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जल जीवन मिशन में हुए घोटाले को लेकर जानकारी पेश करने के लिए दिया समय - राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने जल जीवन मिशन में हुए घोटाले को लेकर जानकारी पेश करने को लेकर केंद्र और राज्य सरकार को तीन सप्ताह का समय दिया है.

Rajasthan High Court,  Jal Jeevan Mission
जल जीवन मिशन में हुए घोटाले को लेकर जानकारी पेश करने के लिए दिया समय.
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 29, 2024, 8:55 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जल जीवन मिशन में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर किए गए करीब 900 करोड़ रुपए के घोटाले के मामले में केन्द्र सरकार और राज्य सरकार को अब तक की गई कार्रवाई की जानकारी पेश करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस भुवन गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश पब्लिक अगेंस्ट करप्शन की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

जनहित याचिका में अधिवक्ता पीसी भंडारी ने अदालत को बताया कि श्रीगणपति ट्यूबवेल और श्रीश्याम कृपा ट्यूबवेल कम्पनी ने भारत सरकार के उपक्रम इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड के फर्जी पूर्णता प्रमाण पत्र पेश कर जल जीवन मिशन में करीब 900 करोड़ रुपए के टेंडर का भुगतान ले लिया.

पढ़ेंः विधानसभा में गूंजा जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार का मुद्दा, सदन में लगे 'चोर मचाए शोर' के नारे

वहीं, बाद में प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए. इस पर इसकी जानकारी राज्य सरकार को दी गई, लेकिन राज्य सरकार ने मामले में कोई भी प्रभावी कार्रवाई नहीं की. याचिकाकर्ता संस्था की ओर से पुलिस और एसीबी को कई बार लिखित में शिकायत कर कार्रवाई का आग्रह किया, लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं हुई. इसलिए मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाए. सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार और राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश करने के लिए समय मांगा गया. इस पर अदालत ने तीन सप्ताह का समय देते हुए जवाब पेश करने को कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जल जीवन मिशन में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर किए गए करीब 900 करोड़ रुपए के घोटाले के मामले में केन्द्र सरकार और राज्य सरकार को अब तक की गई कार्रवाई की जानकारी पेश करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस भुवन गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश पब्लिक अगेंस्ट करप्शन की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

जनहित याचिका में अधिवक्ता पीसी भंडारी ने अदालत को बताया कि श्रीगणपति ट्यूबवेल और श्रीश्याम कृपा ट्यूबवेल कम्पनी ने भारत सरकार के उपक्रम इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड के फर्जी पूर्णता प्रमाण पत्र पेश कर जल जीवन मिशन में करीब 900 करोड़ रुपए के टेंडर का भुगतान ले लिया.

पढ़ेंः विधानसभा में गूंजा जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार का मुद्दा, सदन में लगे 'चोर मचाए शोर' के नारे

वहीं, बाद में प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए. इस पर इसकी जानकारी राज्य सरकार को दी गई, लेकिन राज्य सरकार ने मामले में कोई भी प्रभावी कार्रवाई नहीं की. याचिकाकर्ता संस्था की ओर से पुलिस और एसीबी को कई बार लिखित में शिकायत कर कार्रवाई का आग्रह किया, लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं हुई. इसलिए मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाए. सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार और राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश करने के लिए समय मांगा गया. इस पर अदालत ने तीन सप्ताह का समय देते हुए जवाब पेश करने को कहा है.

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