रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की दक्षिण विधानसभा सीट इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है. इसकी वजह है, यहां से कभी विधानसभा चुनाव ना हराने वाले बृजमोहन अग्रवाल. लोकसभा चुनाव 2024 में सांसद का चुनाव लड़ा, चुनाव जीत कर सांसद बने. बृजमोहन अग्रवाल ने सांसद बनने के बाद रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया. जिससे अब ये सीट खाली है. जल्द ही इस सीट पर उपचुनाव कराए जाएंगे. रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट की खास बात ये हैं कि यहां हर जाति वर्ग और समुदाय के लोग रहते हैं बावजूद इस सीट पर बृजमोहन अग्रवाल को कभी हार नहीं मिली. यानी इस सीट पर जातिगत समीकरण काम नहीं आता है.
जातिगत समीकरण नहीं आता काम: राजनीति के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार अनिरुद्ध दुबे बताते हैं "रायपुर की दक्षिण विधानसभा सीट पर जातिगत समीकरण का कोई असर नहीं पड़ता है, क्योंकि इस सीट पर बृजमोहन अग्रवाल लंबे समय से जीतते आ रहे हैं, जबकि उस विधानसभा क्षेत्र में अग्रवाल समाज के वोटों की संख्या ज्यादा नहीं है. रायपुर दक्षिण में कोई जाति का समीकरण इसलिए काम नहीं आएगा, क्योंकि वहां हर जाति के लोग हैं. ब्राह्मण, मुस्लिम, सिख वहां पर है, ओबीसी वर्ग की बहुतायत है. इस विधानसभा क्षेत्र में सभी जाति के लोग हैं, लेकिन वहां पर चुनाव में यह समीकरण कोई मायने नहीं रखता है."
रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट: इस सीट पर लंबे समय तक भाजपा का कब्जा रहा. बृजमोहन अग्रवाल के अलावा किसी भी राजनीतिक दल, जाति, धर्म, समुदाय के नेता को यहां की जनता ने मौका नहीं दिया. इस सीट से कांग्रेस, छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस सहित निर्दलीय किसी भी जाति धर्म समुदाय के नेता को कभी जीत नहीं मिली. यही वजह है कि इस सीट को लेकर चर्चा है कि यहां पर जातिगत समीकरण काम नहीं आता है, मतलब कि इस सीट पर जातिगत समीकरण पूरी तरह फेल है.