टोंक/जयपुर : राजस्थान की 7 सीटों पर आगामी 13 नवंबर को उपचुनाव होने हैं. सचिन पायलट के गढ़ टोंक जिले की देवली-उनियारा सीट पर भी इस दिन मतदान होगा. हालांकि, इस सीट के साथ ही उपचुनावों का इतिहास भी भाजपा की चिंता बढ़ाने वाला रहा है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि लगातार दो विधानसभा चुनाव जीतने वाले हरीश मीणा के सांसद बनने के बाद खाली हुई इस सीट पर क्या सचिन पायलट और हरीश मीणा की जोड़ी जीत की हैट्रिक लगाने में कामयाब होगी या फिर सत्ताधारी भाजपा 11 साल बाद जीत का परचम लहराएगी.
सात विधानसभा सीटों पर उपचुनावों की तारीखों के ऐलान के बाद से ही राज्य की दोनों प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस के अलावा सभी अन्य पार्टियां एकदम से सक्रिय हो गई हैं. साथ ही दलगत प्रत्याशी चयन की कवायद भी तेज हो गई है. देवली-उनियारा सीट असल में टोंक जिला में है और यह क्षेत्र सचिन पायलट का गढ़ माना जाता है. वहीं, यहां से विधायक रहे हरीश मीणा अब सांसद बन चुके हैं. ऐसे में इस सीट पर सचिन पायलट के साथ ही हरीश मीणा की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है.
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वहीं, पिछले दिनों सचिन पायलट ने यहां जीत का दावा किया था और कहा था कि हम बेहतर उम्मीदवार उतार इस सीट पर फिर से जीत दर्ज करेंगे. हालांकि, सत्ताधारी भाजपा भी इस सीट पर जीत दर्ज करने के लिए अभी से ही मैदान में कूद गई है. दोनों ही पार्टियां भाजपा और कांग्रेस ने चुनाव समितियों का गठन भी कर लिया है. इसके अलावा टिकट के दावेदारों की दिल्ली से लेकर जयपुर तक दौड़ शुरू हो गई है. इसमें दोनों ही दलों के कई बड़े नाम शामिल हैं. 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस के हरीश मीणा ने भाजपा के विजय बैंसला को 19 हजार 175 वोट से हराया था.
देवली-उनियारा विधानसभा क्षेत्र में वर्तमान में कुल 3 लाख 2 हजार 721 मतदाता हैं. हाल ही के लोकसभा चुनाव में इस क्षेत्र में 1 लाख 80 हजार 17 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था, जिसमें पुरुष मतदाताओं ने 95 हजार 992 और महिला मतदाताओं ने 84 हजार 24 वोट डाले थे. वहीं, कांग्रेस के हरीश मीणा यहां जीत दर्ज किए थे.
परिसीमन से पहले रहे ये विधायक
- 1952 से 1957 तक राव राजा सरदार सिंह आरआरपी से विधायक रहे.
- 1962 से 1967 में दिग्विजय सिंह एसडब्लूटी से विधायक रहे.
- 1972 में राव राजा राजेंद्र सिंह कांग्रेस से विधायक रहे.
- 1977 में दिग्विजय सिंह जेपी से विधायक रहे.
- 1980 में रामलाल गुर्जर कांग्रेस से विधायक रहे.
- 1985 में दिग्विजय सिंह जेपी से विधायक रहे.
- 1990 में दिग्विजय सिंह जेडी से विधायक रहे.
- 1993 में जगदीश मीणा भाजपा से विधायक बने.
- 1998 में दिग्विजय सिंह कांग्रेस से विधायक बने.
- 2003 में प्रभुलाल सैनी भाजपा से विधायक बने.
2008 में परिसीमन के बाद देवली-उनियारा विधानसभा सीट बनी. उसके बाद 2008 में इस सीट पर कांग्रेस के रामनारायण मीणा ने जीत दर्ज की. उसके बाद 2013 के चुनाव में इस सीट पर भाजपा ने कब्जा कर लिया और राजेंद्र गुर्जर विधायक बने. उसके बाद 2018 और 2023 में इस सीट से कांग्रेस के हरीश मीणा ने विधायक चुने गए, जो वर्तमान में सांसद हैं.
कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार : देवली-उनियारा सीट पर उपचुनाव को लेकर कांग्रेस की ओर से वर्तमान में पूर्व सांसद नमो नारायण मीणा, पूर्व विधायक राम नारायण मीणा जो कि 2008 से 2013 तक इसी सीट से विधायक रहे व विधानसभा उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं. इसके अलावा प्रियंका गांधी के नजदीकी माने जाने वाले धीरज गुर्जर और नरेश मीणा मुख्य तौर पर दावेदार के रूप में देख जा रहे हैं. वहीं, हनुमंत मीणा, जो सांसद हरीश मीणा के बेटे हैं और राम सिंह मीणा का नाम भी चर्चा में है.
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भाजपा के संभावित उम्मीदवार : भाजपा की ओर से 2013 से 2018 तक इसी सीट से विधायक रहे राजेंद्र गुर्जर ओर 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी विजय बैंसला के नाम प्रमुखता से चर्चा में हैं. वहीं, अलका सिंह गुर्जर, विक्रम सिंह गुर्जर, सीताराम पोसवाल, प्रभुलाल सैनी भी टिकट की रेस में शामिल हैं.
दोनो दलों ने उपचुनाव को लेकर कमेटियों का किया गठन : उपचुनाव को लेकर देवली-उनियारा सीट के लिए कांग्रेस ने जहां सांसद हरीश मीणा, विधायक प्रशांत शर्मा, विधायक विकास चौधरी, हरि प्रसाद बैरवा, जिला अध्यक्ष सहित चार सदस्यों की कमेटी का गठन किया है. वहीं, भाजपा ने राजेंद्र राठौड़, हीरालाल नागर, जितेंद्र गोठवाल और ओमप्रकाश भड़ाना को लेकर चार सदस्यीय कमेटी बनाई है.
देवली-उनियारा में जातिगत मतदाताओं की संख्या : इस विधानसभा क्षेत्र में करीब 3 लाख 2 हजार 721 मतदाता हैं. इसमें एसटी-मीणा मतदाताओं की संख्या करीब 65 हजार से 63 हजार के बीच है. अनुसूचित जाति, इनमें बैरवा, रेगर, खटीक, कोली, हरिजन समेत अन्य शामिल हैं. इनकी संख्या करीब 57 हजार से 61 हजार के आसपास है. वहीं, गुर्जर लगभग 54 हजार से 57 हजार, माली लगभग 11 हजार से 12 हजार, ब्राह्मण लगभग 14 हजार से 15 हजार, जाट लगभग 14 हजार से 15 हजार, वैश्य-महाजन लगभग 8 हजार, राजपूत लगभग 4 हजार, मुस्लिम करीब 14 हजार व अन्य जातियों के वोट लगभग 55 हजार से 58 हजार के बीच है.