूबर को पेश होने के लिए कहा है. जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश आरसीए के पूर्व सचिव भवानी शंकर सामोता व अन्य की याचिका पर दिए.

अदालत ने एडहॉक कमेटी की ओर से आरसीए के पूर्व पदाधिकारियों पर लगाए आरोपों के संबंध में कहा कि राज्य सरकार जब भी बदलती है, तब इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता है. यह बहुत ही गंभीर बात है कि साधारण आदमी स्टेडियम में जा नहीं सकता, लेकिन सोसायटी के कुछ लोग उसका उपयोग कर रहे हैं. अदालत ने एडहॉक कमेटी के अधिवक्ता एके जैन से पूछा है कि कमेटी ने किस पत्र के आधार पर एफआईआर दर्ज कराई.

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सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं की ओर से जवाब का प्रति जवाब देने के लिए समय मांगा. इस पर अदालत ने मामले की सुनवाई 7 अक्टूबर को तय की है. गौरतलब कि एडहॉक कमेटी ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ ज्योति नगर पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज करवाई थी. इसमें आरोप लगाया है कि उन्होंने आरसीए में अपने कार्यकाल के दौरान दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा और धोखाधड़ी कर करोड़ों रुपए का घोटाला किया है. इस एफआईआर को याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी है.

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