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हाय रे सिस्टम! रैयतों को कोर्ट से मिला न्याय, फिर भी 12 साल से लगा रहे बाघमारा सीओ ऑफिस के चक्कर - LAND MEASUREMENT CASE

धनबाद में रैयतों ने बाघमारा अंचल कार्यालय पर आरोप लगाया है. उनका कहना है कि कोर्ट के फैसले के बावजूद मनमानी जारी है.

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पीड़ित रैयतों की तस्वीर (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 2 hours ago

धनबाद: जिले के बाघमारा अंचल कार्यालय में अधिकारी और कर्मियों का मन इस कदर बढ़ा हुआ है कि न्यायालय के आदेश की भी अवेहलना करने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं. बाघमारा अंचल कार्यालय में जमीन संबंधित मामलों का निष्पादन करने में मनमानी की बात सामने आ रही है. न्यायालय द्वारा रैयत के पक्ष में मिले फैसले के बावजूद साल 2009 से रैयत अपनी जमीन ऑनलाइन रजिस्टर 2 में अंकित करवाने, जमीन मापी के लिए कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं.

ऑनलाइन आवेदन के बाद भी जमीन मापी नहीं करने दी जा रही है. हैरानी की बात है कि जमीन मापी में रुकावट करने वाले व्यक्ति के मौखिक बात को अंचल पदाधिकारी स्वीकार भी कर रहे हैं. इस पूरे मामले में जब कोई हल नहीं निकला तो दर्जनों रैयत अंचल कार्यालय के खिलाफ धरना पर बैठ गए हैं. इस पर भी उन्हें जेल भेजने की धमकी दी जा रही है.

जानकारी देते पीड़ित रैयत और सीओ (ETV BHARAT)

क्या कहते हैं पीड़ित रैयत

  • सिविल कोर्ट से साल 2012 में रूपेश रवानी के पक्ष में फैसला सुनाया गया. इसके बावजूद हरिणा मौजा की जमीन को ऑनलाइन रजिस्टर 2 में चढ़वाने और जमीन मापी करवाने के लिए अंचल कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ रहा है.
  • मणिलाल साव की जमीन बरमसिया मौजा की है. जमीन को लेकर बीसीसीएल के खिलाफ कोर्ट पहुंचे. 2009 से 2013 के बीच तीन सिविल से लेकर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट, फास्ट ट्रैक कोर्ट में लड़ाई लड़ने के बाद रैयत के पक्ष में फैसला आया. इसके बाद भी जमीन की मापी नहीं की जा रही है.
  • अरविंद सिन्हा की जमीन आकाशकिनारी मौजा में है. जमीन मापी के लिए पांच महीना पहले आवेदन दिया गया था. एक व्यक्ति द्वारा जमीन मापी को रोक दिया गया. मौखिक रूप से दावा करने वाले की बात अंचल पदाधिकारी मान भी रहे हैं, फिर भी जमीन दस्तावेज को दरकिनार किया जा रहा है.

पीड़ित रैयतों का कहना है कि न्यायालय के आदेश को बाघमारा अंचल कार्यालय में नहीं माना जाता है. न्यायालय के आदेश की खुलकर अवहेलना की जा रही है. इस बीच पांच सीओ यहां आए और तबादला होकर चले गए, लेकिन समस्या का समाधन अब तक नहीं निकला. यहां केवल जमीन माफिया की बात सुनी जाती है. इतना ही नहीं अपने हक के लिए धरना देने पर सीओ द्वारा जान से मारने की धमकी दी जाती है.

इस पूरे मामले में बाघमारा सीओ बालकिशोर महतो ने कहा कि हाल ही में उनका यहां ट्रांसफर हुआ है. ये सब जो भी मामला है, उनके कार्यकाल से पहले का है. रैयत की जो भी समस्या है, वह अपना आवेदन उन्हें दे. इसके बाद आवेदन पर सुनवाई की जाएगी.

ये भी पढ़ें: धनबाद में भू-माफिया ने की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश, पत्थरबाजी में कई लोग घायल, पुलिस ने संभाला मोर्चा

ये भी पढ़ें: धनबाद में भू-माफिया ने तालाब का अतिक्रमण करने का प्रयास किया, ग्रामीणों के विरोध के बाद जागा प्रशासन

धनबाद: जिले के बाघमारा अंचल कार्यालय में अधिकारी और कर्मियों का मन इस कदर बढ़ा हुआ है कि न्यायालय के आदेश की भी अवेहलना करने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं. बाघमारा अंचल कार्यालय में जमीन संबंधित मामलों का निष्पादन करने में मनमानी की बात सामने आ रही है. न्यायालय द्वारा रैयत के पक्ष में मिले फैसले के बावजूद साल 2009 से रैयत अपनी जमीन ऑनलाइन रजिस्टर 2 में अंकित करवाने, जमीन मापी के लिए कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं.

ऑनलाइन आवेदन के बाद भी जमीन मापी नहीं करने दी जा रही है. हैरानी की बात है कि जमीन मापी में रुकावट करने वाले व्यक्ति के मौखिक बात को अंचल पदाधिकारी स्वीकार भी कर रहे हैं. इस पूरे मामले में जब कोई हल नहीं निकला तो दर्जनों रैयत अंचल कार्यालय के खिलाफ धरना पर बैठ गए हैं. इस पर भी उन्हें जेल भेजने की धमकी दी जा रही है.

जानकारी देते पीड़ित रैयत और सीओ (ETV BHARAT)

क्या कहते हैं पीड़ित रैयत

  • सिविल कोर्ट से साल 2012 में रूपेश रवानी के पक्ष में फैसला सुनाया गया. इसके बावजूद हरिणा मौजा की जमीन को ऑनलाइन रजिस्टर 2 में चढ़वाने और जमीन मापी करवाने के लिए अंचल कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ रहा है.
  • मणिलाल साव की जमीन बरमसिया मौजा की है. जमीन को लेकर बीसीसीएल के खिलाफ कोर्ट पहुंचे. 2009 से 2013 के बीच तीन सिविल से लेकर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट, फास्ट ट्रैक कोर्ट में लड़ाई लड़ने के बाद रैयत के पक्ष में फैसला आया. इसके बाद भी जमीन की मापी नहीं की जा रही है.
  • अरविंद सिन्हा की जमीन आकाशकिनारी मौजा में है. जमीन मापी के लिए पांच महीना पहले आवेदन दिया गया था. एक व्यक्ति द्वारा जमीन मापी को रोक दिया गया. मौखिक रूप से दावा करने वाले की बात अंचल पदाधिकारी मान भी रहे हैं, फिर भी जमीन दस्तावेज को दरकिनार किया जा रहा है.

पीड़ित रैयतों का कहना है कि न्यायालय के आदेश को बाघमारा अंचल कार्यालय में नहीं माना जाता है. न्यायालय के आदेश की खुलकर अवहेलना की जा रही है. इस बीच पांच सीओ यहां आए और तबादला होकर चले गए, लेकिन समस्या का समाधन अब तक नहीं निकला. यहां केवल जमीन माफिया की बात सुनी जाती है. इतना ही नहीं अपने हक के लिए धरना देने पर सीओ द्वारा जान से मारने की धमकी दी जाती है.

इस पूरे मामले में बाघमारा सीओ बालकिशोर महतो ने कहा कि हाल ही में उनका यहां ट्रांसफर हुआ है. ये सब जो भी मामला है, उनके कार्यकाल से पहले का है. रैयत की जो भी समस्या है, वह अपना आवेदन उन्हें दे. इसके बाद आवेदन पर सुनवाई की जाएगी.

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