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विद्या संबल योजना में लगे शिक्षक को हटाने पर रोक, मांगा जवाब - Rajasthan High Court

Vidya Sambal Yojana, विद्या संबल योजना में लगे शिक्षक को हटाने पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. वहीं, इस मामले में कोर्ट ने उच्च शिक्षा सचिव और कॉलेज शिक्षा आयुक्त सहित अन्य से जवाब तलब किया है.

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 7, 2024, 7:23 PM IST

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने विद्या संबल योजना के तहत गेस्ट फैकल्टी के तौर पर लगे व्याख्याता को हटाने पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में उच्च शिक्षा सचिव और कॉलेज शिक्षा आयुक्त सहित अन्य से जवाब तलब किया है. जस्टिस महेन्द्र गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश अमित यादव की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने इन अधिकारियों से पूछा है कि याचिकाकर्ता का चयन करने के बाद उसे बिना सुनवाई का मौका दिए हटाया क्यों जा रहा है.

याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता का विद्या संबल योजना के तहत सीकर की राजकीय कला महाविद्यालय में व्याख्याता के तौर पर चयन हुआ था. राज्य सरकार के आदेश की पालना में उसने गत 8 जुलाई को कार्यग्रहण भी कर लिया. वहीं, 15 जुलाई को राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर कहा कि ओपीजेएस विवि से डिग्री लेने वाले अभ्यर्थियों को अध्यापन कार्य के लिए आमंत्रित नहीं किया जाए और जो अभ्यर्थी कार्य ग्रहण कर चुके हैं, उन्हें सेवा से हटाया जाए.

पढ़ें : DLB निदेशक हाजिर होकर बताएं कि हेरिटेज मेयर के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति को लेकर अब तक निर्णय क्यों नहीं- हाईकोर्ट - HC on Prosecution approval

याचिकाकर्ता की ओपीजेएस विवि से पीएचडी की डिग्री होने के कारण उसे सेवा से हटा दिया गया. याचिका में कहा गया कि उसने इस विश्वविद्यालय से पूरा अध्ययन कर डिग्री ली है. इसके अलावा उसे सेवा से हटाने से पहले न तो नोटिस दिया गया और ना ही उसका पक्ष सुना गया. ऐसे में राज्य सरकार का यह आदेश अवैध है. इसलिए इस आदेश को रद्द करते हुए याचिकाकर्ता को सेवा में बनाए रखा जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर याचिकाकर्ता को सेवा से हटाने पर रोक लगा दी है.

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने विद्या संबल योजना के तहत गेस्ट फैकल्टी के तौर पर लगे व्याख्याता को हटाने पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में उच्च शिक्षा सचिव और कॉलेज शिक्षा आयुक्त सहित अन्य से जवाब तलब किया है. जस्टिस महेन्द्र गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश अमित यादव की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने इन अधिकारियों से पूछा है कि याचिकाकर्ता का चयन करने के बाद उसे बिना सुनवाई का मौका दिए हटाया क्यों जा रहा है.

याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता का विद्या संबल योजना के तहत सीकर की राजकीय कला महाविद्यालय में व्याख्याता के तौर पर चयन हुआ था. राज्य सरकार के आदेश की पालना में उसने गत 8 जुलाई को कार्यग्रहण भी कर लिया. वहीं, 15 जुलाई को राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर कहा कि ओपीजेएस विवि से डिग्री लेने वाले अभ्यर्थियों को अध्यापन कार्य के लिए आमंत्रित नहीं किया जाए और जो अभ्यर्थी कार्य ग्रहण कर चुके हैं, उन्हें सेवा से हटाया जाए.

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याचिकाकर्ता की ओपीजेएस विवि से पीएचडी की डिग्री होने के कारण उसे सेवा से हटा दिया गया. याचिका में कहा गया कि उसने इस विश्वविद्यालय से पूरा अध्ययन कर डिग्री ली है. इसके अलावा उसे सेवा से हटाने से पहले न तो नोटिस दिया गया और ना ही उसका पक्ष सुना गया. ऐसे में राज्य सरकार का यह आदेश अवैध है. इसलिए इस आदेश को रद्द करते हुए याचिकाकर्ता को सेवा में बनाए रखा जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर याचिकाकर्ता को सेवा से हटाने पर रोक लगा दी है.

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