अलवर. सरिस्का टाइगर रिजर्व में आगामी 1 जुलाई से 3 माह तक पर्यटकों का प्रवेश बंद रहेगा. हालांकि, सरिस्का बाघ परियोजना का अलवर बफर जोन मानसून के दौरान खुला रहता है. इस दौरान पर्यटक यहां सफारी कर सकते हैं. अलवर बफर जोन में सफारी के लिए दो रूट हैं और दोनों पर ही पर्यटक सफारी कर सकते हैं. इन रूटों पर बाघों की साइटिंग संभव है.
बफर जोन में 7 बाघ, इसलिए दिखने की उम्मीद ज्यादा : अलवर बफर जोन में अभी 7 बाघ-बाघिन और शावक हैं. पिछले दिनों यहां बाघिन और शावकों की पर्यटकों को कई बार साइटिंग हुई है. इन 7 बाघों में बाघिन एवं उसके शावक साथ घूम रहे हैं. वहीं, अन्य बाघ अलग हैं. अलवर बफर जोन का एरिया 332.23 वर्ग किलोमीटर है और यहां सात बाघ हैं, यानी कम क्षेत्र में पर्याप्त बाघ. इसलिए पर्यटकों को टाइगर की साइटिंग की उम्मीद ज्यादा रहती है.
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सरिस्का के बफर रेंज के रेंजर शंकर सिंह ने बताया कि अलवर बफर रेंज में 20 जिप्सी रजिस्टर्ड हैं. इनमें ही 1 जुलाई से पर्यटकों को सफारी के लिए भेजा जाएगा. यदि सरिस्का सदर गेट व टहला गेट की कोई जिप्सी बफर रेंज के लिए रजिस्टर्ड की होगी, तो ही जिप्सी पर्यटकों को लेकर जा सकेगी. शंकर सिंह ने बताया कि अभी तेज गर्मी के चलते बफर रेंज में रोजाना करीब 50 पर्यटक सफारी के लिए आते हैं. 1 जुलाई से पर्यटकों की संख्या यहां तीन से चार गुना होने की संभावना है.
दो रूटें है बफर रेंज में : शंकर सिंह शेखावत ने बताया कि सरिस्का टाइगर रिजर्व की बफर रेंज में दो रूटें हैं, जिनमें बारा लिवारी व बाला किला है. दोनों रूट पर पर्यटक सफारी के लिए पहुंचते हैं. यदि बारा लिवारी मार्ग पर तेज बारिश के चलते रास्ता खराब होता है, तो रास्ते की मरम्मत तक यह रूट सफारी के लिए बंद रहेगा.
बारा लिवारी पर होती है टाइगर की साइटिंग : सरिस्का टाइगर रिजर्व बफर रेंज में वर्तमान में 7 बाघ हैं. इनमें से बाघों की साइटिंग बारा लिवारी रूट पर होती है. इसलिए बारा लिवारी रूट पर्यटकों का पसंदीदा रूट बनता जा रहा है.