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रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट पर बढ़ा सियासी ताप, दोनों दलों ने उपचुनाव के लिए शुरू की तैयारी - Raipur South Assembly seat

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 15, 2024, 5:56 PM IST

रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं. उपचुनाव की तारीख का ऐलान नहीं हुआ है. हालांकि इस सीट पर जीत को लेकर सियासी दलों ने रणनीति बनानी शुरू कर दी है.

Raipur South Assembly seat
रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव (ETV Bharat)

रायपुर: बृजमोहन अग्रवाल के सांसद बनने के बाद खाली हुई रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है. इसके लिए राजनीतिक दलों ने तैयारी तेज कर दी है. भाजपा ने जहां एक ओर ऑब्जर्वर की नियुक्ति करने सहित कई बैठकें ली है. तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस भी बैठक कर उपचुनाव की रणनीति बनाने में जुट गई है.

दोनों दल लगा रहे पूरी ताकत: राजनीतिक दृष्टिकोण से रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. यही कारण है कि सत्ता पर काबिज बीजेपी और विपक्ष में बैठी कांग्रेस दोनों ही पार्टी अभी से ही इस सीट को जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाने में जुटी है. लंबे समय से इस सीट पर भाजपा का काबिज रही है. वह इसे किसी भी हालत में खोना नहीं चाहते हैं. कांग्रेस इस सीट को जीत कर भाजपा के विजय रथ पर रोक लगाना चाहती है. यही कारण है कि दोनों ही राजनीतिक दलों ने इस पर अभी से ही जीत के लिए रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी है.

बैठकों का दौर जारी: हाल ही में संपन्न हुई कांग्रेस प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में रायपुर दक्षिण विधानसभा चुनाव की रणनीति तैयार की गई. इस सीट पर किसको चुनाव लड़ना है? किस तरह की भूमिका होगी? क्या समीकरण है? पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं को क्या जिम्मेदारी दी जाए? इस पर विचार विमर्श किया गया है. इस बात की जानकारी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने बैठकों के बाद दी थी.

इस सीट पर चुनावी रणनीति का खुलासा पार्टी की ओर से नहीं किया गया है, लेकिन यह जरूर है कि अब कांग्रेस इस सीट को हासिल करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी. क्योंकि पिछले चुनाव में बृजमोहन अग्रवाल उम्मीदवार थे और उनके मैनेजमेंट उनके चुनाव लड़ने की तकनीक का कांग्रेस के पास कोई काट नहीं था. इस वजह से लगातार कांग्रेस इस सीट पर हारती रही है, लेकिन बृजमोहन के जाने के बाद कांग्रेस में इस सीट को लेकर जीत की एक उम्मीद जगी है.

कांग्रेस ने किया जीत का दावा: इस बारे में कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि, "प्रदेश में लगातार बिगड़ती कानून व्यवस्था हत्याएं, बलात्कार, जैसी घटना ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं. 9 महीने में ही प्रदेश की कानून व्यवस्था बिगड़ गई है. योजनाओं का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है और लोग परेशान हैं. यही वजह है कि जनता ने उनके खिलाफ वोट देने का मन बना लिया है."

"बृजमोहन अग्रवाल जब चुनाव लड़ते थे तो बात कुछ और थी, वह पैसे के दम पर चुनाव लड़ते थे,लेकिन अब यह काम नहीं आने वाला है. इस बार रायपुर दक्षिण से कांग्रेस का उम्मीदवार जीतेगा. इस चुनाव की तैयारी शुरू कर दी गई है. बैठक में रणनीति बनाई गई है. उसके तहत ही पार्टी आगे काम कर रही है.":सुशील आनंद शुक्ला, प्रदेश अध्यक्ष, मीडिया विभाग, कांग्रेस

बीजेपी ने भी की तगड़ी तैयार: दूसरी ओर भाजपा ने भी इस चुनाव के लिए आब्जर्वर नियुक्त कर दिए हैं. इस सीट को लेकर बैठक का दौर जारी है. मीटिंग में चुनाव को लेकर रणनीति तैयार की जा रही है. लंबे समय से इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा है. भाजपा इस कब्जे को बरकरार रखना चाहती है. इस बार बृजमोहन अग्रवाल भाजपा उम्मीदवार नहीं होंगे, लेकिन संभावना जताई जा रही है कि जो भी उम्मीदवार बनाया जाएगा, वह बृजमोहन अग्रवाल का करीबी होगा. ऐसे में इस चुनाव में बृजमोहन के नजदीकी में किसी को टिकट नहीं दिया गया तो हो सकता है कि इस सीट का परिणाम कुछ और हो. ऐसी अटकलें भी लगाई जा रही है.

"कांग्रेस सरकार के दौरान प्रदेश में भ्रष्टाचार के रिकॉर्ड बनाए गए हैं. लगातार भ्रष्टाचार हुआ है. इस मामले में आधे नेता जेल में और आधे बेल पर हैं. रायपुर दक्षिण विधानसभा की बात की जाए तो यहां पर बृजमोहन अग्रवाल रिकॉर्ड बहुमत से जीत दर्ज करते रहे. इस बार के उपचुनाव में भी रायपुर दक्षिण से भाजपा उम्मीदवार रिकॉर्ड बहुमत से जीत हासिल करेगा. यहां से कांग्रेस की जमानत जब्त होगी." -अनुराग अग्रवाल, प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस

जानिए क्या कहते हैं राजनीति के जानकार: इस बारे में राजनीति के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा का कहना है कि, "दक्षिण विधानसभा सीट इस बार भाजपा के लिए आसान नहीं होगा. उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी कि सीट से किसे चुनाव लड़ाया जाए, क्योंकि अब तक इस सीट से बृजमोहन अग्रवाल चुनाव लड़ते आए थे. उनका चुनाव लड़ने का तरीका अलग था. उनकी चुनावी रणनीति का तोड़ कांग्रेस के पास नहीं था. यही था कि आठ बार से बृजमोहन अग्रवाल चुनाव जीतते आए हैं, लेकिन इस बार बृजमोहन अग्रवाल चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. यही भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. ऐसे में बीजेपी इस सीट पर किसे उम्मीदवार बनाती है? उसके लिए किस तरह की चुनावी रणनीति तैयार की जाएगी? सामने कांग्रेस का कौन कैंडिडेट होगा? यह सारी बातें चुनाव पर असर डालेगी."

"यह चुनाव दोनों ही राजनीतिक दलों के लिए कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अभी चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है, बावजूद इसके दोनों ही राजनीतिक दल इसकी तैयारी में जुट गए हैं. दोनों दलों में बैठकों का दौर शुरू हो गया है. रणनीति बनाई जा रही है. दोनों ही दल इस चुनाव में जीत हासिल करने में पूरी ताकत झोंकने को तैयार है." -उचित शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार

ऐसे में साफ है कि बीजेपी के गढ़ रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों की निगाह टिकी हुई है. इस सीट पर जीत के लिए दोनों ही दल रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं.

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दोनों दल लगा रहे पूरी ताकत: राजनीतिक दृष्टिकोण से रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. यही कारण है कि सत्ता पर काबिज बीजेपी और विपक्ष में बैठी कांग्रेस दोनों ही पार्टी अभी से ही इस सीट को जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाने में जुटी है. लंबे समय से इस सीट पर भाजपा का काबिज रही है. वह इसे किसी भी हालत में खोना नहीं चाहते हैं. कांग्रेस इस सीट को जीत कर भाजपा के विजय रथ पर रोक लगाना चाहती है. यही कारण है कि दोनों ही राजनीतिक दलों ने इस पर अभी से ही जीत के लिए रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी है.

बैठकों का दौर जारी: हाल ही में संपन्न हुई कांग्रेस प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में रायपुर दक्षिण विधानसभा चुनाव की रणनीति तैयार की गई. इस सीट पर किसको चुनाव लड़ना है? किस तरह की भूमिका होगी? क्या समीकरण है? पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं को क्या जिम्मेदारी दी जाए? इस पर विचार विमर्श किया गया है. इस बात की जानकारी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने बैठकों के बाद दी थी.

इस सीट पर चुनावी रणनीति का खुलासा पार्टी की ओर से नहीं किया गया है, लेकिन यह जरूर है कि अब कांग्रेस इस सीट को हासिल करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी. क्योंकि पिछले चुनाव में बृजमोहन अग्रवाल उम्मीदवार थे और उनके मैनेजमेंट उनके चुनाव लड़ने की तकनीक का कांग्रेस के पास कोई काट नहीं था. इस वजह से लगातार कांग्रेस इस सीट पर हारती रही है, लेकिन बृजमोहन के जाने के बाद कांग्रेस में इस सीट को लेकर जीत की एक उम्मीद जगी है.

कांग्रेस ने किया जीत का दावा: इस बारे में कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि, "प्रदेश में लगातार बिगड़ती कानून व्यवस्था हत्याएं, बलात्कार, जैसी घटना ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं. 9 महीने में ही प्रदेश की कानून व्यवस्था बिगड़ गई है. योजनाओं का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है और लोग परेशान हैं. यही वजह है कि जनता ने उनके खिलाफ वोट देने का मन बना लिया है."

"बृजमोहन अग्रवाल जब चुनाव लड़ते थे तो बात कुछ और थी, वह पैसे के दम पर चुनाव लड़ते थे,लेकिन अब यह काम नहीं आने वाला है. इस बार रायपुर दक्षिण से कांग्रेस का उम्मीदवार जीतेगा. इस चुनाव की तैयारी शुरू कर दी गई है. बैठक में रणनीति बनाई गई है. उसके तहत ही पार्टी आगे काम कर रही है.":सुशील आनंद शुक्ला, प्रदेश अध्यक्ष, मीडिया विभाग, कांग्रेस

बीजेपी ने भी की तगड़ी तैयार: दूसरी ओर भाजपा ने भी इस चुनाव के लिए आब्जर्वर नियुक्त कर दिए हैं. इस सीट को लेकर बैठक का दौर जारी है. मीटिंग में चुनाव को लेकर रणनीति तैयार की जा रही है. लंबे समय से इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा है. भाजपा इस कब्जे को बरकरार रखना चाहती है. इस बार बृजमोहन अग्रवाल भाजपा उम्मीदवार नहीं होंगे, लेकिन संभावना जताई जा रही है कि जो भी उम्मीदवार बनाया जाएगा, वह बृजमोहन अग्रवाल का करीबी होगा. ऐसे में इस चुनाव में बृजमोहन के नजदीकी में किसी को टिकट नहीं दिया गया तो हो सकता है कि इस सीट का परिणाम कुछ और हो. ऐसी अटकलें भी लगाई जा रही है.

"कांग्रेस सरकार के दौरान प्रदेश में भ्रष्टाचार के रिकॉर्ड बनाए गए हैं. लगातार भ्रष्टाचार हुआ है. इस मामले में आधे नेता जेल में और आधे बेल पर हैं. रायपुर दक्षिण विधानसभा की बात की जाए तो यहां पर बृजमोहन अग्रवाल रिकॉर्ड बहुमत से जीत दर्ज करते रहे. इस बार के उपचुनाव में भी रायपुर दक्षिण से भाजपा उम्मीदवार रिकॉर्ड बहुमत से जीत हासिल करेगा. यहां से कांग्रेस की जमानत जब्त होगी." -अनुराग अग्रवाल, प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस

जानिए क्या कहते हैं राजनीति के जानकार: इस बारे में राजनीति के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा का कहना है कि, "दक्षिण विधानसभा सीट इस बार भाजपा के लिए आसान नहीं होगा. उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी कि सीट से किसे चुनाव लड़ाया जाए, क्योंकि अब तक इस सीट से बृजमोहन अग्रवाल चुनाव लड़ते आए थे. उनका चुनाव लड़ने का तरीका अलग था. उनकी चुनावी रणनीति का तोड़ कांग्रेस के पास नहीं था. यही था कि आठ बार से बृजमोहन अग्रवाल चुनाव जीतते आए हैं, लेकिन इस बार बृजमोहन अग्रवाल चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. यही भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. ऐसे में बीजेपी इस सीट पर किसे उम्मीदवार बनाती है? उसके लिए किस तरह की चुनावी रणनीति तैयार की जाएगी? सामने कांग्रेस का कौन कैंडिडेट होगा? यह सारी बातें चुनाव पर असर डालेगी."

"यह चुनाव दोनों ही राजनीतिक दलों के लिए कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अभी चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है, बावजूद इसके दोनों ही राजनीतिक दल इसकी तैयारी में जुट गए हैं. दोनों दलों में बैठकों का दौर शुरू हो गया है. रणनीति बनाई जा रही है. दोनों ही दल इस चुनाव में जीत हासिल करने में पूरी ताकत झोंकने को तैयार है." -उचित शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार

ऐसे में साफ है कि बीजेपी के गढ़ रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों की निगाह टिकी हुई है. इस सीट पर जीत के लिए दोनों ही दल रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं.

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