भरतपुर. राज्य विधानसभा में प्रदेश की भजनलाल सरकार ने बुधवार को अपना पहला पूर्ण बजट पेश किया. वित्त मंत्री दीया कुमारी ने कृषि बजट के तहत किसानों और पशु फलों को कई सौगातें दी. वित्त मंत्री ने प्रदेश के किसानों के लिए राजस्थान इरिगेशन वॉटर ग्रिड मिशन शुरू करने की घोषणा के साथ ही सिंचाई और जल संचय के लिए 50 हजार करोड़ से अधिक के कार्य कराए जाने की घोषणा की. साथ ही प्रदेश में राजस्थान कृषि विकास योजना के तहत राजस्थान एग्रीकल्चर एंड हॉर्टिकल्चर मिशन के तहत 650 करोड़ के कार्य कराए जाएंगे.
प्रदेश के किसानों के कृषि विद्युत कनेक्शन के लंबित आवेदनों की पेंडेंसी समाप्त कर 1 लाख 45 हजार कनेक्शन जारी करने की भी घोषणा की. जानिए किसानों के लिए क्या क्या खास घोषणाएं की. प्रदेश के 21 जिलों की 3 करोड़ 25 लाख जनता को ईआरसीपी योजना को त्वरित गति से आवश्यक कार्य के लिए 9,600 हजार करोड़ के वर्क ऑर्डर जारी किए जा चुके हैं, जबकि चरणबद्ध तरीके से 13 हजार करोड़ के कार्य कराए जाएंगे.
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वित्त मंत्री ने बताया कि बाढ़ सुरक्षा प्रबंधन के तहत रन ऑफ वाटर ग्रिड स्थापित किए जाएंगे, जिसके तहत 30 हजार करोड़ से अधिक के कार्य होंगे. वहीं, यमुना जल संबंधी कार्य के तहत 577 एमसीएफटी पानी के लिए हरियाणा सरकार से एमओयू किया गया है. इसके तहत भूमिगत पाइपलाइन के माध्यम से डायवर्सन कार्य के लिए 60 करोड़ की डीपीआर तैयार की जाएगी. इसके अलावा इंदिरा गंधी नहर परियोजना के द्वितीय चरण के तहत 1430 करोड़ की लागत से जीर्णोद्धार के कार्य कराए जाएंगे.
वित्त मंत्री ने बताया कि श्री गंगानगर के फिरोजपुर फीडर में 200 करोड़ की लागत से कार्य कराए जाएंगे. नहरी क्षेत्र में डिग्गी निर्माण के लिए 5 हजार किसानों को अनुदान पर 160 करोड़ रुपए व्यय होंगे. वहीं, प्रदेश के किसानों के कृषि विद्युत कनेक्शन की 31 मार्च, 2024 तक लंबित आवेदनों की पेंडेंसी समाप्त कर 1 लाख 45 कनेक्शन जारी किए जाएंगे. साथ ही किसानों के लिए कृषि कनेक्शन विद्युत भार बढ़ाने के लिए स्वैच्छिक भार वृद्धि योजना स्कीम लागू होगी.
वहीं, कुसुम योजना सोलाराइजेशन के तहत दिन में बिजली उपलब्ध कराने का कार्य 2027 तक पूर्ण कर लिया जाएगा. साथ ही राष्ट्रीय कृषि विकास योजना की तर्ज पर राजस्थान कृषि विकास योजना के तहत राजस्थान एग्रीकल्चर एंड हार्टिकल्चर मिशन लागू करने की घोषणा गई. इस वर्ष इस पर 650 करोड़ के कार्य प्रस्तावित है. इसके अलावा किसानों को कृषि उपकरण के लिए 200 करोड़ का अनुदान दिए जाने की भी घोषणा की गई. वित्त मंत्री ने बताया कि प्रदेश में 500 कस्टम हायरिंग सेंटर के लक्ष्य को बढ़ाकर अब 1000 कर दिया गया है. वहीं, ग्रीन हाउस, लो टनल, स्प्रिंकलर के बढ़ावा देने के लिए व किसानों प्रशिक्षित करने के लिए 10 क्लाईमेटिक जोन में 2-2 क्लास्टर विकसित होंगे. इस पर कुल 120 करोड़ रुपए खर्च होंगे.
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इसके अलावा मनरेगा के तहत एससी एसटी, बीपीएल श्रेणी के किसानों के लिए फार्म पोंड, फलदार पौधरोपण के लिए 1100 करोड़ राशि का व्यय होगा. वहीं, जैविक खेती व परंपरागत खेती के लिए प्रशिक्षण देने आदि के लिए ऑर्गेनिक एंड कन्वेंशनल बोर्ड का गठन करने की घोषणा की गई. जैविक उत्पादों के प्रमाणीकरण के लिए जिलों में लैब स्थापित, ब्लॉक स्तर पर गोवर्धन जैविक उर्वरक योजना की घोषणा. इसके तहत 10 हजार रुपए प्रति कृषक को सहायता उपलब्ध कराई जाएगी. एक हजार सेल्फ हेल्प ग्रुप को नैनो यूरिया एवं प्रेस्टिसाइज छिड़काव करने के लिए 2500 प्रति हैक्टेयर सबसिडी उपलब्ध कराई जाएगी.
किसानों को सॉइल टेस्ट के लिए जिलास्तर पर 21 करोड़ खर्च कर एग्री क्लिनिक स्थापित की जाएंगी. प्रदेश में 9 एक्सीलेंस सेंटर को बढ़ाकर 18 किया जाएगा. किसानों को एग्री स्टेप के माध्यम से स्वतः फसल गिरदावरी की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. प्रदेश के किसानों को 23 हजार करोड़ रुपए ब्याज मुक्त अल्पकालीन फसली ऋण वितरित होंगे. साथ ही 5 लाख नए किसान ऋण प्राप्त कर सकेंगे. 736 करोड़ ब्याज अनुदान पर खर्च होंगे, जिससे प्रदेश के 35 लाख किसान लाभान्वित होंगे.
प्रदेश के किसानों को 100 करोड़ के दीर्घकालिक ऋण दिए जाएंगे. किसानों को मार्केटिंग सुविधा के लिए 500 नए एफपीओ बनाए जाएंगे. भंडारण क्षमता बढ़ाते हुए 150 ग्राम सेवा सहकारी समिति में 100 से 500 मेट्रिक टन क्षमता के गोदामों का निर्माण प्रस्तावित, जिस पर 35 करोड़ खर्च होंगे. प्याज भंडारण व संरचना निर्माण के लिए 2500 किसानों को 22 करोड़ रूपए की सब्सिडी दी जाएगी. प्रदेश में पशु संवर्धन संरक्षण के लिए 250 करोड़ के प्रावधान के साथ मुख्यमंत्री पशुपालन विकास कोष का गठन करने की घोषणा की गई. सीमन योजना के तहत अनुदान लिमिट 50% से बढ़ाकर 75% की जाएगी. इससे प्रदेश के 2 लाख पशु पालक लाभान्वित होंगे.
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125 पशु चिकित्सक व 525 पशु धन सहायक के पदों का सृजन किया जाएगा. मुख्यमंत्री मंगला पशु बीमा योजना की घोषणा की गई. इसके तहत प्रदेश में पहले चरण में 5-5 लाख दुधारू गाय, बकरी, भैंस, भेड़, 1 लाख ऊंट का बीमा किया जाएगा, जिस पर 400 करोड़ का व्यय होगा. प्रदेश में ऊंट संरक्षण विकास मिशन शुरू होगा. इसके तहत पशु पालकों को सहायता राशि 10 हजार से बढ़ाकर 20 हजार रुपए प्रति वर्ष की जाएगी. वहीं, चूरू, भरतपुर, झालावाड़ आदि में मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट का अपग्रेडेशन किया जाएगा. साथ ही पाली में 30 मीट्रिक टन क्षमता का 95 करोड़ की लागत से मिल्क प्रोडक्ट प्लांट स्थापित किया जाएगा.