रायपुर : रायपुर लोकसभा सीट छत्तीसगढ़ की सबसे पुरानी लोकसभा सीटों में से एक है. आजादी के बाद से 90 के दशक तक यह कांग्रेस का गढ़ था. लेकिन 1996 के बाद यह बीजेपी का अभेद गढ़ बन गया. 2019 के लोकसभा चुनाव में रायपुर सीट से बीजेपी के सुनील सोनी सांसद चुने गए थे. लेकिन इस बार बीजेपी ने अपने कद्दावर नेता और साय सरकार में मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को मैदान में उतारा है. जबकि कांग्रेस ने युवा कार्ड खेलते हुए पूर्व विधायक विकास उपाध्याय पर दांव लगाया है.
बीजेपी ने मोहन भैया को बनाया प्रत्याशी : छत्तीसगढ़ की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी का दिग्गज चेहरा बृजमोहन अग्रवाल पिछले 35 सालों से लागातार विधायक हैं. बृजमोहन अग्रवाल रायपुर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र का लगातार आठवीं बार प्रतिनिधत्व कर रहे हैं. बृजमोहन अग्रवाल ने अपने राजनीति करियर की शुरुआत ABVP से छात्र नेता के रूप में किया था. जिसके बाद साल 1990 में अविभाजित मध्यप्रदेश के समय पहली बार विधायक बनें. इसके बाद 1993, 1998 में भी अविभाजित मध्य प्रदेश में रायपुर से विधायक रहे. छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद लगातार पांच बार 2003, 2008, 2013, 2018 और 2023 में बृजमोहन अग्रवाल ने विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की है. अब बीजेपी ने बड़ा दांव खेलते हुए साय सरकार में मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को रायपुर लोकसभा सीट से अपना प्रत्याशी घोषित किया है. अग्रवाल को बीजेपी का गढ़ माने जाने वाली रायपुर लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया गया है.
कौन हैं विकास उपाध्याय ? : विकास उपाध्याय रायपुर जिला कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से एक हैं. उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1994 में NSUI के छात्रनेता के रूप में की. विकास उपाध्याय 1998 में एनएसयूआई के ब्लॉक अध्यक्ष और 1999 में रायपुर जिले के एनएसयूआई जिला अध्यक्ष बने. इसके बाद 2004 में एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष बने. 2006 में एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव बने और 2009 में राष्ट्रीय सचिव युवा कांग्रेस बने. 2010 में राष्ट्रीय महासचिव युवा कांग्रेस बने. 2013 से 2018 तक वे जिला कांग्रेस अध्यक्ष रायपुर शहर रहे. इस बीच विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस ने रायपुर पश्चिम से विकास को अपना प्रत्याशी बनाया. इस विस चुनाव में विकास उपाध्याय ने बीजेपी के दिग्गज नेता और तत्कालीन रमन सरकार में मंत्री राजेश मूणत को करारी शिकस्त दी और रायपुर पश्चिम विधानसभा से पहली बार विधायक चुने गए. हांलाकि, 2023 के विधानसभा चुनाव में राजेश मूणत ने वापसी की और विकास को इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा. वहां अब कांग्रेस ने रायपुर लोकसभा सीट से विकास उपाध्याय पर फिर से दांव खेला है.
रायपुर लोकसभा सीट का सियासी इतिहास: रायपुर शहर छत्तीसगढ़ की राजधानी है. इसलिए रायपुर लोकसभा क्षेत्र प्रदेश की राजनीति का केंद्र है. देश की आजादी से लेकर 90 के दशक तक इस लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस का दबदबा था. लेकिन 1989 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के रमेश बैस ने जीत दर्ज की और पहली बार रायपुर से सांसद निर्वाचित हुए. हांलाकि 1991 के चुनाव में कांग्रेस के विद्याचरण शुक्ल ने जीत दर्ज की. लेकिन 1996 में बीजेपी ने वापसी की और रमेश बैस रायपुर सीट से दोबारा सांसद चुने गए. तब से लेकर आज तक हुए 7 लोकसभा चुनावों में बीजेपी अजेय रही है. अब रायपुर लोकसभा सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है. रायपुर लोकसभा सीट से सबसे अधिक सात बार रमेश बैस सांसद निर्वाचित हुए. अभी रायपुर सीट से बीजेपी के सुनील सोनी सांसद हैं.
रायपुर लोकसभा सीट का संसदीय इतिहास:
- 1952 में कांग्रेस के भूपेंद्र नाथ मिश्रा ने जीत दर्ज कर रायपुर लोकसभा से पहले सांसद बने.
- 1957 में कांग्रेस के राजा बीरेंद्र बहादुर सिंह सांसद बने.
- 1962 में कांग्रेस के केशर कुमारी देवी सांसद बनीं.
- 1967 में कांग्रेस के लखन लाल गुप्ता जीते.
- 1971 में कांग्रेस के विद्याचरण शुक्ल को जीत मिली.
- 1977 में कांग्रेस के पुरुषोत्तम लाल कौशिक जीते.
- 1980 में कांग्रेस के केयूर भूषण सांसद बने.
- 1984 में कांग्रेस के केयूर भूषण दोबारा सांसद बने.
- 1989 में बीजेपी के रमेश बैस पहली बार सांसद बने.
- 1991 में कांग्रेस के विद्याचरण शुक्ल दूसरी बार सांसद बने.
- 1996 में बीजेपी के रमेश बैस दूसरी बार सांसद बने.
- 1998 में बीजेपी के रमेश बैस तीसरी बार जीते.
- 1999 में बीजेपी के रमेश बैस चौथी बार विजयी रहे.
- 2004 में बीजेपी के रमेश बैस पांचवीं बार जीते.
- 2009 में बीजेपी के रमेश बैस छठवीं बार सांसद बने.
- 2014 में बीजेपी के रमेश बैस सातवीं बार सांसद बने.
- 2019 में बीजेपी के सुनील सोनी ने जीत हासिल की.
रायपुर लोकसभा क्षेत्र की विधानसभा सीटें: रायपुर लोकसभा सीट में कुल नौ विधानसभा सीटें हैं. जिसमें रायपुर उत्तर, रायपुर दक्षिण, रायपुर पश्चिम, रायपुर ग्रामीण, आरंग, अभनपुर, बलौदाबाजार, भाटापारा और धरसींवा की सीटें शामिल हैं. इन सभी सीटों पर स्थानीयता और जातिवाद का मुद्दा हमेशा हावी रहता है.
बीते तीन लोकसभा चुनाव में रायपुर का मतदान प्रतिशत
- 2009 लोकसभा चुनाव: 46.99 फीसदी मतदान
- 2014 लोकसभा चुनाव: 65.68 फीसदी वोटिंग
- 2019 लोकसभा चुनाव: 66.12 फीसदी मतदान
रायपुर लोकसभा क्षेत्र के मुद्दे: रायपुर लोकसभा क्षेत्र खारून नदी के आसपास बसा हुआ है. यहां आद्यौगिक विकास भी देखने को मिलता है. रायपुर लोकसभा के शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी, बिजली, पानी, सड़क, साफ सफाई की समुचित व्यवस्था, सामुदायिक भवन, शौचालय और अस्पताल की सुविधाएं मुख्य मुद्दे हैं. वहीं रायपुर लोकसभा के ग्रामीण क्षेत्रों में खेती किसानी बेरोजगारी, आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य मुख्य मुद्दे हैं. रायपुर शहर में NIT, IIM, AIIMS, कृषि विश्वविद्यालय समेत शिक्षा से जिड़े कई संस्थान मौजूद हैं. इसलिए यहां स्टूडेंट्स की उच्च शिक्षा भी लाइब्रेरी, उद्यान, ओपन जिम बड़ा मुद्दा रही है.
रायपुर लोकसभा क्षेत्र का जातिगत समीकरण: रायपुर लोकसभा क्षेत्र के जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां साहू और कुर्मी समाज गेमचेंजर की भूमिका में है. इसके साथ ही ब्राह्मण, क्षत्रिय, सतनामी, आदिवासी और दलितों का भी कुछ हद तक प्रभाव देखा जाता है. लेकिन जो प्रत्याशी यहां साहू और कुर्मी समाज को साध लेता है, वह जीत हासिल करता है.