नूंह: हरियाणा में ठंड ने दस्तक दे दी है. हालांकि नूंह के किसान आज भी बारिश का नुकसान झेल रहे हैं. यहां खेतों में कई फुट तक पानी भरा हुआ है. खेतों में पानी के कारण किसानों का ज्वार और बाजरे का फसल भी खराब हो गया था. वहीं, अभी तक खेत में पानी जमा होने के कारण कई किसान गेहूं और सरसों की बिजाई भी नहीं कर पाएंगे. इससे किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है. अब ये किसान सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं.
परेशान किसानों को मुआवजे की आस: दरअसल मेवात जिले की जीवन रेखा कहलाने वाली कोटला झील के आसपास की तकरीबन 9000 एकड़ जमीन पर आज भी लबालब पानी भरा हुआ है. खेतों में कई-कई फुट बरसाती पानी भरा होने के कारण किसानों का ज्वार-बाजरे का फसल भी खराब हो गई. पानी नहीं सूखने और पानी की निकासी न होने के कारण इस बार गेहूं और सरसों की बिजाई भी एक लंबे रकबे में किसान नहीं कर पा रहा हैं. परेशान किसान सरकार से फसल नुकसान को लेकर मुआवजे की मांग कर रहे हैं.
किसानों ने बयां किया अपना दर्द: फसल नुकसान को लेकर नूंह के किसान मुस्ताक अहमद ने कहा कि खेतों में लबालब पानी भरा हुआ है. पिछले करीब 1 साल से इस भूमि से कोई फसल किसान नहीं ले सका है और आगे भी पानी सूखने में कई महीने का समय लग सकता है. वहीं, एक अन्य किसान जाहिद ने कहा कि दूर-दूर तक खेतों में पानी भरा हुआ है. ज्वार और बाजरे की खेती से हम हाथ धो बैठे हैं. अब गेहूं और सबसों की भी बिजाई नहीं हो पाएगी. सरकार से मदद मिलने से थोड़ी राहत मिलती.
विधायक ने विधानसभा में उठाया मुद्दा: किसानों की इस समस्या को विधायक आफताब अहमद ने विधानसभा से लेकर जिला प्रशासन के आला अधिकारियों के सामने रखा है. समस्या को लेकर विधायक आफताब अहमद ने बुधवार को ही उपायुक्त प्रशांत पवार से मुलाकात की थी.हालांकि अब तक समस्या का समाधान नहीं हो पाया है. कुल मिलाकर कोटला झील राहत से कहीं ज्यादा किसानों के लिए इस समय आफत बनी हुई है.
बता दें कि आकेड़ा, कोटला, मेवली, मालब इत्यादि गांव की भूमि में प्राकृतिक झील है. इसी झील के पास तकरीबन 108 एकड़ भूमि में सरकार ने कोटला झील तैयार किया है, लेकिन यह झील किसानों के लिए लाभकारी नहीं हो पा रही है. खास बात यह है कि यह प्राकृतिक झील तकरीबन 9 -10 हजार एकड़ भूमि में है. कई गांव का रकबा इस झील में लगता है.
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