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कांस्टेबल को बर्खास्त करने वाला 24 साल पुराना आदेश हाईकोर्ट ने किया रद्द, समस्त लाभ देने के आदेश - Rajasthan High Court

राजस्थान हाईकोर्ट ने हिरासत में मौत के मामले में कांस्टेबल को बर्खास्त करने वाले 24 साल पुराने आदेश को रद्द कर दिया है.

CANCELS 24 YEAR OLD ORDER,  DISMISSING CONSTABLE
राजस्थान हाईकोर्ट. (Etv Bharat jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 2, 2024, 9:47 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने हिरासत में मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट से बरी हुए कांस्टेबल को राहत दी है. अदालत ने कांस्टेबल को बर्खास्त करने के झालावाड़ एसपी के 19 अक्टूबर, 2000 और उप गृह सचिव के 27 जनवरी, 2003 के आदेश को रद्द कर दिया है. अदालत ने कांस्टेबल को समस्त परिलाभों के साथ पुन: सेवा में लेने के आदेश देते हुए उसे सेवा में लेने को कहा है.

अदालत ने निर्देश दिए हैं कि कांस्टेबल को सुप्रीम कोर्ट से बरी होने की तिथि 27 अप्रैल, 2016 के बाद से अब तक की अवधि का वास्तविक परिलाभ अदा करे. जस्टिस गणेश राम मीणा की एकलपीठ ने यह आदेश राजेश कुमार की याचिका को स्वीकार करते हुए दिए. याचिका में अधिवक्ता डॉ. विभूति भूषण शर्मा ने बताया कि झालावाड़ के गंगधार थाने में वर्ष 1999 में याचिकाकर्ता सहित अन्य कांस्टेबलों के खिलाफ राधेश्याम दर्जी की हिरासत में मौत का मामला दर्ज हुआ था. निचली अदालत से आजीवन कारावास की सजा मिलने के बाद उसकी सुप्रीम कोर्ट में अपील गई. जहां सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल, 2016 को याचिकाकर्ता को बरी कर दिया.

पढ़ेंः एलोपैथी चिकित्सकों की रिटायरमेंट 62 साल पर तो पशु चिकित्सकों की क्यों नहीं - Rajasthan High Court

वहीं, पूर्व में बिना बताए अनुपस्थित रहने के आरोप में झालावाड़ एसपी ने अक्टूबर 2000 में बर्खास्त कर दिया और बाद में उप गृह सचिव ने उसकी अपील खारिज कर दी. याचिका में कहा गया याचिकाकर्ता को न तो कारण बताओ नोटिस दिया गया और ना ही विभागीय चार्जशीट दी गई. वहीं, समान मामले में निचली अदालत से बरी हुए तेज सिंह को पूर्व में ही बहाल किया जा चुका है. ऐसे में याचिकाकर्ता को भी सेवा में लिया जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को पुन: सेवा में लेने के आदेश देते हुए उसे समस्त परिलाभ अदा करने को कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने हिरासत में मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट से बरी हुए कांस्टेबल को राहत दी है. अदालत ने कांस्टेबल को बर्खास्त करने के झालावाड़ एसपी के 19 अक्टूबर, 2000 और उप गृह सचिव के 27 जनवरी, 2003 के आदेश को रद्द कर दिया है. अदालत ने कांस्टेबल को समस्त परिलाभों के साथ पुन: सेवा में लेने के आदेश देते हुए उसे सेवा में लेने को कहा है.

अदालत ने निर्देश दिए हैं कि कांस्टेबल को सुप्रीम कोर्ट से बरी होने की तिथि 27 अप्रैल, 2016 के बाद से अब तक की अवधि का वास्तविक परिलाभ अदा करे. जस्टिस गणेश राम मीणा की एकलपीठ ने यह आदेश राजेश कुमार की याचिका को स्वीकार करते हुए दिए. याचिका में अधिवक्ता डॉ. विभूति भूषण शर्मा ने बताया कि झालावाड़ के गंगधार थाने में वर्ष 1999 में याचिकाकर्ता सहित अन्य कांस्टेबलों के खिलाफ राधेश्याम दर्जी की हिरासत में मौत का मामला दर्ज हुआ था. निचली अदालत से आजीवन कारावास की सजा मिलने के बाद उसकी सुप्रीम कोर्ट में अपील गई. जहां सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल, 2016 को याचिकाकर्ता को बरी कर दिया.

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वहीं, पूर्व में बिना बताए अनुपस्थित रहने के आरोप में झालावाड़ एसपी ने अक्टूबर 2000 में बर्खास्त कर दिया और बाद में उप गृह सचिव ने उसकी अपील खारिज कर दी. याचिका में कहा गया याचिकाकर्ता को न तो कारण बताओ नोटिस दिया गया और ना ही विभागीय चार्जशीट दी गई. वहीं, समान मामले में निचली अदालत से बरी हुए तेज सिंह को पूर्व में ही बहाल किया जा चुका है. ऐसे में याचिकाकर्ता को भी सेवा में लिया जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को पुन: सेवा में लेने के आदेश देते हुए उसे समस्त परिलाभ अदा करने को कहा है.

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