जयपुर. हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सीजे सहित अन्य जजेज के बंगलों के सामने बहुमंजिला इमारतों के निर्माण के मामले में स्पष्ट किया है कि बहुमंजिला निर्माण पर यथास्थिति केवल गांधी नगर इलाके में ही है और शहर की अन्य जगहों पर नहीं है. ऐसे में एकलपीठ का 15 मई का आदेश केवल गांधी नगर इलाके में ही लागू होगा. सीजे एमएम श्रीवास्तव व जस्टिस भुवन गोयल की खंडपीठ ने यह निर्देश शुक्रवार को स्वप्रेरित प्रसंज्ञान मामले में प्रार्थी मनीषा मालिनी के प्रार्थना पत्र पर दिया.
मामले से जुड़े अधिवक्ता संजय जोशी ने खंडपीठ को बताया कि एकलपीठ ने 15 मई को गांधी नगर सहित अन्य संबंधित जगहों पर बहुमंजिला निर्माण पर स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया था. यह प्रसंज्ञान 2019 में दिए एक निर्णय के आधार पर लिया था और इस निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका पेंडिंग चल रही है. ऐसे में एकलपीठ को 2019 के निर्णय के आधार पर स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेने का क्षेत्राधिकार ही नहीं था. वहीं, एकलपीठ ने यथास्थिति किस जगह के बारे में दी है वह भी अपने आदेश में स्पष्ट नहीं की है और ना ही बहुमंजिला इमारत की जानकारी दी है.
वहीं, प्रार्थिया को ईडब्ल्यूएस वर्ग में एक फ्लैट आवंटित हुआ है, लेकिन बिल्डर हाईकोर्ट के स्वप्रेरित प्रसंज्ञान आदेश का हवाला देते हुए उसे कब्जा नहीं दे रहा है, इसलिए एकलपीठ के आदेश को स्पष्ट करवाया जाए. खंडपीठ ने प्रार्थी पक्ष की दलीलों से सहमत होकर स्पष्ट किया कि बहुमंजिला निर्माण पर यथास्थिति केवल गांधीनगर इलाके में ही है और अन्य जगह पर नहीं है. गौरतलब है कि हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 15 मई को शहर के गांधीनगर इलाके में हाईकोर्ट के सीजे सहित अन्य जजेज के बंगलों के सामने बहुमंजिला इमारतों के निर्माण पर सख्ती दिखाते हुए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया था और गांधीनगर सहित अन्य संबंधित जगह पर बहुमंजिला निर्माण पर यथास्थिति बनाए रखने के लिए कहा था. वहीं, एकलपीठ ने इन बहुमंजिला भवनों के निर्माण की मंजूरी देने पर भी सवाल उठाते हुए इनसे आम लोगों की बिजली-पानी व रोशनी पर संकट पैदा होता होने व सीजे सहित अन्य जजों की सुरक्षा व्यवस्था पर भी चिंता जाहिर की थी.