जयपुर : तकनीक के बदलते स्वरूप से कोई भी अछूता नहीं है. आज हर आम और खास व्यक्ति तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है. सरकारी ऑफिस में भी तकनीक के इस्तेमाल से कई नवाचार किए जा रहे हैं. इनमें से एक है वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए मीटिंग. आज निजी क्षेत्र के साथ ही कई सरकारी मीटिंग भी वीडियो कॉन्फ्रेंस से हो रही है, जिनमें कई गोपनीय और संवेदनशील मसलों पर मंथन किया जाता है. हालांकि, बीते दिनों प्रदेश की भजनलाल सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए जूम एप्लिकेशन से वीडियो कॉन्फ्रेंस पर रोक लगा दी है. इसके लिए सरकार ने सुरक्षा कारणों और केंद्र सरकार की गाइड लाइन का हवाला देते हुए जूम एप्लिकेशन के इस्तेमाल पर रोक लगाई है.
चीन से जुड़े सभी एप में गोपनीयता का खतरा : साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट मुकेश चौधरी का कहना है कि चीन से जुड़े सभी एप्स में गोपनीयता का खतरा है. जूम और इसके साथ कई और ऐसे ऐप्स हैं, जो चाइना बेस्ड हैं या उनके फाउंडर चाइना में हैं. उन सभी एप्स के किए केंद्र सरकार ने गाइड लाइन भी जारी की थी कि इन एप्स को बंद करना चाहिए. चीन आधारित डॉक्यूमेंट स्कैनर से जुड़े कुछ एप्स भी बैन की गई थी. इसके साथ ही गेमिंग एप्स और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी बंद किए गए थे.
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हेडक्वार्टर यूएसए में, फाउंडर चीन के : उन्होंने बताया कि भले ही जूम का हेडक्वार्टर यूएस में है, लेकिन इसके फाउंडर चीन के हैं. इस वजह से सिक्योरिटी और प्राइवेसी का ध्यान रखते हुए यह फैसला लिया गया है. मीटिंग में कई गोपनीय बातें होती हैं. सीएम और पीएम के दौरे और वीआईपी मूवमेंट्स का भी जिक्र होता है. इनके बारे में डिस्कशन और प्लानिंग भी होती है. सरकार के नीतिगत मसलों पर भी चर्चा होती है.
देश के खिलाफ किया जा सकता है इस्तेमाल : साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट मुकेश चौधरी के अनुसार, देश या प्रदेश से जुड़ी संवेदनशील जानकारी अगर किसी के हाथ लगे तो हमारे देश के खिलाफ इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. इसको ध्यान में रखते हुए जूम एप के उपयोग को प्रतिबंधित किया गया है. उन्होंने बताया कि माइक्रोसॉफ्ट टीम और गूगल मीट को सरकार वीडियो कॉन्फ्रेंस के लिए उपयोग कर सकती है, जिनमें गोपनीयता संबंधी खतरा कम है. इन एप्स के सिक्योरिटी फीचर्स भी अपेक्षाकृत मजबूत होते हैं. यह एप्स यूएस बेस्ड हैं.